नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र – Nitya Karm Puja

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

यह लेख नित्यकर्म और उनके महत्व के बारे में है। यह बताता है कि नित्यकर्म मानव जीवन के दोषों को मार्जित करने और उत्तरदायित्वों को निभाने के लिए आवश्यक होते हैं। ऐसे कर्म, जो शास्त्रोक्त विधि के अनुसार प्रतिदिन किये जाते हैं, नित्यकर्म कहलाते हैं। ये न केवल सामान्य नित्यकर्म होते हैं, बल्कि मनुष्यत्व के सार्थकता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। नित्यकर्म क्या-क्या है, नित्यकर्म के लाभ क्या-क्या हैं की चर्चा करते हुये नित्यकर्म के संबंध में अन्य विशेष महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गयी है।

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र – Nitya Karm Puja

मनुष्य ही नहीं सभी पशु-पक्षी भी कुछ सामान्य कर्म प्रतिदिन करते हैं – शयन, जागरण, मल-मूत्रोत्सर्ग, भोजन आदि। इन कर्मों के आधार पर मनुष्यता सिद्ध नहीं होती। फिर अगला नित्यकर्म स्नान आता है जो बहुत लोग करते हैं बहुत नहीं भी करते। लेकिन इसमें भी मनुष्य की कोई मनुष्यता सिद्ध नहीं होती क्योंकि बहुत पशु-पक्षी भी प्रतिदिन स्नान करते हैं। ये सामान्य नित्यकर्म हैं।

लेकिन मनुष्य को पशुओं से विशिष्ट कहा जाता है फिर मनुष्यों के नित्यकर्म भी विशेष होने चाहिये, अन्यथा विशिष्टता सिद्धि नहीं होगी। विवेकशील होने का तात्पर्य यही है की मनुष्य कुछ विशेष कार्य भी करते हैं जो विवेकी होने की पहचान होती है।

मनुष्य होना सौभाग्य की बात है “बड़े भाग मानुष तनु पावा” – गोस्वामी तुलसीदास। पुनः “सुरदुर्लभ सद ग्रंथन्हि गावा” अर्थात मानव शरीर धारण करना देवताओं के लिये भी दुर्लभ है। लेकिन क्यों ? मानव होना दुर्लभ क्यों है ? क्योंकि – “साधन धाम मोक्ष कर द्वारा” – गोस्वामी तुलसीदास। जो जीव मोक्षदायी कर्मों का पात्र होता है उसे ही मानव शरीर की प्राप्ति होती है।

नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता, Nitya Karm
नित्यकर्म विधि – भाग ३, शुचिता
  • सामान्य नित्यकर्म केवल कुछ सीमा तक शारीरिक शुचित्व व जीवन रक्षण का अंग होता है।
  • नित्यकर्म अर्थात शास्त्रोक्त नित्यकर्म का उद्देश्य विशेष शारीरिक शुचित्व, जीवन निर्वहन व आत्मोन्नति करना होता है।
  • ऐसे भी अविवेकी मनुष्य होते हैं जो आत्मा को नहीं मानते। जो आत्मा को ही नहीं मानते उनके लिये नित्यकर्म क्या ? शास्त्र क्या ? वेद क्या ? धर्म क्या ?

नित्य कर्म के लाभ – Benefits of Nitya Karm

  • नित्य कर्म के लाभ
  • Benefits of Nitya Karm
  • नित्यकर्म करने से सबसे पहला लाभ होता है उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति। अच्छे स्वास्थ्य को ही पहला सुख कहा गया है। स्वास्थ्य ही सर्वश्रेष्ठ संपत्ति होती है।
  • नित्यकर्म करने से मानसिक संतुलन, विकास, शांति मिलता है।
  • नित्यकर्म करने से दैनिक दोषों/पापों का निवारण होता है।
  • नित्यकर्म करने के बाद अन्य नैमित्तिक/काम्य आदि कर्मों की योग्यता प्राप्त होती है।
  • नित्यकर्म करने से आर्थिक उन्नति अर्थात धन-संपत्ति आदि की वृद्धि होती है।
  • नित्यकर्म करने से प्राप्त धन और संपत्ति का संरक्षण होता है अर्थात विनाश का खतरा नहीं होता।
  • यदि प्रारब्ध के कारण धन-सम्पत्ति नष्ट हो भी जाये तो नित्यकर्म करने से शीघ्र ही पुनः प्राप्त भी होता है।
  • The first benefit of doing daily rituals is achieving good health. Good health has been called the first happiness. Health is the best wealth.
  • Doing daily rituals brings mental balance, development and peace.
  • By performing daily rituals daily sins/defects are eliminated.
  • After doing daily rituals, one gets the ability to do other Naimittik/Kamya activities etc.
  • Doing daily rituals leads to economic progress i.e. increase in wealth etc.
  • By performing daily rituals, the money and property obtained is protected, that is, there is no danger of destruction.
  • Even if wealth is lost due to destiny, it can be regained soon by performing daily rituals.

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