पढ़िये शिवपार्वती का प्रिय अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र – ardhnarishwar stotra

पढ़िये शिवपार्वती का प्रिय अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र - ardhnarishwar stotra

भगवान शिव और पार्वती का एकत्व होने पर जो स्वरूप बनता है उसे अर्द्धनारीश्वर कहते हैं। भगवान शिव को माता पार्वती इतनी प्रिय हैं कि उन्हें भिन्न समझना ही नहीं चाहिये क्योंकि इसी कारण से भगवान शिव ने पार्वती को पृथक रहने ही नहीं दिया एक हो गये। भगवान शिव की उपासना में अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र का पाठ करना विशेष फलदायक होता है। यहां अनेकों अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र (ardhnarishwar stotra) संस्कृत में दिया गया है जिसका भगवान शिव की उपासना में पाठ किया जा सकता है।

यहां सर्वप्रथम शंकराचार्य विरचित अर्द्धनारीनटेश्वर स्तोत्र दिया गया है जिसके अनेकों पद अर्द्धनारीश्वराष्टक से भी मिलते हैं। तदनन्तर शिवपुराण में ब्रह्माकृत स्तोत्र है जिसे शिवाशिव स्तोत्र भी कहा जाता है अर्थात अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र है तदनन्तर एक अन्य महत्वपूर्ण अर्द्धनारीश्वर स्तुति भी दी गयी है।

अर्द्धनारीनटेश्वर स्तोत्र

अर्द्धनारीश्वर स्तोत्र

अर्द्धनारीश्वर स्तुति

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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