रामार्चा पूजा विधि : रामार्चा राजसी पूजा है जिसमें एक मंडप की भी आवश्यकता होती है। जब कभी भी मंडप निर्माण किया जाता है तो मंडप स्थापना विधि पूर्वक ही करना चाहिये। इसके साथ ही रामार्चा में जिस प्रकार अधिक धन व्यय होता है उस प्रकार से ही सविधि हवन करना भी अनिवार्य समझा जाना चाहिये। सविधि हवन करने के लिये एक सुयोग्य आचार्य की आवश्यकता होती है। इस आलेख में रामार्चा की विधि और मंत्र दिया गया है साथ ही रामार्चा पूजा के लिये वेदी का भी एक नया प्रारूप दिया गया है।
मंडप स्थापना
रामार्चा करने के लिये मंडप निर्माण आवश्यक होता है। कोई भी यज्ञ-तुल्य पूजा-अनुष्ठान-संस्कार बिना मंडप के नहीं किये जाते हैं और रामार्चा भी यज्ञ तुल्य माना गया है इसलिये बिना मंडप के रामार्चा नहीं करनी चाहिये। मंडप निर्माण एवं स्थापना की भी शास्त्रों में एक विशेष विधि बताई गयी है। किसी शुभ दिन में मंडप निर्माण करना चाहिये। मंडप निर्माण से पूर्व नान्दीमुख श्राद्ध कर लेना चाहिये। मंडप पूजन विधि के लिए यहां क्लिक करें।
पूजा संबंधी विशेष महत्वपूर्ण बातें :
- रामार्चा दोपहर में या उसके बाद करना अधिक प्रशस्त होता है।
- पूजा आरम्भ करने से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें।
- पञ्चगव्य प्राशन, पञ्चगव्य स्नान और पञ्चगव्य प्रोक्षण पूजा आरम्भ करने से पहले ही कर लें।
- पूजा कराने वाले आचार्य को विद्वान ब्राह्मण होना चाहिये। आचार्य को उच्च आसन प्रदान करें।
- शास्त्रीय विधि से वस्त्र धारण करें।
- रामार्चा राजसी पूजा है अतः कृपणता पूर्वक न करें।
- क्रोध-दुर्व्यसन आदि का त्याग कर पूजा करें।
- प्रदर्शन (दिखावा) करने के लिये रामार्चा का आडम्बर न करें।
- धूप के लिये धूप का ही प्रयोग करें न कि अगरबत्ती का।
- चन्दन-धूप-दीप-नैवेद्य के समय भी घंटी बजायें अर्थात घंटी बजाते हुये अर्पित करें।

रामार्चा पूजा चार चरणों में सम्पादित किया जाता है। प्रथम चरण में स्वातिवाचन, संकल्प, आचार्य वरण, आचार्य पूजा, कलशस्थापन-पूजन, गणेशाम्बिका पूजन आदि किया जाता है। (वास्तु वेदी पूजन मंडपांग है अतः प्रथम चरण में वास्तु पूजन भी करना चाहिये) द्वितीय चरण में रामार्चा वेदी की पूजा जो तीन आवरणों में होती है की जाती है। तृतीय चरण कथा है एवं चतुर्थ चरण में हवन, आरती विसर्जन, ब्राह्मण-साधु भोजन आदि आता है। प्रथम चरण की विधियां पूर्व प्रकाशित हैं जिसके लिंक यहां दिये जा रहे हैं : पवित्रीकरण, दिग्बन्धन, स्वस्तिवाचन, गणेशाम्बिका पूजन, संकल्प, कलशस्थापन, वास्तुपूजन।