श्री कृष्ण सहस्रनाम – krishna sahasranam

कृष्ण सहस्रनाम - krishna sahasranam

यदि भगवान श्री कृष्ण सहस्रनाम की बात करें तो यह अनेकों पुराणों में मिलता ही है और साथ ही साथ अनेकों नामों से भी सहस्रनाम मिलता है। इनमें से गर्ग संहिता में वर्णित श्री कृष्ण सहस्रनाम का अपना विशेष महत्व है और यहां श्रीमद्गर्गसंहिता के अश्वमेधखण्ड में वर्णित श्री कृष्ण सहस्रनाम (krishna sahasranam) संस्कृत में दिया गया है जो की व्यास-उग्रसेन संवाद रूप में मिलता है, अर्थात पृच्छक महाराज उग्रसेन हैं और वक्ता स्वयं व्यास जी हैं।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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