ये अलग तथ्य है कि उपनयन स्वयं में षोडश संस्कारों में से एक है किन्तु वर्त्तमान युग में उपनयन संस्कार से साथ तीन अन्य संस्कार भी किये जाते हैं। किन्तु उपनयन संस्कार इस कारण से कहा जाता है क्योंकि प्रधानता उपनयन की ही रहती है। इस कारण से मुहूर्त भी उपनयन संस्कार के ही नियमानुसार बनाया जाता है। इस आलेख में उपनयन मुहूर्त बनाने के सूत्र और 2024 के उपनयन संस्कार मुहूर्त दिये गये हैं।
उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024
उपनयन संस्कार मुहूर्त से मुख्य तात्पर्य उपनयन संस्कार ही होता है, किन्तु उपनयन संस्कार मुहूर्त में ही उपनयन के साथ मुंडन, वेदारम्भ और समावर्तन भी किये जाते हैं। यहां प्रथमतया उपनयन के लिये संस्कार करने का मुहूर्त निर्णय कैसे किया जाता है उन सूत्रों की चर्चा करेंगे फिर 2024 में पड़ने वाले मुहूर्तों को भी देखेंगे।
ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यों को किस आयु में उपनयन करना चाहिये इसकी विस्तृत जानकारी “क्या आप उपनयन संस्कार के इन महत्वपूर्ण तथ्यों को जानते हैं“ आलेख में दी गयी है जिसे आप यहां क्लिक करके भी पढ़ सकते हैं।
उपनयन मुहूर्त की आवश्यकता
उपनयन मुहूर्त की आवश्यकता उपनयन यदि उचित काल में करे तभी होती है। कालातिक्रमण करने पर मुहूर्त निरर्थक होता है।
अयन – ऋतु – मास
उपनयन के लिये उत्तरायण को विशेष महत्व दिया गया है। इनमें ऋतुओं को लेकर कुछ विशेषता भी बताई गयी है। वसंत ऋतु में ब्राह्मण, ग्रीष्म ऋतु में क्षत्रिय और शरद ऋतु को वैश्य के लिये अधिक उत्तम कहा गया है अर्थात मार्गशीर्ष में भी उपनयन हो सकता है। पुनः तीनों ऋतुओं में सबका उपनयन भी किया जा सकता है। ऐसा नहीं कि तीन ऋतुएँ तीन वर्णों के लिये विशेष बताई गयी है तो अन्य के लिये निषिद्ध हो। माघादि 6 मास विशेष प्रशस्त हैं, मार्गशीर्ष में भी निषिद्ध नहीं है।
तिथि
शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पञ्चमी, दशमी, एकादशी और द्वादशी तिथि।
नक्षत्र
अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, अश्लेषा, पूर्वा तीनों, उत्तरा तीनों, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती नक्षत्र। क्षत्रिय और वैश्य के पुनर्वसु भी प्रशस्त, ब्राह्मणों के लिये पुनर्वसु निषिद्ध।
वार
रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार। (सामवेदियों के लिये मंगलवार भी प्रशस्त)
निषिद्ध
मन्वादि, युगादि, अपराह्न काल, सायंकाल, प्रदोष, अनध्याय, कृष्णपक्ष उपनयन के लिये निषिद्ध कहे गये हैं।
मास सम्बन्धी निषिद्ध तिथि – मकरार्क पौष में एकादशी और द्वादशी, मकरार्क माघ में द्वादशी, चैत्र और वैशाख में तृतीया, वैशाख के अतिरिक्त अन्य मासों में द्वितीया, आषाढ़ में दशमी और एकादशी।
इसके अतिरिक्त भी और विचार किये जाते हैं। तथापि उचित काल में उपनयन हो तो ही विशेष विचार अपेक्षित होता है। यदि उपनयन का काल व्यतीत हो रहा हो तो विशेष विचार के करते हुये उपनयन काल का उल्लंघन नहीं करना चाहिये।
उपनयन संस्कार मुहूर्त 2024 mithila panchang
- सोमवार 19 फरवरी 2024, माघ शुक्ल दशमी-एकादशी तिथि, मृगशिरा और आर्द्रा नक्षत्र।
- मंगलवार 20 फरवरी 2024, माघ शुक्ल एकादशी तिथि, आर्द्रा नक्षत्र। सामवेदी मात्र के लिये।
- बुधवार 20 मार्च 2024, फाल्गुन शुक्ल एकादशी तिथि, पुष्य नक्षत्र।
- गुरुवार 21 मार्च 2024, फाल्गुन शुक्ल द्वादशी तिथि, अश्लेषा नक्षत्र।
- गुरुवार 18 अप्रैल 2024, चैत्र शुक्ल दशमी तिथि, अश्लेषा नक्षत्र।
- शुक्रवार 19 अप्रैल 2024, चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि, मघा व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र।
- सोमवार 8 जुलाई 2024, आषाढ़ शुक्ल तृतीया तिथि, पुष्य और अश्लेषा दोनों नक्षत्र।
- बुधवार 10 जुलाई 2024, आषाढ़ शुक्ल (चतुर्थी) पंचमी तिथि में 7:51 am से, मघा व पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र।
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