स्कन्द पुराणोक्त अर्द्धनारीश्वर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ~ ardhnarishwar ashtottarshatnam stotra

स्कन्द पुराणोक्त अर्द्धनारीश्वर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ~ ardhnarishwar ashtottarshatnam stotra

एक दिव्यवस्त्र धारण करती हैं तो दूसरे दिगम्बर हैं, एक सिंहवाहिनी हैं तो दूसरे वृषारूढ़ हैं फिर भी दोनों एकाकार हो गये। दाम्पत्य जीवन को सुख-शांतिमय करने का सन्देश देता है भगवान शिव-पार्वती का एकाकार स्वरूप जिसे अर्द्धनारीश्वर नाम से जाना जाता है। वर्त्तमान काल में अर्द्धनारीश्वर से सबको सन्देश लेने की आवश्यकता है कि किस प्रकार से गार्हस्थ जीवन में पति-पत्नी को एक रहना चाहिये। यहां स्कन्द पुराणोक्त अर्द्धनारीश्वर अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (ardhnarishwar ashtottarshatnam stotra) संस्कृत में दिया गया है।

वर्त्तमान युग में राजनीतिक कारणों से सामान्य लोगों का दाम्पत्य जीवन बड़ा दुःखद होता जा रहा है। यद्यपि ऐसा करने वाले सुखमय करने की ही बात करते हैं किन्तु वो पति-पत्नी को एक करने के स्थान पर पृथक करने के आचरण में लिप्त हैं। दाम्पत्य जीवन को सुखमय करने के लिये अर्द्धनारीश्वर का शरणागत होना चाहिये।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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