संपूर्ण कर्मकांड विधि

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स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र - shankar narayan sahasranama

स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र – shankar narayan sahasranama

अनेकानेक अवसरों पर भगवान विष्णु का भी वचन है कि उनमें और भगवान शंकर में भेद न रखे, उसी प्रकार भगवान शिव का भी वचन है कि उन दोनों में भेदबुद्धि का आश्रय न ले। संयुक्त रूप में दोनों को हरि हर, शंकर नारायण आदि भी कहा जाता है। इनके संयुक्त यज्ञ भी होते हैं जिसे हम हरिहर यज्ञ नाम से जानते हैं। ऐसे में आवश्यकता इनके संयुक्त सहस्रनाम की भी होती है और हमें स्कन्द पुराण में शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (shankar narayan sahasranama) मिलता है जो यहां संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक - satyanarayan ashtakam

यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक – satyanarayan ashtakam

“आदि देवं जगत कारणम्” से आरंभ होने वाले स्तोत्र में, जो कि भगवान सत्यनारायण का स्तोत्र है जिसमें ८ श्लोक हैं जिस कारण इसका नाम सत्यनारायणाष्टकं है जिसे सत्यनारायण अष्टकं (satyanarayan ashtakam) स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। नवां श्लोक फलश्रुति है। यहां भगवान सत्यनारायण की पूजा में उपयोगी सिद्ध होने वाली सत्यनारायण अष्टकम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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महानारायणास्त्र अर्थात महा नारायण अस्त्र - maha narayan astra

महानारायणास्त्र अर्थात महा नारायण अस्त्र – maha narayan astra

भैरव द्वारा पूछे जाने पर देवी ने उन्हें महानारायणास्त्र (महा नारायण अस्त्र – maha narayan astra) का उपदेश दिया था। देवी ने उपदेश देने से पूर्व कहा कि महाभय उपस्थित हो, महाविघ्न हो, संकट हो इसके प्रयोग से सबका निवारण हो जाता है क्योंकि पुराकाल में सृष्टि विघ्न निवारणार्थ स्वयं ब्रह्मा ने इसका आश्रय लिया था। यह प्रयोग शुद्ध सात्विक विद्वान ब्राह्मणों द्वारा ही कराया जाना चाहिये। यहां महानारायणास्त्र संस्कृत में दिया गया है।

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लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम - narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम – narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायण संहिता में नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (narayan sahasranama) मिलता है जिसमें कुल १०० श्लोक हैं। यह स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण और राधा संवाद रूप में है और भगवान श्री कृष्ण ने राधिका को स्तोत्र का उपदेश किया है। आर्द्र हो अथवा शुष्क हो, परपीडा पहुंचाने से संचित पाप हो सभी पापों का यह स्तोत्र नाश करता है।

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नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - narayana ashtottara shatanama stotram

नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – narayana ashtottara shatanama stotram

अनेकानेक बार आप नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र को ढूंढने का प्रयास करते होंगे किन्तु यह भी सरलता से उपलब्ध नहीं होता होगा। अब आपको नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र ढूंढने में समस्या नहीं होगी क्योंकि यहां नारायण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (narayana ashtottara shatanama stotram) संस्कृत में दिया गया है। इसके फलश्रुति में कहा गया है कि इसका जो पाठ करते हैं उनके अनेकों जन्मों के पापों का शमन हो जाता है।

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नारायण हृदय स्तोत्र संस्कृत में - narayan hridaya stotra

नारायण हृदय स्तोत्र संस्कृत में – narayan hridaya stotra

नारायण हृदय स्तोत्र संस्कृत में – narayan hridaya stotra : हम सब एक मंत्र जानते हैं “त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव ।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव ॥” किन्तु यह किस स्तोत्र में है यह नहीं जानते हैं। अथर्वण रहस्य में भगवान विष्णु का हृदय स्तोत्र है जो नारायण हृदय स्तोत्र नाम से जाना जाता है और यह “त्वमेव माता च पिता त्वमेव” मंत्र इसी स्तोत्र के प्रार्थना में मिलता है।

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श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में - narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham

श्रीमद्भागवतोक्त नारायण कवच संस्कृत में – narayana kavacham : श्रीमद्भागवत महापुराण को पंचम वेद भी कहा गया है। भगवान विष्णु का वास क्षीरसागर में है, जल का ही नाम नार होता है और नार जिसका अयन है उसका नाम नारायण है। भगवान नारायण का कवच श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णित है।

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नारायण स्तुति संस्कृत में - narayan stuti

नारायण स्तुति संस्कृत में – narayan stuti

नारायण स्तुति संस्कृत में – narayan stuti : भगवान विष्णु की अनेकानेक स्तुतियां नारायण नाम से भी पुराणों में वर्णित है क्योंकि भगवान विष्णु का ही एक प्रमुख नाम नारायण भी है। यहां तीन प्रमुख नारायण स्तुति (narayan stuti) संस्कृत में दिया गया है जो इस प्रकार हैं नरसिंहपुराणोक्त ब्रह्मा कृत, मुद्गल पुराणोक्त प्रचेता कृत और वराह पुराणोक्त राजा अश्वशिरसा कृत।

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शाण्डिल्य संहितोक्त नारायण स्तोत्र संस्कृत में - narayan stotra

शाण्डिल्य संहितोक्त नारायण स्तोत्र संस्कृत में – narayan stotra

शाण्डिल्य संहितोक्त नारायण स्तोत्र संस्कृत में – narayan stotra : भगवान नारायण का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र शांडिल्य संहिता में वर्णित है जिसमें कुल ९ श्लोक हैं और जिसमें ८ के चतुर्थ पाद “तमादिनारायणदेवमीडे” है। इस स्तोत्र में भगवान नारायण को गुरुओं का भी गुरु कहा गया है, ऋषियों के लिये भी ऋषि बताया गया है, देवताओं का भी देव बताया गया है, ईश्वर का भी ईश्वर अर्थात परमेश्वर कहा गया है।

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नारायण मंत्र स्तोत्र संस्कृत में - narayana mantram

नारायण मंत्र स्तोत्र संस्कृत में – narayana mantram

नारायण मंत्र स्तोत्र संस्कृत में – narayana mantram : द्वादशाक्षर मंत्र की भांति ही भगवान विष्णु का एक विशेष मंत्र “ॐ नमो नारायणाय” जिसे अष्टाक्षर मंत्र कहा जाता है। इस अष्टाक्षर मंत्र के लिये भगवान नारायण का एक स्तोत्र भी है जिसे नारायण मंत्र स्तोत्र कहा जाता है और यह नारद पुराण में वर्णित है। इस स्तोत्र में भगवान नारायण की महिमा का वर्णन करते हुये उन्हें ही सर्वव्यापी बताया गया है।

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