आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। स्त्रियां पति और पुत्र की लम्बी आयु के लिये जितिया व्रत करती हैं। जितिया व्रत का विधान सभी व्रतों से भिन्न है और यह व्रत सभी व्रतों में कठिन भी है। अन्य व्रतों में दो बार के भोजन का त्याग करके उपवास किया जाता है किन्तु जितिया में यह 3 बार का भी हो जाता है। इसे स्थानीय भाषा में कितने साँझ का है, 2 – 3 साँझ (संध्या/भोजन समय) का है, इस प्रकार भी बोला जाता है। 2024 में जितिया कब है इस आलेख में विस्तार से बताया गया है।
Jitiya 2024 : जीवित्पुत्रिका व्रत कब है
जितिया व्रत के संबंध में लोग महीनों पूर्व से ही जितिया कब है, जितिया कब से कब तक है, जितिया का पारण कब है आदि अनेकानेक प्रश्नों पर विमर्श करते देखे जाते हैं। ऐसा बहुत कम ही होता है जब व्रत के अगले दिन प्रातः काल ही पारण का समय मिलता है, अधिकतर व्रत के अगले दिन भी मध्याह्न अथवा सायंकाल जाकर पारण का समय मिलता है। साथ ही एक और विशेषता भी होती है यदि व्रत का पारण अगले दिन मध्याह्न अथवा सायाह्न में हो तो व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व विशिष्ट भोजन भी किया जाता है जिसे ओठगन भी कहते हैं।
ओठगन (रात्रि के अंत में विशेष भोजन) तब किया जाता है जब अष्टमी का आरंभ न हुआ हो अर्थात प्रदोषव्यापिनी अष्टमी यदि दिन में कभी भी आरंभ हो तो व्रत उसी दिन होता है किन्तु यदि रात्रि के अंत में न हो तो विशिष्ट भोजन (ओठगन) किया जाता है। ऐसा भी देखा जाता है कि यदि सूर्योदय के कुछ पहले अष्टमी आरंभ हो तो भी अष्टमी के आरंभ होने से पहले ओठगन किया जाता है। परन्तु ओठगन की आवश्यकता ही तभी होती है जब अष्टमी मध्याह्न से सायाह्न तक में आरंभ हो और पारण अगले दिन मध्याह्न या सायाह्न में हो। यदि पारण अगले दिन प्रातः काल ही हो तो ओठगन की कोई आवश्यकता ही नहीं होती।
जीवित्पुत्रिका व्रत प्रदोषकालिक निर्णय के संबंध में जो मुख्य प्रमाण हैं वो इस प्रकार हैं :
- भविष्य पुराण : प्रदोषसमये स्त्रीभिः पूज्यो जीमूतवाहनः । पुष्करिणीं विधायाथ प्राङ्गणे चतुरस्त्रिकाम् ॥ – इसमें प्रदोषकाल में जीमूतवाहन का पूजन सिद्ध होता है।
- विष्णुधर्मोत्तर : पूर्वेद्युरपरेद्युर्वा प्रदोषे यत्र चाष्टमी । तत्र पूज्यः सदा स्रीभी राजा जीमूतवाहनः ॥ इसमें सिद्ध होता है कि प्रथम दिन अथवा द्वितीय दिन प्रदोषकाल में जब अष्टमी हो तो जीमूतवाहन का होता है।
- तिथितत्वचिंतामणि : सप्तम्यामुदिते सूर्ये परतश्चाष्टमी भवेत् । तत्र व्रतोत्सवं कुर्यात् न कुर्यादपरेऽहनि ॥ इससे ज्ञात होता है कि सप्तमी औदयिक हो और तत्पश्चात अष्टमी हो तो उस दिन करे।
- तिथिचन्द्रिका : लक्ष्मीव्रतं चाभ्युदिते शसाङ्के यत्राष्टमी आश्विनकृष्णपक्षे । यत्रोदयं वै कुरुते दिनेशस्तदा भवेज्जीवितपुत्रिका सा ॥ लक्ष्मी व्रत के लिये चंद्रोदय काल वाली अष्टमी ग्राह्य है और जीवित्पुत्रिका व्रत के लिये सूर्योदय कालिक अष्टमी। इसी प्रकार कुछ अन्य प्रमाण भी हैं जो सूर्योदय कालिक अष्टमी को सिद्ध करते हैं।
जहां कहीं भी सूर्योदय कालिक अष्टमी का प्रमाण है उसका तात्पर्य यह है कि यदि दो दिन प्रदोषकाल में अष्टमी मिले तो जिस दिन औदयिक हो उस दिन व्रत करे, न कि सदा औदयिक अष्टमी ही ग्रहण करे। यदि औदयिक होने पर भी प्रदोषकाल में अष्टमी न मिले तो पूर्व दिन ही प्रदोषकालिक होने पर जितिया व्रत करे और यदि दोनों दिन प्रदोषकालीन अष्टमी मिले अथवा किसी भी दिन न मिले तो औदयिक अष्टमी वाले दिन करे। कारण यह है कि जितिया व्रत के लिये अष्टमी में भोजन का पूर्ण निषेध किया गया है।
भविष्य पुराण : आश्विनस्याऽसिताष्टम्यां याः स्त्रियोऽनञ्च भुञ्जते । मृतवत्सा भवेयुस्ता विधवा दुर्भगा ध्रुवम् ॥ जो स्त्री आश्विन कृष्णाष्टमी को भोजन करती है वह दुर्भगा निश्चित रूप से मृतवत्सा और विधवा होती है।
यदि सर्वत्र औदयिक अष्टमी का ही ग्रहण करने का सिद्धांत होता तो रात्र्यंत में विशिष्ट भोजन (ओठगन) की आवश्यकता ही क्या है ? रात्र्यंत में विशिष्ट भोजन (ओठगन) का तात्पर्य ही यही है कि औदयिक अष्टमी नहीं है किन्तु प्रदोषकालिक है इसलिये सप्तमी में विशिष्ट भोजन (ओठगन) करके व्रत करे। इससे व्रत के दिन तो पुनर्भोजन की आवश्यकता ही नहीं होती और अगले दिन अष्टमी में भोजन का निषेध होने के कारण अष्टमी समाप्त होने पर पारण करे।
अगले दिन सूर्योदय के साथ ही पारण नहीं किया जा सकता अष्टमी समाप्ति पर ही करना चाहिये इसी कारण व्यावहारिक समस्या का निदान रात्र्यंत में विशिष्ट भोजन (ओठगन) का प्रावधान है।
जितिया 2024
2024 में जितिया कब है या जीवित्पुत्रिका व्रत कब है इसके लिये आश्विन कृष्ण अष्टमी के आरंभ और समाप्ति काल का अवलोकन करना आवश्यक है। इसलिये पहले हम दृश्य और अदृश्य पंचांगों के आधार पर आश्विन कृष्ण अष्टमी के आरंभ और समाप्ति काल को जानेंगे।
दृश्य पञ्चाङ्गानुसार
- आश्विन कृष्ण अष्टमी आरंभ : 24 सितंबर, मंगलवार मध्याह्न 12:38 बजे।
- आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त : 25 सितंबर, बुधवार मध्याह्न 12:10 बजे।
- प्रदोष व्यापिनी अष्टमी : 24 सितंबर 2024, मंगलवार
इस प्रकार दृश्य पञ्चाङ्गानुसार आश्विन कृष्ण अष्टमी 24 सितंबर 2024, मंगलवार को मध्याह्न 12:38 बजे आरंभ होने के बाद उसी दिन प्रदोष व्यापिनी भी है अतः जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत 24 सितंबर 2024, मंगलवार को है। चूँकि अष्टमी का आरंभ मध्याह्न में होता है इसलिये सूर्योदय से पूर्व सप्तमी ही होने से रात्रि के अंत में ओठगन (विशिष्ट भोजन) भी होगा। अगले दिन 25 सितंबर, बुधवार को मध्याह्न 12:10 बजे अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण होगा।
अदृश्य पञ्चाङ्गानुसार (मिथिलादेशीय)
- आश्विन कृष्ण अष्टमी आरंभ : 24 सितंबर, मंगलवार सायाह्न 5:44 बजे।
- आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त : 25 सितंबर, बुधवार सायाह्न 4:43 बजे।
- प्रदोष व्यापिनी अष्टमी : 24 सितंबर 2024, मंगलवार
इस प्रकार अदृश्य पञ्चाङ्गानुसार आश्विन कृष्ण अष्टमी 24 सितंबर 2024, मंगलवार को सायाह्न 5:44 बजे आरंभ होने के बाद उसी दिन प्रदोष व्यापिनी भी है अतः जीवित्पुत्रिका व्रत या जितिया व्रत 24 सितंबर 2024, मंगलवार को है। चूँकि अष्टमी का आरंभ सायाह्न में होता है इसलिये सूर्योदय से पूर्व सप्तमी ही होने से रात्रि के अंत में ओठगन (विशिष्ट भोजन) भी होगा। अगले दिन 25 सितंबर, बुधवार को सायाह्न 4:43 बजे अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण होगा।
जीवित्पुत्रिका व्रत का पारण कब है
दृश्य पञ्चाङ्गानुसार आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त : 25 सितंबर, बुधवार मध्याह्न 12:10 बजे। 25 सितंबर, बुधवार को मध्याह्न 12:10 बजे अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण होगा। दृश्य पंचांग में सूक्ष्म गणना होती है या वेधसिद्ध होती है अतः दृश्य पञ्चाङ्गानुसार प्राप्त तिथ्यादि मान ही शुद्ध मानी जाती है और शास्त्रों में ग्राह्य कहा गया है।
जो लोग अदृश्य पञ्चाङ्गानुसार व्रत करते हैं उनके लिये सायाह्न 4:43 बजे आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त होने के कारण, 25 सितंबर, बुधवार को सायाह्न 4:43 बजे अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण होगा। अदृश्य पंचांग में स्थूल गणना होती है जो वेधसिद्ध नहीं होती है अतः अदृश्य पञ्चाङ्गानुसार प्राप्त तिथ्यादि मान कम शुद्ध मानी जाती है। यदि सूक्ष्म गणना (वेधसिद्ध) अनुपलब्ध हो तो स्थूल गणना मान्य। शुद्धता और ग्राह्यता का निर्णय जनमानस को स्वयं ही करना होगा और इसके लिये एक विशेष उपाय भी दिया जा रहा है :
शुद्ध और ग्राह्य का निर्धारण करने के लिये यहां दोनों पंचांगों से प्राप्त चंद्रोदय काल (21 सितम्बर, शनिवार, आश्विन कृष्ण चतुर्थी का) दिया जा रहा है। जनमानस स्वयं ही चंद्रोदय देखकर निर्णय लें कि कौन शुद्ध और ग्राह्य है : दृक अर्थात वेधसिद्ध पञ्चाङ्गानुसार रात्रि 7:59 बजे अर्थात लगभग 8 बजे चंद्रोदय होगा, जबकि अदृश्य पंचांगों के अनुसार रात्रि 9:10 बजे अर्थात लगभग सवा नौ बजे रात्रि को होगा। खुले नेत्रों से दर्शन में 10-15 मिनट का अंतर (विलंब) हो सकता है। दोनों समयों में से जिसके निकट चंद्र उदित होते दिखें उसे शुद्ध और ग्राह्य मानें।
चंद्रमा का निर्णय : 21 सितम्बर शनिवार, आश्विन कृष्ण चतुर्थी
21 सितम्बर शनिवार, रात्रि 8:25 बजे चंद्र दर्शन होने लगा, 8:29 बजे रात्रि की पहली छवि है, एवं दूसरी छवि रात्रि 8:35 बजे की है। पूर्वी क्षितिज से चन्द्रमा की कोणीय दूरी द्वारा यह समझा जा सकता है कि वास्तविक चंद्रोदय आधे घंटे पूर्व ही हुआ होगा, दर्शन भले ही आधे घंटे पश्चात् हो रहा हो।
इस ज्योतिष शास्त्र के साक्षी चंद्रमा ने स्वयं ही उन सभी पंचांगों को असत्यापित सिद्ध कर दिया जो 25 सितम्बर बुधवार को संध्या 5:05 मिनट तक अष्टमी दे रहे हैं और तत्पश्चात जितिया का पारण बता रहे हैं। जब पंचांग ही असत्यापित है उसके आधार पर व्रत-पर्व-मुहूर्त आदि का निर्णय करना विद्वता/पाण्डित्य भी सिद्ध नहीं हो सकता।
प्रश्न : इस बार 2024 में जितिया आरंभ करें या न करें ?
उत्तर : 2024 में 24 सितंबर मंगलवार को जितिया है, योग व्यतिपात है जो कि त्याज्य है। गुरु-शुक्र का उदित रहना तो अनुकूल है तथापि मंगलवार और व्यतिपात योग के कारण इस वर्ष 2024 में जितिया व्रत आरंभ नहीं करना चाहिये।
2025 में जितिया कब है
- आश्विन कृष्ण अष्टमी आरंभ : 13 सितंबर, शनिवार रात्र्यंत 5:04 बजे।
- आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त : 14 सितंबर, रविवार रात्र्यंत 3:06 बजे।
- प्रदोष व्यापिनी अष्टमी : 14 सितंबर 2025, रविवार
2025 में आश्विन कृष्ण अष्टमी 14 सितंबर, रविवार को सूर्योदय पूर्व ही 5:04 बजे आरंभ होने के कारण अष्टमी आरंभ होने के पहले विशिष्ट भोजन (ओठगन) होगा और इसी दिन प्रदोषव्यापिनी अष्टमी होने से व्रत भी होगा। अगले दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व ही अष्टमी समाप्त हो जाने के कारण प्रातः काल ही व्रत का पारण होगा।
2026 में जितिया कब है
- आश्विन कृष्ण अष्टमी आरंभ : 3 अक्टूबर, शनिवार प्रातः 7:59 बजे।
- आश्विन कृष्ण अष्टमी समाप्त : 4 अक्टूबर, रविवार प्रातः 5:51 बजे।
- प्रदोष व्यापिनी अष्टमी : 3 अक्टूबर 2026, शनिवार
2026 में आश्विन कृष्ण अष्टमी 3 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 7:59 बजे आरंभ होने के कारण सूर्योदय के पहले (रात्र्यंत में) विशिष्ट भोजन (ओठगन) होगा और इसी दिन प्रदोषव्यापिनी अष्टमी होने से व्रत भी होगा। अगले दिन 4 अक्टूबर, रविवार प्रातः 5:51 बजे अष्टमी समाप्त हो जाने के कारण प्रातः 5:51 के उपरांत व्रत का पारण होगा।
F & Q : Jitiya 2024
प्रश्न : जितिया किस तारीख को है ?
उत्तर : जितिया व्रत 24 सितंबर 2024, मंगलवार को है।
प्रश्न : जितिया व्रत पारण कब है ?
उत्तर : 25 सितंबर 2024 बुधवार को मध्याह्न 12:10 बजे अष्टमी समाप्त होने के बाद पारण होगा।
प्रश्न : जितिया व्रत में किसकी पूजा होती है ?
उत्तर : जितिया व्रत में मुख्य पूजा राजा जीमूतवाहन की होती है।
प्रश्न : जितिया व्रत कब से कब तक है ?
उत्तर : जितिया व्रत 24 सितंबर 2024, मंगलवार से 25 सितंबर 2024 बुधवार को मध्याह्न 12:10 बजे तक है।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।
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