जिस प्रकार से ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद इस बात को लेकर अड़े हुये हैं कि बिना शिखर के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती और यदि अयोध्या राम मंदिर में ऐसा किया जा रहा है तो वह आसुरी हो जायेगा तो इससे एक नया प्रश्न उठ गया है : क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में भगवान राम की नहीं असुर की पूजा हो रही है ?
कर्मकाण्ड विधि द्वारा अयोध्या राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जो २ मुख्य प्रश्न उठाये गये हैं उसका सही उत्तर प्रस्तुत कर दिया गया है किन्तु फिर से नया वीडियो, फिर से वही प्रश्न ! जिसके उपरांत प्रतिप्रश्न ही उत्पन्न होता है कि : “तो क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में भगवान राम की नहीं असुर की पूजा हो रही है”
शिखर
शिखर संबधी प्रश्न दुबारा शास्त्र प्रमाण द्वारा उठाया गया। कर्मकाण्ड विधि इस प्रश्न को सही मानता है, इस प्रश्न से असहमत नहीं है। प्रश्न केवल अयोध्या राममंदिर का क्यों ? लाखों ठाकुरबाड़ी हैं और शिखर विहीन है आज तक कभी प्रश्न क्यों नहीं उठाया गया ?
देर आये दुरुस्त आये, सभी ठाकुरबाड़ी मंदिर के बारे में सोचना होगा और जब जागे तभी सबेरा। यदि अयोध्या राम मंदिर प्रसंग में ये जानकारी देश को मिल गयी तो अब इस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है।
क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में असुर की पूजा हो रही है – शंकराचार्य जी ?
प्रत्येक मंदिर में शिखर निश्चित रूप से अनिवार्य है। लेकिन यह प्रश्न मुँह बाये खड़ा है कि आखिर देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में शिखर क्यों नहीं है ?
इस विषय की जानकारी कर्मकाण्ड विधि द्वारा पहले जानकारी दी जा चुकी है यदि आप जानना चाहते हैं तो इस लेख को पढ़ें।
लेकिन इसका उत्तर तो शंकराचार्य को ही देना चाहिये की आखिर लाखों राम मंदिर में शिखर क्यों नहीं है ? क्योंकि जब तक इस प्रश्न का उत्तर आप स्वयं नहीं देंगे तब तक आपका प्रश्न बना रहेगा।
जब इस प्रश्न का उत्तर आप ढूंढ लेंगे तो ये कहेंगे कि जब तक देश के सभी ठाकुरबाड़ी में शिखर नहीं बन जाता अयोध्या का राम मंदिर में भी शिखर नहीं लगाया जाना चाहिये और वर्तमान में बिना शिखर के राम लला की प्राण प्रतिष्ठा बिल्कुल सही हो रही है।
क्योंकि सही समय और सही जगह पर आप ये प्रश्न नहीं उठा पाये तो अब जबकि प्राण प्रतिष्ठा यज्ञ पूर्ण होने जा रही है तो रोकी नहीं जा सकती तो बार-बार वहीं अटके रहना औचित्यपूर्ण नहीं है। बीती बात बिसारिये आगे की सुधि लेहु।
- अब आगे के विषय में चर्चा कीजिये, देश को बताइये कि क्या करे ?
- क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी बिना शिखर के ही रहें ?
- क्या पहले सभी ठाकुरबाड़ी में शिखर नहीं बनाये जाने चाहिये ?
क्योंकि शास्त्र के अनुसार जितने भी ठाकुरबाड़ी शिखरविहीन हैं, सभी हीनांग हैं। इस विषय पर स्पष्ट बोलिये, वहां आखिर किसकी पूजा हो रही है भगवान श्री राम की या असुर की ?
यदि ऐसा है तो सभी धर्मगुरु मिलकर इस विषय पर निर्णय लीजिये। ये तो अच्छा है कि लाखों राम मंदिर बिना शिखर के हैं इसलिये जबतक उन सभी मंदिरों में शिखर स्थापित नहीं हो जाता तब तक अयोध्या के राम मंदिर में भी शिखर स्थापन न हो। देश के सभी ठाकुरबाड़ी में शिखर स्थापित होने के बाद ही अयोध्या राम मंदिर में भी शिखर स्थापित हो।
ये कैसे होगा ? इस पर विचार कीजिये। इसका समाधान निकालिये। पूरा देश शिखर के महत्व को जान गया इसमें आपका ही योगदान है अब पूरे देश के सभी शिखरविहीन मंदिरों में शिखर स्थापित हो इस विषय में सकारात्मक प्रयास करें। जो भी हुआ अच्छा हुआ और आगे भी अच्छा हो अब इस दिशा में विमर्श की अपेक्षा है न कि उसी बात पर अटके रहना जिसका कोई परिणाम ही नहीं होने वाला है।
अब एक बात ये भी संभव है कि इस दिशा में शंकराचार्य आगे न बढ़ें क्योंकि सबकी भूमिका नियति द्वारा सुनिश्चित होती है और नियति ने इस कार्य में भूमिका जिसकी भूमिका निर्धारित कर रखी है इस कार्य को भी वही करेगा। यहां वही का तात्पर्य एक ही नाम आता है और वो नाम है ………
हम न भी बतायें तो भी वो नाम आपलोग जान गये होंगे।
वैसे लगता तो यही है कि देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में शिखर नहीं है इसीलिये अयोध्या के राम मंदिर में भी राम लला ने शिखर स्वीकार नहीं किया। ये भी तो भगवान राम की ही इच्छा से हुआ है। क्या पता भगवान राम की यही इच्छा हो कि पहले बाकि सभी मंदिरों में शिखर लगाये जाएं।
- कौन मंदिर बनायेगा ? ये भी भगवान राम ने निर्धारित कर रखा था।
- कब बनेगा मंदिर ? ये भी भगवान राम ने निर्धारित कर रखा था।
- कब प्राण प्रतिष्ठा होगी ? ये भी भगवान राम ने निर्धारित कर रखा था।
- कौन प्राण प्रतिष्ठा करेगा ? ये भी भगवान राम ने निर्धारित कर रखा था।
- कौन विरोध करेगा ? ये भी भगवान राम ने निर्धारित कर रखा था।
- और सभी कार्य पूर्वनिर्धारित ही था, सबकी भूमिका पूर्वनिर्धारित थी – इसी को नियति कहते हैं।
- देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में कब शिखर लगेगा, किसकी क्या भूमिका होगी भगवान राम ने सब निर्धारित कर कर रखा है।
- जिसकी भूमिका विरोधी की निश्चित है वो समर्थन नहीं करेगा – यही नियति है।
- कौन पुण्य का भागी बनेगा ये भी सुनिश्चित है – यही नियति है।
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सुशांतिर्भवतु ॥ सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।