श्री जानकी स्तवराज – Shri Janaki Stavaraja

श्री जानकी स्तवराज - Shri Janaki Stavaraja

अगस्त्यसंहिता में माता सीता का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जिसका नाम है श्री जानकी स्तवराज (Shri Janaki Stavaraja)। यह स्तुति भगवान शिव के द्वारा की गयी है जो श्रुतियों के प्रश्न करने पर भगवान श्री संकर्षण जी द्वारा वर्णन किया गया है। इस स्तवराज में माता जानकी के चरणारविन्द, चरणतल, अङ्गुली, नूपुर, गुल्फ, श्रीचरण, नितम्ब, कटि, उदर, नाभि, वक्षस्थल, बाहु, कण्ठ, मुखमण्डल, मुख, नकबेसर, नेत्र, भौंह, भाल, कर्ण, कर्णफूल, केशपाश, वेणी, साडी आदि के साथ ही स्वरूप वर्णन करते हुये वंदना की गयी है। यहां संस्कृत में श्रीजानकीस्तवराज दिया गया है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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