दशाश्वमेध घाट पर मोदी का गंगा पूजन और समझने वाली गंभीर तथ्य

आज मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिये तीसरी बार मुक्तिधाम काशी से अपना नामांकन कराया, जिसका आरम्भ दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन करके किया। इस आलेख में सकारात्मक तथ्य तो उजागर किया ही गया है साथ ही नकारात्मक पक्ष जो कोई नहीं उठाने वाला है उजागर किया गया है और अपेक्षा की जाती है कि आगे से ऐसी त्रुटियां देश को देखने न मिले।

मोदी ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन किया

मोदी ने लगभग 15 मिनट 9:35 से 9:50 प्रातः तक 7 ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोच्चार पूर्वक गंगा पूजन किया। फिर क्रूज पर सवार होकर नमो घाट के लिये प्रस्थान किया। पूजा के लिये सभी तैयारी पहले से कर ली गयी थी, सभी ब्राह्मण और सामग्री पहले से घाट (पूजा स्थान) पर उपस्थित थे। लगभग साढ़े नौ बजे मोदी आये और भक्ति-भाव से उन्होंने गंगा पूजन किया।

अधिकांश लोग मोदी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन का एकपक्षीय विचार ही करेंगे। क्या सही हुआ और क्या गलत हुआ सम्यक विचार नहीं करेंगे। यह आलेख सम्यक विचार करने में सहयोगी होगा। मोदी जब गंगा पूजन कर रहे थे तो सब कुछ उचित ही नहीं हो रहा था कई अनुचित व्यवहार भी देखा गया।

मोदी समर्थक मात्र सकारात्मक पक्ष देखेंगे और मोदी विरोधी मात्र नकारात्मक पक्ष देखेंगे। आगे सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तथ्य प्रस्तुत किया गया है :

मोदी ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन किया
मोदी ने दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन किया

मोदी के गंगा पूजा की सकारात्मक बातें

  • देश कई दशकों से भारतीय संस्कृति, भारतीय परम्परा के तिरष्कार का दंश झेलती रही है। आज मोदी ने देश को देश की मूल संस्कृति का स्मरण कराया।
  • देश को ये दिखाया कि किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ करने का विधान है न कि केक या फीता काटने का।
  • मोदी ने देश को यह भी सन्देश दिया कि जब आप पूजा कर रहे होते हैं तो वहां ब्राह्मणों की ही आवश्यकता होती है। पूजा-पाठ मात्र कर्मकांड ही नहीं समझा जाना चाहिये संस्कृति का भी अभिन्न अंग माना जाना चाहिये।
  • दशाश्वमेध घाट पर मोदी ने गंगा पूजन करके देश को ये समझाने का प्रयास किया कि भारत के प्रधानमंत्री की क्या विचारधारा होनी चाहिये ?
  • मोदी ने मात्र दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन ही नहीं किया अगले प्रधानमंत्री के लिये भी मार्गदर्शन किया कि किस पथ पर आगे बढ़ने वाला प्रधानमंत्री बनेगा ?

मोदी के दशाश्वमेध घाट पर गंगा पूजन की नकारात्मक बातें

जिन लोगों ने आज तक भारत में भारत की संस्कृति को सांप्रदायिक घोषित कर रखा था, सदा टोपी धारण करते हुये दिखाई पड़ते थे, राम मंदिर भी न बने इसके लिये अथक प्रयास किया, आगे कृष्ण मंदिर में भी उनसे अड़चन की ही अपेक्षा है उनको क्या सही हुआ और क्या गलत हुआ इस पर कुछ भी बोलने का अधिकार ही नहीं है। नकारात्मक पक्ष उजागर करने में कर्मकांड विधि के 4 उद्देश्य हैं :

गंगा पूजन की नकारात्मक बातें
गंगा पूजन की नकारात्मक बातें
  1. प्रथम ये कि मोदी तानाशाह है या नहीं, मोदी के विरुद्ध निर्भय होकर बोला जा सकता है या नहीं अर्थात लोकतंत्र है या नहीं, विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है या नहीं ये सिद्ध करना।
  2. क्योंकि पिछले दस वर्षों से विरोधियों ने हर दिन लोकतंत्र समाप्त है, विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नहीं है आदि राग अलापते रहे हैं, उन लोगों की आँखें खुल जाएगी ऐसी अपेक्षा है।
  3. मोदी अपने मन की बात करते हैं, लोगों के मन की बात नहीं सुनते ये राग भी दस वर्षों तक अलापा गया था, आगे मोदी ही सिद्ध करेंगे की लोगों के मन की बात सुनते हैं या नहीं।
  4. जब पूजा-पाठ किया जाय तो मोदी स्वयं भी और कराने वाले ब्राह्मण भी शास्त्रोक्त विधि को गंभीरता से लें न कि प्रदर्शन विधि को।

आगे वो तथ्य उजागर किये जा रहे हैं जो अनुचित प्रतीत होता है। लेकिन ये स्पष्ट कर दूं कि यहां प्रस्तुत कोई भी तथ्य सनातन द्रोहियों द्वारा मोदी विरोध का निमित्त नहीं बनाया जाय, कर्मकांड विधि स्पष्टः इन तथ्यों के उपयोग का निषेध करता है, विशेष रूप से सनातन विरोधियों के लिये :

खड़े-खड़े पूजा करना : मोदी और सभी ब्राह्मण खड़े-खड़े ही पूजा कर रहे थे। ये शास्त्रोचित नहीं था। कोई भी कर्म जिसके लिये खड़ा होकर ही करना नहीं कहा गया हो वह बैठकर ही करना चाहिये। उपस्थित ब्राह्मण स्वयं भी खड़े-खड़े मंत्र पढ़ते रहे और मोदी से गंगा पूजन भी कराया। जब भी कोई विशेष अवसर हो जो पूरी दुनियां देखे तो उसमें इन गंभीर विचार करके सूक्ष्मातिसूक्ष्म विषयों का भी ध्यान रखना चाहिये सामान्य विषयों का तो रखना ही चाहिये। इसे मोदी या ब्राह्मण अपनी निंदा न समझें भविष्य में त्रुटि दृष्टिगत न हो इस प्रयोजन से ग्रहण करें।

PM Modi performs pooja at Dashashwamedh Ghat – ANI

ब्राह्मणों का करबद्ध रहना : पूजा काल में उपस्थित सभी ब्राह्मणों को करबद्ध देखा गया। यह अनुचित था, ब्राह्मणों को आशीर्वाद देना चाहिये था और आशीर्वाद देते दिखना भी चाहिये था। इसे भी मोदी और वो ब्राह्मण जो भविष्य में कभी मोदी के साथ दिखने वाले हैं उनको ध्यान रखना चाहिये। प्रणाम मोदी करेंगे ब्राह्मण आशीर्वाद देंगे न की करबद्ध रहेंगे।

मोदी का धोती न पहनना : यद्यपि सुरक्षा कारणों से कुर्ता के लिये अनुमति दी जा सकती है लेकिन पूजा काल में धोती पहनना अनिवार्य होता है। पैजामा पहनकर पूजा नहीं की जा सकती। आगे से पूजा कराने वाले ब्राह्मण और स्वयं मोदी भी ये त्रुटि न करें मात्र इतना भाव ग्राह्य है।

विपक्ष को मात्र इतना ही कहना उचित रहेगा कि जो करता है गलतियां उसी से होती है और सुधार की अपेक्षा भी उसी से की जाती है। जो करता ही न हो उससे गलती कैसे होगी। मोदी ने किया इसलिये गलती हुयी, गलती हुयी का तात्पर्य मोदी नई निंदा करें ये नहीं है अपितु आगे सुधार हो ये है।

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