शिवरहस्य में ब्रह्मा और विष्णु द्वारा किया गया एक लिङ्गोत्पत्तिस्तव अर्थात लिंग स्तवन मिलता है जिसके महत्वपूर्ण होने का सबसे बड़ा कारण तो यही है कि यह ब्रह्मा और विष्णु द्वारा किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने वाला पापरहित हो जाता है ऐसा स्तोत्र में ही कहा गया है। यहां शिव लिंग स्तोत्र (ling stotra) संस्कृत में दिया गया है।
लिङ्गोत्पत्तिस्तवः – ब्रह्मा और विष्णु द्वारा किया गया लिंग स्तोत्र | ling stotra
ब्रह्मविष्णू ऊचतुः
अनादिदेव देवेश विश्वेश्वर महेश्वर ।
सर्वज्ञ ज्ञानविज्ञानप्रदामेय नमोऽस्तु ते ॥९॥
अनन्तकान्तिसम्पन्न अनन्तासनसंस्थित ।
अनन्तशक्तिसम्भोग परमेश नमोऽस्तुते ॥ १०॥
परात्परतरातीत उत्पत्तिस्थितिकारण ।
सर्वार्थसाधनोपाय विश्वेश्वर नमोऽस्तुते ॥११॥
बहुरूप महारूप सर्वरूपोत्तमोत्तम ।
पशुपाशार्णर्वातीत वृषभारूढ ते नमः ॥१२॥
स्वप्रभानिर्मलामेय सर्वस्वामिन् महेश्वर ।
योगिवर्य महायोगिन् योगेश्वर नमोऽस्तु ते ॥१३॥
निरञ्जन निराधार स्वाघार निरुपप्लव ।
प्रपन्नशरणेशान योगातीत नमोऽस्तुते ॥१४॥
जिह्वाचपलभावेन यदिदं गदितं प्रभो ।
तत्क्षन्तव्यमनौपम्य कस्ते स्तौति गुणार्णवम् ॥ १५॥
नमस्ते नामलिङ्गाय शिवलिङ्गाय ते नमः ।
नमस्ते गूढलिङ्गाय परलिङ्गाय योगिने ॥१६॥
नमस्ते ज्योतिलिङ्गाय देवलिङ्गाय लिङ्गिने ।
नमस्ते सूक्ष्मलिङ्गाय बुद्धिलिङ्गाय बुद्धये ॥१७॥
नमः पर्वतलिङ्गाय भावलिङ्गाय ते नमः ।
जगत्कारणलिङ्गाय जगतां पतये नमः ॥१८॥
नमोऽस्मत्पतये तुभ्यं धर्माणां पतये नमः ।
लिङ्गोत्पत्तिस्तवं पुण्यं यः शृणोति नरः सदा ॥१९॥
नोत्पद्यते हि संसारे स्थानमाप्नोति शाश्वतम् ।
तस्मात्सर्वप्रयत्नेन शृणुयाद्वाचयेत्तथा ॥२०॥
पापकञ्चुकमुत्सृज्य प्राप्नोति परमं पदम् ॥२१.१॥
॥ इति शिवरहस्यान्तर्गते ब्रह्माविष्णूकृतं लिङ्गोत्पत्तिस्तवः सम्पूर्णः ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।