पुत्तल विधी अर्थात पञ्चक दाह विधि
अब हम पञ्चक दाह विधि के बारे में जानेंगे अर्थात पुत्तल विधि और मंत्रों की चर्चा करेंगे। पञ्चक में दाह का दोष निवारण करने की विधि पुत्तल विधि या पुत्तल दाह विधि कहलाती है।
- पञ्चक में दाह करने पर उसके दोष निवारण के लिये सबसे पहले कुशाओं के 5 पुत्तल बनाये।
- फिर उसमें ऊर्णसूत्र लपेटे अर्थात उसे ऊर्णसूत्रों से बांधे।
- फिर सभी पुत्तलों पर जौ के आटे का घोल लेपित करे।
दाह कर्ता स्नानकरके शुद्ध वस्त्र धारण करे। फिर पवित्रीकरण करके संकल्प करे :
संकल्प : त्रिकुशा-तिल-जल लेकर इस प्रकार संकल्प करे – ॐ अद्य …….. गोत्रस्य …….. प्रेतस्य धनिष्ठादिपञ्चकनक्षत्रान्तर्गत ……….. नक्षत्राधिकरणकपञ्चक दाह जनित वंशानिष्ट परिहारार्थं पञ्चकदाहविधिं करिष्ये॥
- पुत्तल पूजन : फिर पांचो पुत्तल की पूजा अगले मंत्रों से करे – १. प्रेतवाहाय नमः, २. प्रेतसखाय नमः, ३. प्रेतपाय नमः, ४. प्रेतभूमिपाय नमः और ५. प्रेतहर्त्रे नमः।
- पूजा करके क्रमशः पांचों पुतले शव पर इस प्रकार रखे – प्रथम पुत्तल सिर पर, द्वितीय नेत्रों पर, तृतीय वामकुक्षि पर, चतुर्थ नाभि पर और पञ्चम पैरों पर।
- घृताहुति : फिर क्रमशः पांचों पुत्तल पर घृताहुति प्रदान करे : १. प्रेतवाहाय स्वाहा, २. प्रेतसखाय स्वाहा, ३. प्रेतपाय स्वाहा, ४. प्रेतभूमिपाय स्वाहा और ५. प्रेतहर्त्रे स्वाहा।
- आहुति देकर जलधारा भी दे।
पंचक शांति पूजन सामग्री देखने के लिये यहां क्लिक करें।
पंचक शांति पूजन विधि pdf डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।
श्राद्ध कर्म और विधि से सम्बंधित महत्वपूर्ण आलेख जो श्राद्ध सीखने हेतु उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं :
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।