श्री राघवयादवीयम् – shri raghav yadaviyam

श्री राघवयादवीयम् - shri raghav yadaviyam

सतरहवीं सदी में कांचीपुरम के वेंकटाध्वरि द्वारा रचित श्री राघवयादवीयम् एक अनुपम काव्य है जिसे अनुलोम विलोम काव्य नाम से भी जाना जाता है। जैसे कवि सूर्य कृत “श्रीरामकृष्ण विलोम काव्यं” स्वयं में अद्वितीय है उसी प्रकार से और उसी कड़ी में ही श्री राघवयादवीयम् भी है जिसमें ३० श्लोक उपलब्ध हैं और यथावत पढ़ने पर रामचरित है तो विलोम करके पढ़ने पर कृष्ण चरित हो जाता है। यहां पहले त्रिंशश्लोकी श्री राघवयादवीयम् (shri raghav yadaviyam) संस्कृत में दिया गया है और तदुपरांत सविलोम भी दिया गया है।

सविलोम श्री राघवयादवीयम्

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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