व्रात्य - Vraty

उपनयन संस्कार और व्रात्य

उपनयन संस्कार और व्रात्य, व्रात्य का अर्थ – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तीनों वर्णों के लिये यज्ञोपवीत की एक सुनिश्चित अवधि है, व्रात्य का अर्थ होता है उस अवधि का अतिक्रमण हो जाना। निर्धारित अवधी व्यतीत हो जाने पर जिस व्यक्ति का उपनयन नहीं होता अथवा 10 संस्कारों का लोप हो जाता है उसे व्रात्य कहा जाता है ।

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उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024

उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024 – उपनयन संस्कार मुहूर्त से मुख्य तात्पर्य उपनयन संस्कार ही होता है, किन्तु उपनयन संस्कार मुहूर्त में ही उपनयन के साथ मुंडन, वेदारम्भ और समावर्तन भी किये जाते हैं।

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क्या आप उपनयन संस्कार के इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं – upnayan sanskar

क्या आप उपनयन संस्कार के इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं – upnayan sanskar

उपनयन संस्कार (upnayan sanskar) – उपनयन के द्वारा इन तीनों वर्णों का नया जीवन आरम्भ होता है जिसमें गायत्री, वेद, यज्ञ आदि का अधिकार प्राप्त होता है। उपनयन होने के बाद ही उपनीत को श्रौत और स्मार्त कर्म का अधिकार प्राप्त होता है।

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उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

उपनयन संस्कार विधि – वाजसनेयी

उपनयन संस्कार विधि – यद्यपि उपनयन एक ही संस्कार है तथापि युगव्यवस्था से उपनयन में एक साथ 4 संस्कार सम्पन्न किया जाता है :- चूडाकरण, उपनयन, वेदारंभ व समावर्तन ।

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