दशगात्र विधि pdf सहित । घटदान और दशगात्र करने की विधि – dashgatra vidhi

दशगात्र विधि pdf सहित । घटदान और दशगात्र करने की विधि – dashgatra vidhi

मृतात्मा की शांति व कल्याण के लिये मृत्यु के बाद भी कई प्रकार के कर्मकांड किये जाते हैं। सबसे पहले तो दाह-संस्कार करके मृतक के पाञ्चभौतिक देह को पंचतत्वों में विलीन किया जाता है जिसकी विधि पूर्व आलेख में बताई जा चुकी है।

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अन्त्येष्टि संस्कार pfd सहित। दाह संस्कार विधि मंत्र । dah sanskar

अन्त्येष्टि संस्कार pfd सहित। दाह संस्कार विधि मंत्र । dah sanskar

स्वजातीय (भइयारी) भोज के शास्त्रीय प्रमाण सहित दाह संस्कार की विधि। जीवन समाप्त होने के बाद पञ्चभूतों से निर्मित शरीर को पञ्चभूतों में विधिवत विलीन करने की क्रिया दाह-संस्कार कहलाती है।

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अशौच निर्णय pdf सहित । भाग १ । अशौच के प्रकार । सूतक क्या होता है

अशौच निर्णय pdf सहित । भाग १ । अशौच के प्रकार । सूतक क्या होता है

शुचि का अर्थ होता है पवित्र, शुद्ध, निर्मल, देव-पितृ कर्म के योग्य, आदि। इसी के आगे अशुचि का अर्थ होता है शुचि अर्थात शुद्धता, पवित्रता, निर्मलता, देवपितृ कर्म की योग्यता आदि का अभाव होना। अतः अशुचि अपवित्रता, अशुद्धि, देव-पितृ कर्म में अयोग्यता का बोधक है। – अशौच निर्णय pdf सहित । भाग १ । अशौच के प्रकार । सूतक क्या होता है

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वार्षिक श्राद्ध विधि pdf सहित – वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र – वाजसनेयी

वर्ष श्राद्ध – छन्दोग

प्रति संवत्सर अर्थात प्रति वर्ष मृतक की तिथि पर जो श्राद्ध किया जाता है उसे वार्षिक श्राद्ध या सांवत्सरिक श्राद्ध कहते हैं और बोल-चाल में वर्षी या बरखी भी कहा जाता है। इसे क्षयाह श्राद्ध भी कहा जाता है और एकोद्दिष्ट विधि का पालन करना चाहिए।

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वार्षिक श्राद्ध विधि pdf सहित – वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र – वाजसनेयी

वार्षिक श्राद्ध विधि pdf सहित – वार्षिक श्राद्ध विधि मंत्र – वाजसनेयी

इस आलेख में वार्षिक श्राद्ध जिसे वर्षी (बरखी) भी बोला जाता है के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ वार्षिक अर्थात सांवत्सरिक श्राद्ध अर्थात एकोद्दिष्ट की विधि और मंत्र भी दिया गया है साथ ही जो pdf फाइल डाउनलोड करना चाहते हैं

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वृद्धि श्राद्ध विधि अर्थात आभ्युदयिक श्राद्ध विधि

वृद्धि श्राद्ध विधि अर्थात आभ्युदयिक श्राद्ध विधि

नान्दी श्राद्ध : आचमन, पवित्रीकरणादि करके गया, विष्णु भगवान एवं पितरों का ध्यान करे : ॐ श्राद्धकाले गयां ध्यात्वा ध्यात्वा देवं गदाधरं। मनसा च पितृन ध्यात्वा वृद्धिश्राद्धं समारभे॥ फिर संकल्प करे ।

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नान्दीमुख श्राद्ध विधि pdf सहित

नान्दी श्राद्ध – षोडश मातृका पूजन, सप्तघृत मातृका पूजन सहित

दाह संस्कार के अतिरिक्त सभी संस्कारों में नान्दीमुख श्राद्ध किया जाता है। इसके साथ ही यज्ञ, प्राण-प्रतिष्ठा आदि कर्मों में नान्दीश्राद्ध आवश्यक होता है। लेकिन जिस प्रकार पवित्रीकरण, संकल्प, सम्पूर्ण कर्मकाण्ड का अनिवार्य प्रारंभिक अंग होता है उस प्रकार से सभी कर्मों में अनिवार्य नहीं होता। जिस प्रकार कलश स्थापन सभी पूजा पाठ में आवश्यक होता है उस प्रकार से नान्दी श्राद्ध सभी शुभ कर्मों में अनिवार्य नहीं है। जैसे सत्यनारायण पूजा करनी हो तो नान्दी श्राद्ध आवश्यक नहीं है।

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पितृ सूक्त

पितृ सूक्त

जिस तरह से विभिन्न देवताओं के सूक्त होते हैं उसी तरह पितरों के लिये भी विभिन्न वेदों में सूक्त हैं जिसे पितृसूक्त कहा जाता है। जिसमें से अन्य सभी सूक्तों की तरह ही शुक्ल यजुर्वेदोक्त पितृसूक्त ही मुख्य रूप से प्रयुक्त होता है।

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श्राद्ध विधि pdf

श्राद्ध कर्म विधि मंत्र

आजकल कई ब्राह्मण श्राद्ध कर्म सीखना चाहते हैं, परन्तु कई बाधाएँ इसमें आती हैं। हमारी पुस्तक ‘सुगम श्राद्ध विधि’ इसमें मदद करती है, जिसका PDF डाउनलोड करने का विकल्प भी है। पुस्तक में विभिन्न श्राद्ध विधियों का वर्णन है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न विषयों पर श्राद्ध सम्बंधी वीडियो भी उपलब्ध हैं।

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