अब हम रथयात्रा करने की विधि को समझेंगे। विभिन्न प्रतिष्ठा पद्धतियों में रथयात्रा विधि के सम्बन्ध में मौन भाव का आभासित होता है। तथापि कर्मकाण्ड विधि के द्वारा इस विषय में शास्त्र सम्मत विधियों के आलोक में मौन को भंग करने का प्रयास किया जा रहा है। इस विषय में आप अपना विचार मार्गदर्शन हमें प्रदान कर सकते हैं। इस आलेख में रथयात्रा की विधि और मंत्र बताई गयी है।
रथयात्रा कब करे इस विषय में चर्चा पूर्व आलेख में की जा चुकी है यदि आपने वो आलेख नहीं पढ़ा है तो यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं : रथयात्रा – प्राण प्रतिष्ठा विधि
रथयात्रा विधि – प्राण प्रतिष्ठा
- सर्वप्रथम मण्डप के पश्चिम द्वार पर रथ मंगाये।
- रक्षोघ्न सूक्त पाठ करके रक्षाविधान करे।
- प्रतिमा स्थापित करने के स्थान की सफाई करके पवमान सूक्त का पाठ करे।
- फिर आसन हेतु वस्त्रादि बिछाये : ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः । स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा ᳪ सस्तनूभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः ॥
- फिर वस्त्र पर प्रागाग्र कुशास्तरण करे : ॐ स्तीर्णं बर्हि: सुष्टरीमा जुषाणोरुपृथु प्रथमानं पृथिव्याम् । दवेर्भिर्युक्तमदिति: सजोषा:स्योनं कृण्वाना सुविते दधातु ॥
- रथ की गन्धाक्षत आदि से पूजा करे : ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्न मृतं मर्त्यं च । हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भूवनानि पश्यन् ॥
- रथ पर ध्वज लगाये। ऐसी व्यवस्था करे की देवप्रतिमा खुली आकाश में न रहे।
- फिर प्रतिमा के पास जाकर पुष्पचंदनदूर्वादि से पूजा करके। वस्त्रादि से अलंकृत करे। दधि नैवेद्य अर्पित करे।
- प्रार्थना करके प्रतिमा को उठाये : ॐ उत्तिष्ठ ब्रह्मणस्पते देवयन्तस्त्वेमहे । उप प्रयन्तु मरुतः सुदानव इन्द्र प्राशूर्भवा सचा ॥
- शङ्ख, मंगलवाद्य आदि बजाते हुये, मङ्गलश्लोकों का पाठ करते हुये रथ के पास आकर रथ पर बिठाये : ॐ रथे तिष्ठन् नयति वाजिन: पुरो यत्र यत्र कामयते सुषारथि: । अभीशूनां महिमानं पनायत मन: पश्चादनु यच्छन्ति रश्मय: ॥
- फिर फलादि की पोटली रखे, छत्र, पादुका आदि भी रथ में रखकर आरती कर ले।
- इस प्रकार रथयात्रा आरम्भ करे। मार्ग में चतुष्पथ आने पर क्षेत्रपाल बलि करे। मार्ग में मंदिर मिलने पर मंदिर देवता का पुष्प, वस्त्र, फल, मिष्टान्न आदि द्रव्य से उपहार पूजन, आरती करे।
नगर परिक्रमा पूर्ण करने के बाद प्रासाद के पास आकर पुनः आरती करे। प्रासाद परिक्रमा करके आगे प्रतिमा को विधिवत प्रसाद में प्रविष्ट करे।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।