श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र संस्कृत में - shri hari mangalashtak stotra

श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र संस्कृत में – shri hari mangalashtak stotra

“जय जयाजय मङ्गलमङ्गल” से प्रत्येक श्लोक का आरम्भ होता है जिसे श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र नाम से जाना जाता है। भगवान विष्णु का एक नाम मंगलायतन है और “मंगलायतनो हरिः” कहा जाता है। मंगलायतन हरि के लिये श्री शांडिल्य मुनि कृत एक मंगलाष्टक स्तोत्र भी है जिसे श्री हरि मंगलाष्टक स्तोत्र (shri hari mangalashtak stotra) नाम से जाना जाता है और यह शांडिल्य संहिता में वर्णित है।

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विष्ण्वष्टकम् : विष्णु अष्टक स्तोत्र संस्कृत में - vishnu ashtakam stotram

विष्ण्वष्टकम् : विष्णु अष्टक स्तोत्र संस्कृत में – vishnu ashtakam stotram

विष्णु अष्टक स्तोत्र (vishnu ashtakam stotram) भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा व्यक्त करने का एक सरल और प्रभावी माध्यम है। यह आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और सांसारिक कल्याण की प्राप्ति में सहायक होता है। स्तोत्र का पाठ मन को शांति और पवित्रता से भर देता है। भगवान विष्णु को जगत के पालनहार के रूप में स्मरण करने से भक्तों में सुरक्षा और स्थिरता की भावना आती है। यहां भगवान विष्णु के 3 अष्टक स्तोत्र दिये गये हैं।

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श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् - laxmi narayan ashtakam

श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् – laxmi narayan ashtakam

“अशेषदुःखशान्त्यर्थं लक्ष्मीनारायणं भजे” यह ध्रुव पंक्ति है जिस स्तोत्र का उसे श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् (laxmi narayan ashtakam) स्तोत्र नाम से जाना जाता है। इस ध्रुव पंक्ति में ही देखा जा रहा है कि अशेष दुःख शान्त्यर्थं अर्थात संपूर्ण दुःखों की शांति के लिये लक्ष्मीनारायणं भजे अर्थात लक्ष्मी नारायण को भजता हूँ। इस प्रकार सभी दुःखों का निवारण करने में इस लक्ष्मी नारायण अष्टक स्तोत्र का पाठ विशेष लाभकारी हो सकता है। यहां श्रीलक्ष्मीनारायणाष्टकम् संस्कृत में दिया गया है।

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यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक - satyanarayan ashtakam

यहां पढ़ें भगवान सत्यनाराण का अष्टक स्तोत्र सत्यनारायणाष्टक – satyanarayan ashtakam

“आदि देवं जगत कारणम्” से आरंभ होने वाले स्तोत्र में, जो कि भगवान सत्यनारायण का स्तोत्र है जिसमें ८ श्लोक हैं जिस कारण इसका नाम सत्यनारायणाष्टकं है जिसे सत्यनारायण अष्टकं (satyanarayan ashtakam) स्तोत्र के नाम से जाना जाता है। नवां श्लोक फलश्रुति है। यहां भगवान सत्यनारायण की पूजा में उपयोगी सिद्ध होने वाली सत्यनारायण अष्टकम स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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मधुराष्टकं - madhurashtakam

मधुराष्टकं – madhurashtakam

मधुराष्टकं – madhurashtakam : भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करें और उसमें मधुराष्टकं न करें ऐसा कैसे हो सकता है। मधुराष्टकं भगवान श्री कृष्ण का ऐसा स्तोत्र है जो अधिकांश लोगों कंठाग्र भी रहता है। इस स्तोत्र में भगवान को सर्वविध मधुर और मधुर बताया गया है और इस स्तोत्र का पाठ-गायन-श्रवण सब विशेष मधुर लगता है।

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श्रीशङ्कराचार्यविरचित अच्युताष्टकम् - achyutashtakam

श्रीशङ्कराचार्यविरचित अच्युताष्टकम् – achyutashtakam

श्रीशङ्कराचार्यविरचित अच्युताष्टकम् – achyutashtakam : श्री शङ्कराचार्यविरचित अच्युताष्टक जिसकी प्रथम पंक्ति है “अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम्” और सभी श्रद्धालु बड़े भक्ति-भाव से इसका पाठ-गायन करते हैं। भगवान विष्णु-राम-कृष्ण की पूजा हो और स्तोत्र पाठ करना हो तो सर्वप्रथम अच्युताष्टकम् ही ध्यान में आता है।

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परशुराम अष्टकं - parashuram ashtakam

परशुराम अष्टकं – parashuram ashtakam

परशुराम अष्टकं – parashuram ashtakam : अष्टक स्तोत्र विशेष महत्वपूर्ण होता है यह तो हम जानते हैं किन्तु भगवान परशुराम के अष्टक स्तोत्रों को ढूंढना चाहें तो बड़ी कठिनता होती है और इसमें यहां आपको सहयोग मिलता है। यहां श्रीपरशुरामाष्टक और श्रीमद्दिव्यपरशुरामाष्टकं दोनों परशुराम अष्टकं (parashuram ashtakam) संस्कृत में दिया गया है।

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नरसिंह अष्टक - narsingh ashtakam

नरसिंह अष्टक – narsingh ashtakam

नरसिंह अष्टक – narsingh ashtakam : अष्टक में ८ स्तुति श्लोक होने से वह स्वतः विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है। भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिये भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण किया था और उनकी प्रसन्नता के लिये अष्टक स्तोत्रों का पाठ करना विशेष लाभकारी हो सकता है।

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श्री पवनजाष्टकं - shri pavanajastakam

श्री पवनजाष्टकं – shri pavanajastakam

श्री पवनजाष्टकं – shri pavanajastakam : हनुमान जी को पवनपुत्र भी कहा गया है और इस कारण पवनात्मज नाम से भी जाने जाते हैं और यदि पवनज कहें तो वह भी पवनपुत्र हनुमान का ही नाम है। हनुमान जी का एक अष्टक स्तोत्र पवनज नाम से भी है जिसे पवनजाष्टकं नाम से जाना जाता है।

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श्री राघवेन्द्र अष्टकम् - shri raghavendra ashtakam

श्री राघवेन्द्र अष्टकम् – shri raghavendra ashtakam

श्री राघवेन्द्र अष्टकम् – shri raghavendra ashtakam : रघुवंशी होने के कारण भगवान श्री राम का एक नाम राघव है और इसी नाम से पुनः राघवेन्द्र भी कहा गया क्योंकि रघुवंशी होने के कारण यदि श्रीराम राघव हैं तो अन्य सभी रघुवंशी भी राघव हैं। किन्तु यदि राघवेन्द्र कहा जाता है तो अन्य सभी रघुवंशी नहीं हो सकते वो श्री राम ही हो सकते हैं।

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