नवरात्रि कब है - navratri kab hai 2025

नवरात्रि कब है – navratri kab hai 2025

नवरात्रि कब है – navratri kab hai 2025 : वर्ष में चार नवरात्रायें होती हैं जो आश्विन, माघ, चैत्र और आषाढ मासों के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी दिन तक का होता है। इस आलेख में नवरात्रा 2025 के विषय में पूरी जानकारी दी गयी है, इसके साथ ही नवरात्रा के महत्व, नवरात्रा व्रत के नियम, नवरात्रा की कथा आदि के बारे में भी चर्चा की गयी है।

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विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा

विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा

विजयादशमी : दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजा : आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होने वाली शारदीय नवरात्रि आश्विन शुक्ल दशमी को संपन्न होती है। आश्विन शुक्ल दशमी को विजयादशमी भी कहा जाता है, दशहरा भी कहा जाता है और यात्रा भी। विजयादशमी के दिन भगवती दुर्गा, कलश आदि का विसर्जन किया जाता है, अपराजिता पूजा की जाती है, जयंती धारण किया जाता है।

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कुमारी कन्या का पूजन

कुमारी कन्या पूजन विधि – Kumari kanya pujan vidhi

कुमारी कन्या पूजन विधि : शारदीय नवरात्रि जो कि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से दशमी पर्यन्त होती है कुमारी कन्या का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शतचंडी आदि यज्ञों में भी कुमारी कन्या को भगवती का ही स्वरूप मानकर पूजा की जाती है।

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दुर्गा पूजा : कुष्मांड बलि विधि

कुष्मांड बलि विधि – bali 2

कुष्मांड बलि विधि : पशुबलि का विधान सबके लिये नहीं है, जैसे वैष्णव व ब्राह्मणों के लिये पशुबलि का निषेध है किन्तु चण्डी की अर्चना में बलि अनिवार्य है इस कारण वैष्णव व ब्राह्मण जब चण्डी की अराधना करें तो उनके लिये पशुबलि के स्थान पर कूष्मांडबलि का विधान शास्त्रों में बताया गया है।

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दुर्गा पूजा विधि : छागबलि

नवरात्रि पूजा : छाग बलि विधि और मंत्र – Bali 1

छाग बलि विधि : शाक्तों के लिये बलि शास्त्रसम्मत है, यदि निषिद्ध है तो वैष्णवों के लिये। वैष्णवों को अपना ज्ञान वैष्णवों में ही बांटना चाहिये शाक्तों के धर्म में बाधा नहीं करनी चाहिये।

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नवरात्र हवन विधि

नवरात्रि हवन विधि मंत्र PDF सहित : तिथि 9वीं हवन

नवरात्रि हवन विधि मंत्र PDF : हवन कर्मकांड का वो भाग है जिसमें देवता को आहुति रूपी भोजन प्रदान किया जाता है। हवन करने वाले को यह अनिवार्य रूप से ध्यान रखना चाहिये कि जो आहुति दी जा रही है उसे देवता अस्वीकार न करें। शारदीय नवरात्रि हो अथवा चैत्र नवरात्रि अथवा गुप्त नवरात्रि सबमें हवन की समान विधि ही होती है

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महानवमी त्रिशूलिनी पूजा

महानवमी त्रिशूलिनी पूजा – Puja No. 9

महानवमी त्रिशूलिनी पूजा : महानवमी के दिन सामान्य पूजा के अतिरिक्त तीन कर्म पाये जाते हैं : प्रथम त्रिशूलिनी पूजा, द्वितीय हवन, तृतीय सायंकृत्य। इसके साथ ही एक और मुख्यकर्म बलिदान भी पाया जाता है। महासप्तमी और महाष्टमी के दिन सामान्य बलि विधान कृताकृत है किन्तु महानवमी के दिन कृत्य है। महानवमी के दिन ब्राह्मण वर्ण के अतिरिक्त अन्य वर्णों के लिये बलिकर्म कृत्य कर्म है कृताकृत सिद्ध नहीं होता है।

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महाष्टमी पूजा, निशापूजा विधि, देवी जागरण

महाष्टमी निशापूजा, देवी जागरण – Navratri 8

नवरात्र में निशीथव्यापिनी अष्टमी को महानिशापूजा होती है। इसी को जगरना या देवी जागरण आदि भी कहा जाता है। यह प्रायः उदयव्यापिनी सप्तमी के दिन ही प्राप्त होता है तथापि यह आवश्यक नहीं है। उदयव्यापिनी अष्टमी भी निशीथव्यापिनी हो सकती है। जब उदयव्यापिनी अष्टमी ही निशीथव्यापिनी भी होती है तब अगले दिन निशापूजा किया जाता है।

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दुर्गा पूजा : पत्रिकाप्रवेश विधि, महासप्तमी पूजा, नवपत्रिका पूजा

पत्रिकाप्रवेश : नवपत्रिका पूजा, महासप्तमी पूजा – 9 patrika puja

सप्तमी के दिन किये जाने वाले पूजा को पत्रिकाप्रवेश : नवपत्रिका पूजा, महासप्तमी पूजा – पत्रिका प्रवेश और महासप्तमी पूजा कहा जाता है। यहां बिल्वानयन, पत्रिकाप्रवेश, नवपत्रिका पूजन और महासप्तमी पूजन विधि एवं मंत्र दिये गये हैं।

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दुर्गा पूजा : बिल्वाभिमन्त्रण विधि

दुर्गा पूजा : बिल्वाभिमन्त्रण विधि

दुर्गा पूजा : बिल्वाभिमन्त्रण विधि – नवरात्र की पिछली तीनों तिथियां विशेष हैं – महासप्तमी, महाष्टमी और महानवमी । इन तीनों दिनों विशेष पूजा की जाती और उसका प्रारंभ षष्ठी को सायंकाल से ही हो जाता है। षष्ठी को सायंकाल में बिल्वाभिमंत्रण किया जाता है जिसे अगली प्रातः में भगवती का आवाहन-पूजन करने हेतु शिविका में स्थापित करके लाया जाता है।

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