उपमन्युकृत अर्द्धनारीश्वर अष्टक स्तोत्र – ardhnarishwar ashtak

उपमन्युकृत अर्द्धनारीश्वर अष्टक स्तोत्र - ardhnarishwar ashtak

शास्त्रों में भी शिव और शक्ति को भिन्न नहीं माना गया है। शिव और शक्ति एक-दूसरे से उसी प्रकार अभिन्न हैं, जिस प्रकार सूर्य और उसका प्रकाश, अग्नि और उसका ताप तथा दूध और उसकी धवलता, चन्द्रमा और उसकी शीतलता । शिव में ‘इ’ कार ही शक्ति हैं । ‘शिव’ से ‘इ’ कार निकल जाने पर ‘शव’ ही रह जाता है इसीलिये कहा जाता है शक्ति के बिना शिव “शव” हैं। शास्त्रों के अनुसार बिना शक्ति की सहायता के शिव का साक्षात्कार नहीं होता है। यहां उपमन्यु कृत अर्द्धनारीश्वराष्टक अर्थात अर्द्धनारीश्वर अष्टक (ardhnarishwar ashtak) स्तोत्र दिया गया है।

उपमन्यु कृत अर्द्धनारीश्वराष्टक अतिमहत्वपूर्ण स्तोत्र है एवं अनेकों अर्द्धनारीश्वर स्तोत्रों में इसके पद पाये जाते हैं।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply