अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र से सभी देवी-देवताओं का एक विशेष स्तोत्र होता है जो विशेष महत्वपूर्ण होता है। अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र में देवता के 108 महत्वपूर्ण नामों का उल्लेख होता है। इन 108 नामों वाले स्तोत्र का पाठ करके भी कृपा प्राप्त की जाती है और 108 नामों द्वारा देवी-देवताओं की पूजा भी की जाती है। यहां माता सरस्वती को प्रसन्न करने में विशेष महत्वपूर्ण सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (saraswati ashtottara shatanama stotram) दिये गये हैं।
यहां पढ़ें सरस्वती अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – saraswati ashtottara shatanama stotram
सरस्वती महाभद्रा महामाया वरप्रदा ।
श्रीप्रदा पद्मनिलया पद्माक्षी पद्मवक्त्रका ॥१॥
शिवानुजा पुस्तकभृत् ज्ञानमुद्रा रमा परा ।
कामरूपा महाविद्या महापातकनाशिनी ॥२॥
महाश्रया मालिनी च महाभोगा महाभुजा ।
महाभागा महोत्साहा दिव्याङ्गा सुरवन्दिता ॥३॥
महाकाली महापाशा महाकारा महाङ्कुशा ।
पीता च विमला विश्वा विद्युन्माला च वैष्णवी ॥४॥
चन्द्रिका चन्द्रवदना चन्द्रलेखाविभूषिता ।
सावित्री सुरसा देवी दिव्यालङ्कारभूषिता ॥५॥
वाग्देवी वसुधा तीव्रा महाभद्रा महाबला ।
भोगदा भारती भामा गोविन्दा गोमती शिवा ॥६॥
जटिला विन्ध्यवासा च विन्ध्याचलविराजिता ।
चण्डिका वैष्णवी ब्राह्मी ब्रह्मज्ञानैकसाधना ॥७॥
सौदामिनी सुधामूर्तिस्सुभद्रा सुरपूजिता ।
सुवासिनी सुनासा च विनिद्रा पद्मलोचना ॥८॥
विद्यारूपा विशालाक्षी ब्रह्मजाया महाफला ।
त्रयीमूर्तिः त्रिकालज्ञा त्रिगुणा शास्त्ररूपिणी ॥९॥
शुम्भासुरप्रमथिनी शुभदा च स्वरात्मिका ।
रक्तबीजनिहंत्री च चामुण्डा चाम्बिका तथा ॥१०॥
मुण्डकायप्रहरणा धूम्रलोचनमर्दना ।
सर्वदेवस्तुता सौम्या सुरासुरनमस्कृता ॥११॥
कालरात्री कलाधारा रूपसौभाग्यदायिनी ।
वाग्देवी च वरारोहा वाराही वारिजासना ॥१२॥
चित्राम्बरा चित्रगन्धा चित्रमाल्यविभूषिता ।
कान्ता कामप्रदा वन्द्या विद्याधरसुपूजिता ॥१३॥
श्वेतानना नीलभुजा चतुर्वर्गफलप्रदा ।
चतुराननसाम्राज्या रक्तमद्या निरञ्जना ॥१४॥
हंसासना नीलजङ्घा ब्रह्मविष्णुशिवात्मिका ।
एवं सरस्वतीदेव्या नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥१५॥
॥ इति श्री सरस्वत्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
- ॐ सरस्वत्यै नमः ॥
- ॐ महाभद्रायै नमः ॥
- ॐ महामायायै नमः ॥
- ॐ वरप्रदायै नमः ॥
- ॐ श्रीप्रदायै नमः ॥
- ॐ पद्मनिलयायै नमः ॥
- ॐ पद्माक्ष्यै नमः ॥
- ॐ पद्मवक्त्रायै नमः ॥
- ॐ शिवानुजायै नमः ॥
- ॐ पुस्तकभृते नमः ॥
- ॐ ज्ञानमुद्रायै नमः ॥
- ॐ रमायै नमः ॥
- ॐ परायै नमः ॥
- ॐ कामरूपायै नमः ॥
- ॐ महाविद्यायै नमः ॥
- ॐ महापातक नाशिन्यै नमः ॥
- ॐ महाश्रयायै नमः ॥
- ॐ मालिन्यै नमः ॥
- ॐ महाभोगायै नमः ॥
- ॐ महाभुजायै नमः ॥
- ॐ महाभागायै नमः ॥
- ॐ महोत्साहायै नमः ॥
- ॐ दिव्याङ्गायै नमः ॥
- ॐ सुरवन्दितायै नमः ॥
- ॐ महाकाल्यै नमः ॥
- ॐ महापाशायै नमः ॥
- ॐ महाकारायै नमः ॥
- ॐ महाङ्कुशायै नमः ॥
- ॐ पीतायै नमः ॥
- ॐ विमलायै नमः ॥
- ॐ विश्वायै नमः ॥
- ॐ विद्युन्मालायै नमः ॥
- ॐ वैष्णव्यै नमः ॥
- ॐ चन्द्रिकायै नमः ॥
- ॐ चन्द्रवदनायै नमः ॥
- ॐ चन्द्रलेखाविभूषितायै नमः ॥
- ॐ सावित्र्यै नमः ॥
- ॐ सुरसायै नमः ॥
- ॐ देव्यै नमः ॥
- ॐ दिव्यालङ्कारभूषितायै नमः ॥
- ॐ वाग्देव्यै नमः ॥
- ॐ वसुधायै नमः ॥
- ॐ तीव्रायै नमः ॥
- ॐ महाभद्रायै नमः ॥
- ॐ महाबलायै नमः ॥
- ॐ भोगदायै नमः ॥
- ॐ भारत्यै नमः ॥
- ॐ भामायै नमः ॥
- ॐ गोविन्दायै नमः ॥
- ॐ गोमत्यै नमः ॥
- ॐ शिवायै नमः ॥
- ॐ जटिलायै नमः ॥
- ॐ विन्ध्यावासायै नमः ॥
- ॐ विन्ध्याचलविराजितायै नमः ॥
- ॐ चण्डिकायै नमः ॥
- ॐ वैष्णव्यै नमः ॥
- ॐ ब्राह्मयै नमः ॥
- ॐ ब्रह्मज्ञानैकसाधनायै नमः ॥
- ॐ सौदामिन्यै नमः ॥
- ॐ सुधामूर्त्यै नमः ॥
- ॐ सुभद्रायै नमः ॥
- ॐ सुरपूजितायै नमः ॥
- ॐ सुवासिन्यै नमः ॥
- ॐ सुनासायै नमः ॥
- ॐ विनिद्रायै नमः ॥
- ॐ पद्मलोचनायै नमः ॥
- ॐ विद्यारूपायै नमः ॥
- ॐ विशालाक्ष्यै नमः ॥
- ॐ ब्रह्मजायायै नमः ॥
- ॐ महाफलायै नमः ॥
- ॐ त्रयीमूर्त्यै नमः ॥
- ॐ त्रिकालज्ञायै नमः ॥
- ॐ त्रिगुणायै नमः ॥
- ॐ शास्त्ररूपिण्यै नमः ॥
- ॐ शुम्भासुरप्रमथिन्यै नमः ॥
- ॐ शुभदायै नमः ॥
- ॐ स्वरात्मिकायै नमः ॥
- ॐ रक्तबीजनिहन्त्र्यै नमः ॥
- ॐ चामुण्डायै नमः ॥
- ॐ अम्बिकायै नमः ॥
- ॐ मुण्डकायप्रहरणायै नमः ॥
- ॐ धूम्रलोचनमर्दनायै नमः ॥
- ॐ सर्वदेवस्तुतायै नमः ॥
- ॐ सौम्यायै नमः ॥
- ॐ सुरासुर नमस्कृतायै नमः ॥
- ॐ कालरात्र्यै नमः ॥
- ॐ कलाधारायै नमः ॥
- ॐ रूपसौभाग्यदायिन्यै नमः ॥
- ॐ वाग्देव्यै नमः ॥
- ॐ वरारोहायै नमः ॥
- ॐ वाराह्यै नमः ॥
- ॐ वारिजासनायै नमः ॥
- ॐ चित्राम्बरायै नमः ॥
- ॐ चित्रगन्धायै नमः ॥
- ॐ चित्रमाल्यविभूषितायै नमः ॥
- ॐ कान्तायै नमः ॥
- ॐ कामप्रदायै नमः ॥
- ॐ वन्द्यायै नमः ॥
- ॐ विद्याधरसुपूजितायै नमः ॥
- ॐ श्वेताननायै नमः ॥
- ॐ नीलभुजायै नमः ॥
- ॐ चतुर्वर्गफलप्रदायै नमः ॥
- ॐ चतुरानन साम्राज्यायै नमः ॥
- ॐ रक्तमध्यायै नमः ॥
- ॐ निरञ्जनायै नमः ॥
- ॐ हंसासनायै नमः ॥
- ॐ नीलजङ्घायै नमः ॥
- ॐ ब्रह्मविष्णुशिवान्मिकायै नमः ॥
॥ इति श्रीसरस्वत्यष्टोत्तरशतनामावलिः सम्पूर्णम् ॥
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।