घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है

नहि दरिद्र सम दुःख जग माही।

लक्ष्मी धन, संपत्ति और समृद्धि की प्रतीक है। जो लक्ष्मीहीन होता है वह बहुत ही दुखी होता है। गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई का अंश है “नहि दरिद्र सम दुःख जग माही।” अर्थात संसार में दरिद्रता के सामान कोई और दूसरा दुःख नहीं होता है। हम यहां लक्ष्मी की अकृपा के कारणों की चर्चा तो करेंगे ही साथ ही यदि लक्ष्मी की कृपा प्राप्त है तो वो निरंतर कैसे बनी रहेगी इसको भी समझने का प्रयास करेंगे। लक्ष्मी की अकृपा के मुख्य कारण इस प्रकार कहे जा सकते हैं।

घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है?
घर में लक्ष्मी क्यों नहीं आती है?
  1. कुण्डली का दोष : सबसे पहले कुण्डली का अध्ययन कराना चाहिये। कुण्डली से मनुष्य की आर्थिक उन्नति, आय और लाभ का स्तर, व्यय का प्रकार और मात्रा, धन संग्रह की स्थिति आदि ज्ञात हो सकती है। यदि किसी ग्रह संबंधी बाधा रहे तो उसका निराकरण करना चाहिये।
  2. वास्तु दोष : वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के निर्माण में दोष होने से भी लक्ष्मी का आगमन रुक सकता है, दुःख-दरिद्रता का वास हो सकता है।
  3. पितृ दोष : यदि पितृ दोष हो अर्थात पितरगण अप्रसन्न हों तो भी जीवन में समस्याओं की बाढ़ सी आ जाती है। इसलिये पितरों का श्राद्ध-तर्पण आदि समय-समय पर करते रहना चाहिये। तथा जहां शास्त्रवर्णित है उस स्थिति में तो अनिवार्य रूप से करना चाहिये।
  4. कर्म का फल: गोस्वामी जी की ही एक और चौपाई है : करम प्रधान विश्व करि राखा। जो जस करहिं सो तस फल चाखा।।” मनुष्य अपने कर्मों का फल भी भविष्य में कभी न कभी अवश्य पाता है। कुछ पूर्व जन्मों के कर्मों का फल प्राप्त होता है और कुछ वर्तमान जन्म के भूतकाल में किये गये कर्मों का फल होता है। वर्तमान जन्म में सदैव सजग रहना चाहिये और कुकर्मों से दूर रहना चाहिये। पूर्व जन्मों के दोष का निवारण करने के लिये भगवान से प्रार्थना करनी चाहिये। विविध प्रकार के व्रत-जप-पूजा आदि का शास्त्रों में निर्देश प्राप्त होता है।
  5. धन का दुरुपयोग करना : यह दो प्रकार से प्रभावी होता है; पहला तो ये कि यदि धन का दुरुपयोग/अपव्यय करते हैं तो धन का नाश स्वभावतः होता है। दूसरा यह कि वित्त की तीन गति बताई गई है : “वित्तस्य तिस्रः गतयः दानं भोगो नाशः।” प्रथम – दान, द्वितीय – भोग और तृतीय नाश। जो मनुष्य धन का दो प्रकार से उपयोग नहीं करता दान और भोग उसके धन की निःसंदेह तृतीय गति अर्थात नाश ही संभावित रहती है। अतः यदि लक्ष्मी की कृपा हो धन-संपत्ति रहे तो प्रथम दो प्रकार से ही उसका उपयोग करते रहना चाहिये। यदि उपयोग नहीं किया जाय तो चंचला लक्ष्मी स्वतः त्याग कर देती है।
  6. कुदृष्टि : एक अन्य कारण कुदृष्टि दोष भी बताया जाता है जिसे नजर लगना भी बोला जाता है। कुदृष्टि निवारण हेतु अनेक प्रकार के टोने-टोटके भी बताये जाते हैं। लेकिन यह ध्यातव्य है कि टोने-टोटकों से केवल कुदृष्टि का ही निवारण हो सकता है, अन्य दोषों का नहीं।

दोषों का प्रभाव और निवारण :

घर में लक्ष्मी कब आती है ?
घर में लक्ष्मी कब आती है ?

लक्ष्मी की अप्रसन्नता के पांच मुख्य कारण :-

एक महत्वपूर्ण श्लोक भी है जिसमें पांच मुख्य कारण बताये गये हैं जिस कारण से लक्ष्मी परित्याग करती है –

F&Q :

प्रश्न : संसार में सबसे बड़ा दुःख क्या है ?
उत्तर : संसार का सबसे बड़ा दुःख दरिद्रता है। गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई का अंश है “नहि दरिद्र सम दुःख जग माही।”

प्रश्न : लक्ष्मी की अप्रसन्नता का पांच मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर : गन्दा कपड़ा पहनना, दांत गन्दा रखना, बहुत अधिक भोजन करना, निष्ठुर वचन बोलना और सूयोदय एवं सूर्यास्त के समय शयन करना ये पांचो कारण ऐसे हैं कि यदि विष्णु भगवान भी रखें तो लक्ष्मी उन्हें भी छोड़ दे; फिर मनुष्य की तो बात ही क्या है।

प्रश्न : लक्ष्मी आराधना का वैदिक सूक्त क्या है ?
उत्तर : लक्ष्मी की आराधना के लिये ऋग्वेदोक्त सूक्त का नाम श्रीसूक्त है।

प्रश्न : धन का क्या-क्या उपयोग होता है ?
उत्तर : वित्त की तीन गति बताई गई है : “वित्तस्य तिस्रः गतयः दानं भोगो नाशः।” प्रथम – दान, द्वितीय – भोग और तृतीय नाश। जो मनुष्य धन का दो प्रकार से उपयोग नहीं करता दान और भोग उसके धन की निःसंदेह तृतीय गति अर्थात नाश ही संभावित रहती है।

प्रश्न : दरिद्रता और अन्य समस्याओं से घिर जाने पर क्या करना चाहिये ?
उत्तर : दरिद्रता और अन्य समस्याओं से घिर जाने पर व्यक्ति को सेवा मार्ग का चयन करना चाहिये – गुरु, ब्राह्मण और गाय की सेवा, मंदिरों को स्वच्छ करनाआदि।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।


Discover more from संपूर्ण कर्मकांड विधि

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Leave a Reply