हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

हरितालिका तीज व्रत की पूजा कराने व कथा करने के लिये ब्राह्मण की ही अनिवार्यता होती है। पूजा के मंत्र और विधि की जानकारी हो सके और सही से कराया जा सके इसके लिये यहां पूजा की विधि, मंत्र और कथा दी गयी है। हरितालिका व्रत पूजा विधि से संबंधित एक आलेख पूर्व में भी प्रकाशित किया गया है यदि आपने उस आलेख को नहीं पढ़ा है तो पहले उस आलेख को पढ़ लें, जिसमें अन्य जानकारी दी गयी है। यहां पूजा मंत्र और कथा दी गयी है।

हरितालिका तीज पूजा विधि और कथा

हरितालिका तीज व्रत की पूजा विधि संबंधी जानकारी के लिये इस आलेख को पढ़ें : तीज त्यौहार : हरितालिका तीज का महत्व व व्रत-पूजा विधि

हरितालिका तीज पूजा में एक विधान जो अंत में विसर्जनकाल में किया जाता है जिसे चौड़ा विसर्जन कहते हैं वास्तव में पूजा चौड़ा में ही करनी चाहिये। किन्तु चौड़ा का तात्पर्य मात्र एक हाथ का छोटा चौड़ा नहीं होता है, पूजा स्थान को गोबर से लीपकर केले के स्तंभ, चांदनी आदि से सजाकर वहां पूजा करनी चाहिये, बनाया गया छोटा सा चौड़ा मात्र प्रतीकात्मक होता है। यदि चौड़ा में ही करनी हो तो चौड़ा बड़ा बनवाये ताकि उसमें मृण्मयी प्रतिमा रखकर पूजन किया जा सके। चौड़े को केला के पत्ते आदि से सुशोभित कर ले जैसे सत्यनारायण भगवान की पूजा में सिंहासन को किया जाता है।

नित्यकर्म पंचदेवता व गौरी पूजन अथवा केवल गौरी पूजन की जो बात है वो प्रतिमा निर्माण से पहले कर ले। मृण्मयी शिवपार्वती प्रतिमा बनाने के तीन प्रकार की चर्चा पूर्व आलेख में की गयी है कुलपरंपरानुसार शिवपार्वती की मृण्मयी प्रतिमा का निर्माण करे। प्रतिमा मृण्मयी ही हो यह अनिवार्य नहीं है, सामर्थ्यवान सुवर्णमयी प्रतिमा की पूजा भी कर सकते हैं। धातु प्रतिमा ब्राह्मण को दी जाती है मृण्मयी प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है। ताम्रपात्र (थाली) में सुगंधित चन्दन-चौरठ आदि से अष्टदल बनाये, फिर उसपर शिवपार्वती की प्रतिमा बनाकर चौड़ा में रखे। पूजन सामग्री एकत्रित कर ले।

तीज पूजा विधि और मंत्र

पूजा का काल प्रदोषकाल ही होता है अतः प्रदोषकाल में ही पूजा करे। पवित्रीकरणादि करके सर्वप्रथम संकल्प करे। यदि चौदह वर्षों तक ही करना हो तो प्रथम वर्ष चौदह वर्ष करने का संकल्प करे, अन्य वर्षों में संकल्प करे। यदि 14 वर्ष से अधिक भी करना हो तो 14 वर्षों वाला संकल्प प्रथम वर्ष न करे। संकल्प द्रव्य हाथ में लेकर इस प्रकार संकल्प करे :

सङ्कल्पोपरांत कलशस्थापन-पूजन : जिस क्षेत्र में कलश स्थापन करके ही पूजा की जाती हो वहां कलश-स्थापन-पूजन करे जिस क्षेत्र में न की जाती हो वो कलशस्थापन-पूजन के बिना ही उमामहेश्वर की प्राण-प्रतिष्ठा करके पूजा करे। कलश स्थापन पूजन विधि ; फिर पुष्पाक्षतबिल्वपत्रादि लेकर प्राण-प्रतिष्ठा करे :

ध्यान : पुष्पाक्षत लेकर गौरीशंकर का ध्यान करे –

आवाहन : पुष्पाक्षत लेकर मन्दारमाला० … मंत्र पढ़कर अगला मंत्र पढ़े व आवाहन करे –

आसन : पुष्पाक्षत लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े व अगले मंत्र को पढ़कर आसन अर्पित करे –

पाद्य : पाद्य (पांव धोने का जल) लेकर मन्दारमाला ० … मंत्र पढ़े और अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

अर्घ्य : अर्घ्य लेकर मन्दारमाला ० … मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

आचमन : आचमन लेकर मन्दारमाला ० … मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

स्नान : स्नान जल लेकर मन्दारमाला ० … मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

उद्वर्तन : उद्वर्तन नाम मंत्र से अर्पित करे – ‘श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः’

शुद्धोदक स्नान : शुद्धजल लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

वस्त्र : वस्त्र और उपवस्त्रादि लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

यज्ञोपवीत : यज्ञोपवीत लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

आचमन : आचमन जल लेकर – इदमाचमनीयम् ‘श्री उमामहेश्वराभ्यां नमः’

चन्दन : चन्दन लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

अक्षत : अक्षत लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

पुष्प : पुष्प लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

अथाङ्गपूजा

धूप : धूप लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर दिखाये –

दीप : दीप लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर दिखाये –

नैवेद्य : नैवेद्य लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

करोद्वर्त्तन : करोद्वर्त्तन गंध/द्रव्य लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

फल : फल लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

ताम्बूल : ताम्बूल लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

दक्षिणा : दक्षिणा द्रव्य लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

भूषण : भूषण लेकर मन्दारमाला ० …. मंत्र पढ़े और पुनः अगला मंत्र पढ़कर अर्पित करे –

पुष्पाञ्जलि : नाना प्रकार पुष्प लेकर प्रत्येक नामों से अर्पित करे :

नमस्कार

प्रार्थना

पूजन के उपरांत कथा श्रवण करे, कथा की बात जब आती है तो समझने के लिये हिन्दी व अन्य स्थानीय भाषाओं में समझा जा सकता है किन्तु मूल श्रवण संस्कृत में ही करना चाहिये। आगे हरितालिका तीज व्रत कथा संस्कृत में दी गयी है। हरितालिका व्रत कथा पढ़ें

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