स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र - shankar narayan sahasranama

स्कन्दपुराणोक्त शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र – shankar narayan sahasranama

अनेकानेक अवसरों पर भगवान विष्णु का भी वचन है कि उनमें और भगवान शंकर में भेद न रखे, उसी प्रकार भगवान शिव का भी वचन है कि उन दोनों में भेदबुद्धि का आश्रय न ले। संयुक्त रूप में दोनों को हरि हर, शंकर नारायण आदि भी कहा जाता है। इनके संयुक्त यज्ञ भी होते हैं जिसे हम हरिहर यज्ञ नाम से जानते हैं। ऐसे में आवश्यकता इनके संयुक्त सहस्रनाम की भी होती है और हमें स्कन्द पुराण में शंकर नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (shankar narayan sahasranama) मिलता है जो यहां संस्कृत में दिया गया है।

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लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम - narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायणीय संहितोक्त नारायण सहस्रनाम – narayan sahasranama

लक्ष्मीनारायण संहिता में नारायण सहस्रनाम स्तोत्र (narayan sahasranama) मिलता है जिसमें कुल १०० श्लोक हैं। यह स्तोत्र भगवान श्री कृष्ण और राधा संवाद रूप में है और भगवान श्री कृष्ण ने राधिका को स्तोत्र का उपदेश किया है। आर्द्र हो अथवा शुष्क हो, परपीडा पहुंचाने से संचित पाप हो सभी पापों का यह स्तोत्र नाश करता है।

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बाल कृष्ण सहस्रनाम - bal krishna sahasranam

बाल कृष्ण सहस्रनाम – bal krishna sahasranam

बाल कृष्ण सहस्रनाम – bal krishna sahasranam : भगवान कृष्ण की पूजा में उनके बालरूप का विशेष महत्व है जिन्हें बालकृष्ण, बालगोपाल कहा जाता है। यदि हाथ में लड्डू हो तो लड्डू गोपाल भी कहा जाता है। यदि आप बालकृष्ण के सहस्रनाम का अवलोकन करना चाहते हैं तो वह नारद पंचरात्र में शिव-पार्वती संवादात्मक है।

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राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम - radha krishna yugala sahasranama

राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम – radha krishna yugala sahasranama

राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम – radha krishna yugala sahasranama : जब युगल छवि, युगल सरकार आदि बोलते हैं तो राधाकृष्ण का ही बोध होता है। पुराणादि में दोनों के संयुक्त स्तोत्र भी प्राप्त होते हैं। नारद पुराण में सनत्कुमार व सूत संवाद से राधाकृष्ण युगल सहस्रनाम मिलता है जिसमें ५०० श्री कृष्ण के नाम हैं और तदनन्तर ५०० श्री राधाजी के नाम हैं।

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गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् - Gopala Divya Sahasranama Stotram

गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – Gopala Divya Sahasranama Stotram

गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – Gopala Divya Sahasranama Stotram : भगवान श्री कृष्ण का ही एक नाम है गोपाल जिनके नाम से सहस्रनाम स्तोत्र तो हैं ही और एक विशेष सहस्रनाम स्तोत्र भी है जिसका नाम गोपाल दिव्य सहस्रनाम स्तोत्र है। इस स्तोत्र की फलश्रुति में रोग, बंधन, आपदा आदि का निवारण तो बताया ही गया है इसके साथ एक अन्य विशेषता जो बताई गयी है वो है पाषंडियों के संसर्गजन दोष का शमन।

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सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र - gopala sahasranama stotram

सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र – gopala sahasranama stotram

सम्मोहन तन्त्रोक्त गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र – gopala sahasranama stotram : भगवान श्री कृष्ण गोपालन भी करते थे और उनका एक नाम गोपाल भी है। भगवान श्री कृष्ण के गोपाल नाम से भी अनेकानेक स्तोत्र हैं जिनमें से एक है गोपाल सहस्रनाम स्तोत्र जो सम्मोहन तंत्र में शिव-पार्वती संवाद रूप में मिलता है। अनेकानेक विशेष पुण्यप्रद अवसरों पर तो इसके पाठ का विधान है ही साथ ही श्राद्ध में भी इसके पाठ का विशेष महत्व बताया गया है और ये इसकी अतिरिक्त विशेषता है।

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ककारादि कृष्ण सहस्रनाम - kakaradi krishna sahasranama

ककारादि कृष्ण सहस्रनाम – kakaradi krishna sahasranama

ककारादि कृष्ण सहस्रनाम – kakaradi krishna sahasranama : जिस देवता का सहस्रनाम हो उस देवता के नामाद्याक्षर से संबंधित सहस्रनाम विशेष महत्वपूर्ण होता है। भगवान श्री कृष्ण का नामाद्याक्षर “क” है अतः “क” अक्षर से संबंधित सहस्रनाम विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है और इसे ककारादि कृष्ण सहस्रनाम (kakaradi krishna sahasranama) कहा जाता है। यदि ककारादि कृष्ण सहस्रनाम की बात करें तो यह श्री ब्रह्माण्ड पुराण में मिलता है और इसमें कुल ३६० श्लोक हैं।

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कृष्ण सहस्रनाम - krishna sahasranam

श्री कृष्ण सहस्रनाम – krishna sahasranam

श्री कृष्ण सहस्रनाम – krishna sahasranam : यदि भगवान श्री कृष्ण सहस्रनाम की बात करें तो यह अनेकों पुराणों में मिलता ही है और साथ ही साथ अनेकों नामों से भी सहस्रनाम मिलता है। इनमें से गर्ग संहिता में वर्णित श्री कृष्ण सहस्रनाम का अपना विशेष महत्व है

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अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र - parshuram sahasranama

अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र – parshuram sahasranama

अग्निपुराणोक्त परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र – parshuram sahasranama : कलश पर परशुराम का स्थापन करके घृतादि द्रव्यों से स्नान-पूजन करके परशुराम सहस्रनाम स्तोत्र पाठ करने पर सहस्र यज्ञ का फल प्राप्त होता है। अयन-विषुव आदि अवसरों पर पाठ करके स्तोत्र लिखे और वैष्णव को पुस्तक प्रदान करे तो शत्रुरहित हो जाता है।

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नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र - narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram

नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र – narasimha sahasranama stotram : नृसिंह पुराण में नरसिंह भगवान का सहस्रनाम स्तोत्र मिलता है जिसमें २२८ श्लोक हैं और यदि पूर्व पीठिका का भी योग कर दें तो १४ श्लोक और बढ़ जायेंगे। इस प्रकार नृसिंह सहस्रनाम स्तोत्र में श्लोकों की संख्या सर्वाधिक है। नरसिंह सहस्रनाम स्तोत्र ब्रह्मा जी द्वारा बताया गया है।

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