सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि - durga pujan vidhi 02

सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 02

सामान्य जन के लिये समंत्रक दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 02 : हम बिना मंत्र वाली चर्चा पीछे कर चुके हैं और अब समंत्र विधि को समझने का प्रयास करेंगे। समंत्र विधि का तात्पर्य भी इतना ही है कि न्यूनतम क्या-क्या करें, कैसे करें ?

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सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि - durga pujan vidhi 01

सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 01

सामान्य जन के लिये दुर्गा पूजा की विधि – durga pujan vidhi 01 : यदि सभी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा विधि-पूर्वक कराना चाहें भी तो उतनी संख्या में ब्राह्मण उपलब्ध हो ही नहीं सकते और इसीलिये यह आवश्यक हो जाता है कि जो स्वयं ही करना चाहें उनकी भी एक सामान्य विधि हो जिसमें बिना मंत्रों के भी पूजा आदि की जाय। यहां इसी विषय को समझने का प्रयास किया गया है।

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नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी - durga upasana

नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी – durga upasana

नवरात्रि में दुर्गा पूजा की महत्वपूर्ण जानकारी – durga upasana : नवरात्रि व्रत कहें, माता दुर्गा की पूजा कहें, श्री दुर्गा सप्तशती पाठ, नवार्ण मंत्र जप आदि की यदि बातें करें तो अनेकों महत्वपूर्ण तथ्य होते हैं जिसके बारे में शास्त्र-सम्मत ज्ञान का होना आवश्यक है और यहां हम इन विषयों को संक्षेप में समझने का प्रयास करेंगे।

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होली कब है 14 या 15 मार्च को - Holi 2025

होली कब है 14 या 15 मार्च को – Holi 2025

होली कब है 14 या 15 मार्च को – Holi 2025 : इस आलेख में हम होली निर्णय को शास्त्रीय प्रमाणों के साथ समझते हुये होली 2025 में कब है इसे जानेंगे। साथ ही होली से सम्बंधित और भी महत्वपूर्ण तथ्यों को समझेंगे।

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पूजा क्रमावली

कर्मकांड की क्रमावली अर्थात पूजन क्रम, वेदी पूजन क्रम 1.2.3.

पूजा-अनुष्ठान-यज्ञादि संबंधी कर्म में अनेकानेक कर्म होते हैं और उनकी विशेष क्रियाविधि ही नहीं है, विशेष क्रम भी है और क्रम पूर्वक ही करना चाहिये। विस्तृत पूजा-अनुष्ठान-यज्ञ से लेकर सामान्य पूजा संबंधी, वेदी पूजन, क्रमों का इस आलेख में व्यापक वर्णन किया गया है जो कर्मकांड सीखने वालों के लिये बहुत ही उपयोगी है।

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दुःख ही जनम भेल दुःख ही गंवाओल, सुख सपनेहुं नहीं भेल

जन्म दुःखं जरा दुःखं : दुःख ही जनम भेल दुःख ही गंवाओल, सुख सपनेहुं नहीं भेल

जन्म दुःखं जरा दुःखं : धर्मराज युधिष्ठिर, गांडीवधारी अर्जुन, गदाधारी भीम, भाला वाला नकुल सहदेव, साथ में सहयोगी थे साक्षात् नारायणावतार भगवान श्रीकृष्ण। लेकिन कितना दुःख झेला था ये तो सोचो ? इनको दुःख क्यों मिला ? इन्हें तो संसार के सर्वश्रेष्ठ सुखी व्यक्तियों में जाना जाया चाहिये था। इनके जीवन चरित्र का अवलोकन करो और ज्ञात करो कब सुख भोगा था।

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जागते रहो : सच्चे बाबा और पाखंडी बाबा को कैसे पहचाने

दूध के धुले नेता और दूध की धुली मीडिया लालटेन लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेंगे लेकिन सच्चे बाबा की कमी नहीं है हां कुछ पाखंडी भी अपना व्यापार चला रहे हैं और उन पाखंडियों से सच्चे बाबा स्वयं भी त्रस्त हैं क्योंकि कभी बाबा को चोर समझकर पीटा जाता है तो कभी कुछ और समझकर। कई जगहों पर झूठा आधार कार्ड बनाकर मुसलमान भी बाबा बना हुआ पकड़े जाते रहे हैं।

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ये कौन लोग मंदिरों में जमे हुये हैं जब-जैसे जो करे पूजा करा देते हैं

किन्तु पुनः प्रश्न है कि ज्ञाननगरी काशी में भगवान विश्वनाथ मंदिर में भी ऐसे ब्राह्मण किस प्रकार जमे हुये हैं जो बिना धोती-धारण किये पूजा करा रहे थे ? अमित शाह ने एक हाथ से प्रणाम किया, तो ब्राह्मणों ने बताया क्यों नहीं कि दोनों हाथ से प्रणाम करें ?

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विवाह क्या है, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, बाल विवाह आदि की विस्तृत जानकारी – Vivah

विवाह क्या है, अर्थ, परिभाषा, प्रकार, उद्देश्य, बाल विवाह आदि की विस्तृत जानकारी – Vivah

विवाह गार्हस्थ जीवन का द्वार है और सृष्टि को अनवरत रखने में अपनी भूमिका निर्वहन करने के लिये अनिवार्य होता है। विवाह किये बिना किसी व्यक्ति के गृहस्थ आश्रम का प्रारम्भ नहीं होता।

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यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?

यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। सही-सही कैसे समझें ?

यद्यपि शुद्धं लोक विरुद्धम्। नाऽचरणीयं नाऽचरणीयं ॥ का अर्थ यद्यपि शुद्ध हो अर्थात सही हो किन्तु लोक विरुद्ध हो अर्थात हानिकारक हो या हानि संभावित हो तो वह वैसा आचरण मत करो वह कर्म मत करो।

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