क्या आप जानते हैं राम लला की प्राण प्रतिष्ठा बाल रूप में क्यों हुई ?

यहां दिये गये 14 प्रश्नों से ही ये स्पष्ट होता है कि राम लला की प्राण प्रतिष्ठा बाल रूप में क्यों हुई ? और हम यह आशा करते हैं कि सभी को इस प्रश्न का उत्तर मिल भी गया होगा।

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ज्ञानवापी सर्वे का निष्कर्ष क्या है

ज्ञानवापी सर्वे का निष्कर्ष क्या है ?

वर्षों से चल रहे ज्ञानवापी प्रकरण का सर्वे रिपोर्ट न्यायालय के आदेश से 25 जनवरी 2024 को सार्वजनिक की जा चुकी है। सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद कई महत्वपूर्ण बातें सामने आयी है। सनातनियों का दृढ विश्वास की ज्ञानवापी ही भगवान विश्वनाथ का वास्तविक मंदिर है यह और पुष्ट हो गया है।

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राम राज्य कब आयेगा

राम राज्य कब आयेगा ?

राम राज्य का सीधा भाव यह होता है कि सभी सुखी-सम्पन्न हों, चिन्तामुक्त जीवन हो, किसी प्रकार का भय न हो इत्यादि-इत्यादि । इसको अगर थोड़ा शब्दांतर से समझने का प्रयास करें तो इस प्रकार का भी अर्थ प्रकट हो सकता है :-

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अयोध्या राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से क्या सीख मिली

अयोध्या राम मंदिर निर्माण और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से क्या सीख मिली ?

बुद्धिमान वो होता है जो गलतियों से सीख ले, विद्वान वो होता है जो आत्म कल्याण करते हुए औरों का कल्याण करने में सक्षम हो। मंदिर, मूर्ति, प्राण-प्रतिष्ठा, महोत्सव आदि सभी विषयों पर कुछ विवाद भी उत्पन्न हुए, जिससे आगे काशी, मथुरा आदि के संबंध में कुछ सीख प्राप्त हुई ।

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भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा

भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा

भारतीय संस्कृति का इतिहास धरती के ऊपर ही नहीं धरती के भीतर तक लिखा हुआ है, नदियों से समुद्र तक लिखा हुआ है, पत्थरों पर ही नहीं पहाड़ों पर भी लिखा हुआ है, सूर्य-चन्द्रमा-नक्षत्र-तारों तक लिखा हुआ है जिसे पन्नों में इतिहास लिखने-पढ़ने वाले कैसे पढ़ें ? उन्हें तो यह भाषा/विधा ही नहीं आती है।

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श्री राम के अयोध्या आगमन पर हनुमान नाच और और भक्त गा रहे हैं

श्री राम के अयोध्या आगमन पर हनुमान नाच और और भक्त गा रहे हैं

राम लला के अयोध्या आगमन पर सबसे अधिक प्रसन्न होकर हनुमान जी नाच रहे हैं और भक्त गा रहे हैं – राम हमारे अयोध्या पधारे, नाच रहे हनुमान। जय श्री राम :- इस भजन में इतिहास को भी समाहित किया गया है।

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ये क्या हो गया ? शंकराचार्य शास्त्रार्थ करेंगे या पदत्याग – दो ही विकल्प हैं एक ओर गड्ढा दूसरी ओर खाई

ये क्या हो गया ? शंकराचार्य शास्त्रार्थ करेंगे या पदत्याग – दो ही विकल्प हैं एक ओर गड्ढा दूसरी ओर खाई।

श्रीमद् जगद्गुरु वैदेही वल्लभ देवाचार्य का कहना है कि जिस शंकराचार्य ने प्राण-प्रतिष्ठा के इस आधार को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया है, उन्हें स्वयं सनातन धर्म शास्त्र का ज्ञान नहीं है।

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क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में असुर की पूजा हो रही है – शंकराचार्य जी

क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में असुर की पूजा हो रही है – शंकराचार्य जी ?

जिस प्रकार से ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद इस बात को लेकर अड़े हुये हैं कि बिना शिखर के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जा सकती और यदि अयोध्या राम मंदिर में ऐसा किया जा रहा है तो वह आसुरी हो जायेगा तो इससे एक नया प्रश्न उठ गया है : क्या देश के लाखों ठाकुरबाड़ी में भगवान राम की नहीं असुर की पूजा हो रही है ?

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शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

शंकराचार्य पद का महत्व – ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य का योगदान; शिखर संबंधी नया विषय प्रकट हुआ

इस आलेख में मंदिरों में शिखर की अनिवार्यता से सम्बंधित एक नये विषय के प्रकट होने की चर्चा कि गयी है, जो देश के लाखों राम और कृष्ण मंदिरों (ठाकुरवारियों) के सन्दर्भ में विचारणीय है।

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शंकराचार्य का कथन १००% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है

शंकराचार्य का कथन 100% सही है – लेकिन राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी गलत नहीं है।

कर्मकांड विधि का इस आलेख में मात्र इतना उद्देश्य है कि देशभर के श्रद्धालु रामभक्तों के मन में जो संशय उत्पन्न करने का प्रयास किया जा रहा है उसका निस्तारण हो सके। प्रलाप करने वालों के लिये समय नष्ट करना भी अनावश्यक है। प्रलाप करने वालों के लिये गोस्वामी तुलसीदास की सर्वोत्तम चौपाई जो उन्हें सचेत करती है वह है : संकर सहस विष्णु अज तोहिं । सकहिं न राखि राम कर द्रोही॥

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