हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

अथ हरितालिकाव्रतकथा

विसर्जन : पुष्पाक्षत लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े व अगले मंत्र को पढ़कर विसर्जन करे –

दक्षिणा – नमोऽद्य कृतैतद् हरितालिका व्रत-पूजन तत्कथा श्रवणकर्म प्रतिष्ठार्थमेतावद्रव्य मूल्यकहिरण्यमग्निदैवतं यथा नाम गोत्राय ब्राह्मणाय दक्षिणामहं ददे ॥

दक्षिणा के साथ-साथ ब्राह्मण को प्रचुर अन्न-वस्त्रादि भी प्रदान करे। धातु प्रतिमा हो तो वो भी ब्राह्मण को ही प्रदान करे। मृण्मयी प्रतिमा हो तो जल में विसर्जन करे। विसर्जन प्रतिमा का होता है चौड़ा का नहीं। चौड़ा प्रतीक मात्र है जो छोटा सा बनाया जाता है। प्रतीकात्मक चौड़े में ही मृण्मयी प्रतिमा, दीप देकर विसर्जन किया जाता है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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