सत्यनारायण नारायण भगवान की पूजा निःसंदेह अन्य सभी पूजाओं की तुलना में बहुत अधिक होती है। हम सत्यनारायण पूजा सामग्री एवं पूजा के नियमों संबंधी चर्चा यहां करेंगे। सत्यनारायण पूजा का मुख्य काल प्रदोषकाल है किन्तु प्रत्येक मास पूजा करने वाले मध्याह्न में ही किया करते हैं यह भी एक तथ्य है। यहां सत्यनारायण पूजा की सामग्री सूची दी गयी है और पूजा विधि भी बताई गयी है।
सत्यनारायण पूजा का महत्व :
कलयुग में भगवान सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व कहा गया है। सत्यनारायण पूजा को शीघ्र फल प्रदान करने वाला भी कहा गया है। भगवान विष्णु ने नारद को सत्यनारायण-व्रत-पूजा का महत्व बताते हुये स्वयं कहा है – सत्यनारायणस्येदं व्रतं सम्यग्विधानतः। कृत्वा सद्यः सुखं भुक्त्वा परत्र मोक्षमालभेत्।। इस पूजा के बहुत सारे फल कहे बताये गये हैं जिनमें मुख्य हैं –
- धन-संपत्ति की वृद्धि अर्थात आर्थिक रूप से उन्नति करना।
- भय का निवारण।
- संतान की प्राप्ति।
- सभी प्रकार के दुःखों से मुक्ति।
- मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति।
सत्यनारायण पूजा सामग्री :
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- कलश – 1, दीप – 15 (अथवा5), ढकनी – 1, नारियल (पानी वाला) – 1, सालू कपड़ा – 1 मीटर, रक्षासूत्र -1 , पीली सरसों – 1p,
- अरबा चावल – 500 ग्राम, तिल – 100 ग्राम, जौ – 100 ग्राम,
- चंदन – 1, कुंकुम – 1, सिंदूर – 1,
- बत्ती – 25, धूप – 250 ग्राम, सलाई – 1, कपूर – 25 ग्राम,
- घी – 500 ग्राम, शक्कड़ – 100 ग्राम, मधु – 25 ग्राम, दूध – शीतल प्रसाद की मात्रा के अनुसार, दही – 500 ग्राम,
- पान – 15, सुपारी – 15, लौंग, इलायची,
- वस्त्र (पीला कपड़ा – १ मीटर, धोती+गमछा), जनेउ – 3,
- नैवेद्य – यथासंभव : पञ्चमेवा – शुद्ध पञ्चमेवा 500 ग्राम, मिसरी – 500 ग्राम, मिठाई, पकमान, चूड़मा, केला, एवं अन्य फल।
- सिंहासन – शालिग्राम भगवान को विराजमान करने के लिये,
- कदम्बगाछी – 4, सिंहासन के चारों ओर बांधने के लिये।
- चांदनी – सिंहासन के ऊपर लगाने के लिये।
- अष्टदल बनाने हेतु : चावलचूर्ण, अबीर, हल्दीचूर्ण आदि। गोबर ।
- आसन – स्वयं एवं ब्राह्मण के लिये शुद्ध आसन। फूल, माला, तुलसी, दूर्वा, शमीपत्र, बेलपत्र, आम का पल्लव, केला का पत्ता। जहां केला का पत्ता अनुपलब्ध हो वहां अन्य उपलब्ध अथवा भोज के पत्ते का प्रयोग किन्तु थर्मोकॉल प्लेट-दोने का प्रयोग न करें। पीतल थाली-कटोरी का प्रयोग करें।
- हवन हेतु – सत्यनारायण पूजा में हवन अनिवार्य नहीं है, फिर भी यदि हवन करनी हो तो इंधन, शाकल्य, नवग्रह लकड़ी, सूखा नारियल या गरिगोला ।
ये सामग्रियां स्थान भेद से कुछ परिवर्तित भी हो सकती हैं एवं यजमान की आर्थिक क्षमता के अनुसार मात्रा में वृद्धि-कमी भी हो सकती है।
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