यहां आरम्भ से लेकर सम्पूर्ण पूजा विधि दिया गया है, पूजा के सभी मंत्रों को शुद्ध रखा गया है। सत्यनारायण पूजा की विधि जो मंत्र सहित भी है। सत्यनारायण पूजा की विधि और नियम संबंधी चर्चा पूर्व आलेख में की जा चुकी है। पहले बताई गई विधि के अनुसार सभी तैयारियां पूरी करके सायंकाल में पूजा करने के लिये बैठें । यदि सपत्नीक (पत्नी के साथ) हों तो ग्रंथि बंधन करके पवित्रीकरण, दिग्बंधन, पंचदेवता व विष्णु पूजन, स्वस्तिवाचन करके संकल्प करें।
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सत्यनारायण पूजा विधि मंत्र सहित – Satyanarayan Puja Vidhi
- पवित्रीकरण मंत्र : ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपि वा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स: बाह्याऽभंतर: शुचि:॥ ॐ पुण्डरीकाक्षः पुनातु ॥ हाथ में गंगाजल/जल लेकर इस मंत्र से शरीर और सभी वस्तुओं पर छिड़के ।
- आसन पवित्रीकरण मंत्र : ॐ पृथ्वि त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥ इस मंत्र से आसन पर जल छिड़क कर आसनशुद्धि करें।
- आचमन : ॐ केशवाय नमः॥ ॐ माधवाय नमः॥ ॐ नारायणाय नमः॥ मुख व हस्त मार्जन (२ बार) ॐ हृषिकेशाय नमः॥ ॐ गोविन्दाय नमः॥
- तिलक : ॐ चन्दनं वन्द्यते नित्यं पवित्रं पापनाशनं। आपदां हरते नित्यं लक्ष्मीर्वसतु सर्वदा ॥
पञ्चदेवता व विष्णु पूजा विधि
पञ्चदेवता व विष्णु पूजा नित्यकर्म का अंग है अर्थात नित्यकर्म पहले करना चाहिये। यदि प्रातः काल नित्यकर्म में पंचदेवता विष्णु पूजा कर ली गयी हो तो पुनः करने की आवश्यकता नहीं होती। किन्तु वर्त्तमान युग में 99.9% लोग नित्यकर्म करते ही नहीं हैं इसकारण पूजा विधि में ही पंचदेवता व विष्णु पूजा भी समाहित कर दी जाती है। पंचदेवता व विष्णु पूजा से पूर्व दस बार गायत्री जप कर लें तत्पश्चात पूजा करें।
जब दिन में पूजा करें तो सूर्यादि पंचदेवता और रात में गणपत्यादि पंचदेवता की करे, ये मिथिला विधि है।
पंञ्चदेवता पूजन :
- अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: इहागच्छत इह तिष्ठत ॥
- जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- अक्षत : इदं अक्षतं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- फूल : पुष्पांजलिं ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवताभ्यो नम: ॥
- विसर्जन : ॐ गणपत्यादि पञ्चदेवता: पूजितास्थ प्रसीदत प्रसन्ना: भवत छमध्वं स्व-स्व स्थानं गच्छत ॥
विष्णु पूजन मंत्र :
- तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् श्रीविष्णो इहागच्छ इह तिष्ठ॥
- जल : एतानि पाद्यार्घाचमनीयस्नानीयानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमःv
- फूल चंदन : इदं सचंदनपुष्पं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- तिल-यव : एते यवतिलाः ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- तुलसी : एतानि तुलसीदलानि ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- जल : एतानि गंधपुष्पधूपदीपताम्बूल यथाभागनैवेद्यं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- जल : आचमनीयं पुनराचमनीयम् ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- फूल : पुष्पांजलिं ॐ भूर्भुवः स्व: भगवते श्री विष्णवे नमः ॥
- विसर्जन : ॐ भूर्भुवः स्व: भगवन् विष्णो पूजितोसि प्रसीद प्रसन्नो भव छमस्व स्व स्थानं गच्छ ॥
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