छठ पूजा की विधि

छठ पूजा का महत्व क्या है – 8 Points

छठ पूजा का महत्व क्या है : अपनी विशेष उपासना विधि और आकर्षकों के कारण, छठ पूजा एक भारतीय सांस्कृतिक धरोहर मानी जाती है। प्रचलित झूठी और मनगढंत बातें छठ पूजा के वास्तविक महत्व को छिपाती हैं। यह लेख विस्तार पूर्वक छठ पूजा के विभिन्न पहलुओं को उजागर करता है, जिसके माध्यम से हमें इसकी गूढ़ बातें और महत्व का ज्ञान होता है।

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कर्मकांड के प्रकार

कर्मकांड के प्रकार

कर्मकांड के प्रकार : कर्मकांड के विभाजन की चर्चा करते समय हमें ‘कर्म (actions)’ के प्रकार को समझना नहीं चाहिए। यह भी स्पष्ट है कि वेदों के आधार पर कर्मकांड के प्रकार का विभाजन करने का विचार भी प्रासंगिक नहीं होता है। कर्मकांड को वास्तव में केवल दो प्रकार से विभाजित किया जा सकता है: 1) अब्राह्मण कर्मकांड, जिसे स्वयं किया जा सकता है और इसमें ब्राह्मण की आवश्यकता नहीं होती। 2) सब्रह्माण कर्मकांड, जिसे बिना ब्राह्मण के सम्पादन नहीं किया जा सकता है। अत: कर्मकांड की प्रकारों का निर्धारण कर्मों के आधार पर होता है, लेकिन वे कर्म के प्रकार से भिन्न हो

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26 एकादशी के नाम

कर्मकांड में क्या क्या आता है ?

कर्मकांड में क्या क्या आता है : यह पोस्ट जीवन में कर्मकाण्ड की आवश्यकता व्याख्या करती है। ऐसा दावा किया गया है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक और सोने से जागने तक, हमारे सभी कर्म कर्मकाण्ड के अंतर्गत आते हैं। कर्मकाण्ड में प्रत्येक कर्म की विधियाँ, विहित, निषिद्ध इत्यादि संकलित होती हैं जो धार्मिक ग्रंथों में मिलती हैं। सुख, दुःख या शांति की प्राप्ति के लिए हमें अनुचित कर्म करने पड़ते हैं, जिसकी विधि शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा भी माना गया है कि कर्म का त्याग करना संभव नहीं है, हालाँकि कर्म फल की इच्छा का त्याग किया जा सकता है।

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कर्मकांड क्या है – Karmkand kya hai

कर्मकांड क्या है – Karmkand kya hai : कर्मकांड से पहले ‘कर्म’ और ‘कांड’ को समझना जरूरी है। कर्म जीवन में हमारे द्वारा किए गए सभी कार्य हैं, जो अनेक दृष्टीकोणों से विश्लेषित किए जा सकते हैं। ‘कांड’ हमारे द्वारा किए गए कार्यों के खंड, भाग या घटना होते हैं। ‘कर्मकांड’ में, ‘कर्म’ अध्यात्मिकता का एक खंड होता है और इस खंड के विधान को ‘कर्मकांड’ कहते हैं। इसका उद्देश्य लौकिक और पारलौकिक सुख की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करना है।

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नित्यकर्म विधि

कौन सी पुस्तक – सबसे अच्छी है?

कौन सी पुस्तक – सबसे अच्छी है? यह विचार करने का विषय है कि दुनियां की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कौन सी हो सकती है। ‘जीवनचर्या’ अर्थात ‘नित्यकर्म’ की व्याख्या करने वाली पुस्तक ही सर्वाधिक उपयोगी और महत्त्वपूर्ण हो सकती है। ऐसी पुस्तक; ज्ञानार्जन, आर्थिक सफलता, स्वास्थ्य, और अन्य सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में सहायक हो सकती है। ‘नित्यकर्म पद्धति’ जैसी पुस्तकें हमें जीवन के प्रतिदिन के क्रिया-कलापों को सही ढंग से पूरा करने में सहयोग करती है।

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घर में लक्ष्मी कब आती है

घर में लक्ष्मी कब आती है – 1 Important Days

घर में लक्ष्मी कब आती है : अर्द्धरात्रि को लक्ष्मी अपना निवास स्थान ढूंढने के लिये भ्रमण करती है। अतः घर को फूल-माला आदि से सजाकर; स्वयं अलंकृत होकर (सज-संवरकर) लक्ष्मी के स्वागत में दीपोत्सव करें।

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घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है : यह पोस्ट माता लक्ष्मी की अकृपा और दरिद्रता के कारणों पर आधारित है। यह सुझाव देती है कि कुण्डली दोष, वास्तु दोष, पितृ दोष, कर्म का फल, धन का दुरुपयोग, और कुदृष्टि, इन सभी चीजों से बचना महत्वपूर्ण है। पितरों का श्राद्ध-तर्पण, ब्राह्मण और गाय की सेवा, और मंदिरों की सफाई, ये सब चीजें लक्ष्मी की कृपा को बनाए रखने में मदद करती हैं। अगर धन उपलब्ध हो, तो उसका उपयोग दान और भोग में करना चाहिए, नहीं तो उसका नाश संभावित है। इस पोस्ट में लक्ष्मी की अकृपा के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डाला गया है

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पूजा क्या है ?

पूजा क्या है – Puja Kya hai

पूजा क्या है – Puja Kya hai : प्रत्येक मनुष्य जीवन में सुख, समृद्धि, शांति आदि की इच्छा करता है और जीवन के बाद भी स्वर्गादि की प्राप्ति हो। ये सभी कामना हैं जो दो प्रकार के सिद्ध होते हैं; पहला लौकिक और दूसरा पारलौकिक। शास्त्रों में चार पुरुषार्थ कहे गये हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। लेकिन पुरुषार्थ चतुष्टय भी इन दोनों प्रकारों में सन्निहित है। पूजा की सामान्य परिभाषा इस प्रकार से की जाती है कि जो लौकिक व पारलौकिक सुखों/भोगों को उत्त्पन्न करती है वह पूजा है। वास्तविक अर्थ में कल्याण कामना से भगवान, देवताओं, गुरु और ब्राह्मणों की विविध द्रव्यों से आराधना करना ही पूजा है। अन्यत्र आदर-सम्मान-सेवा-सुश्रुषा करना पूजा का समानार्थी है।

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सरल पूजा विधि

दीपक के नीचे रखे चावल का क्या करें – deepak ke niche rakhe chawal ka kya karen

दीपक के नीचे रखे चावल का क्या करें : दीपक के नीचे चावल तब रखा जाता है, जब दीपक के लिए आसन नहीं होता, क्योंकि दीपक को भूमि पर सीधे नहीं रखा जाता हैं। चावल को वैकल्पिक आसन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। और कारण यह होता है कि दीपक में भी देवत्व होता है, और शास्त्रों के अनुसार भूमि पर दीपक को रखने के निषेध होता है। इसलिए, दीपक के लिए आसन की आवश्यकता होती है, और जब यह नहीं होता, तब चावल का प्रयोग किया जाता है। दीपक देवताओं के दाहिनी ओर और देवियों के बांयी ओर रखनी चाहिए।

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उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण

उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण क्या है? पितृ विसर्जन कब करें? पितृ विसर्जन कैसे किया जाता है?

उल्काभ्रमण का शास्त्रीय प्रमाण क्या है? पितृ विसर्जन कब करें? पितृ विसर्जन कैसे किया जाता है? – पितृपक्ष में यमलोक से पितृगण पृथ्वी पर अन्न-जलादि की आकांक्षा से आते हैं; और पितरों के आने से ही महालय सिद्ध होता है। पितृपक्ष में तर्पण-श्राद्ध आदि के द्वारा पितरों को अन्न-जलादि प्रदान किया जाता है। यदि पितर गण यमलोक से आते हैं तो वापस भी जाना ही चाहिए। कार्तिक अमावास्या को पितर वापस यमलोक जाते हैं।

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