सविधि वास्तु मंडल बनाकर पूजा, बलि प्रदान करना वास्तु शांति कहलाता है। किसी भी नये या पुराने घर में वास के समय गृहप्रवेशाङ्ग वास्तु शांति या गृह प्रवेश वास्तु शांति, मंडप निर्माण किया जाय तो मंडपांग वास्तुपूजन । समान्य रूप से जिस घर में वास कर रहे हों उस घर में भी सुख-शांति की कामना से प्रतिवर्ष भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को अथवा आवश्यकता होने पर वास्तु शांति करनी चाहिये। गृह वास्तु व यज्ञ वास्तु में थोड़ा अंतर भी होता है, दोनों का मंडल भी भिन्न होता है और दोनों मंडल पर देवताओं की संख्या व नाम भी भिन्न होते हैं। इस आलेख में वास्तु शांति विधि विस्तार से बताई गयी है।
- यदि इन दोनों में से कोई न हो मात्र हवन करने के लिये हवन कुण्ड बनाया जा रहा हो उसमें भी वास्तु वेदी निर्माण करके पूजन करना चाहिये।
- हवन कुण्ड के संबंध में वास्तु पूजन का प्रमाण : यत्र कुण्डं तत्र वास्तुपीठं कुर्यात्प्रयत्नतः। स्थण्डिले चाल्पहोमे तु वास्तुपीठं कृताकृतं ॥ – गौतम –
- यदि हवन कुण्ड न बनाया जाय वेदी पर अथवा भूमि पर भी हवन किया जाय किन्तु आहूति संख्या सहस्राधिक (१००० से अधिक आहूति हो तो) पर भी वास्तु वेदी पूजन आवश्यक होता है।
- प्रमाण : सहस्राधिकहोमेषु वास्तुपीठं त्ववश्यकम्॥ देव्यर्चने हस्तमात्रं पीठं योगिनी सम्भवम् ॥ – कपिलपञ्चरात्र
- किन्तु सहस्राधिक आहूति संबंधी होम में एक अन्य विशेषता भी है कि यदि देवी का होम हो तो वास्तुपीठ न बनाकर योगिनी पीठ बनाये।
- पुराने घर में भी प्रतिवर्ष वास्तु शांति की आवश्यकता शास्त्रों में कही गयी है।
वास्तु शांति पूजा विधि
यह पहले भी बताया जा चुका है कि गृह वास्तु व यज्ञ वास्तु में थोड़ा अंतर भी होता है, दोनों का मंडल भी भिन्न होता है और दोनों मंडल पर देवताओं की संख्या व नाम भी भिन्न होते हैं। यहां हम गृह वास्तु और यज्ञ वास्तु दोनों वास्तु मंडल निर्माण विधि व पूजन की विस्तृत चर्चा करेंगे।
वास्तुपीठ के प्रकार :
यूँ तो वास्तुपीठ के कई प्रकार बताये गये हैं किन्तु उनमें से दो का मुख्यतः प्रयोग किया जाता है :
- 81 पद वास्तु मंडल : गृह संबंधी पूजन में 81 पद (कोष्ठक) वाला वास्तुपीठ बनाया जाता है।
- 64 पद वास्तु मंडल : यज्ञ, प्राणप्रतिष्ठा आदि कर्मों में 64 पद के वास्तुपीठ निर्माण का नियम मिलता है।
गृह वास्तु पूजन से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी :
- यदि नया घर बनाया गया हो तो वास्तु शांति की विधि सर्वविदित है।
- यदि पुराना घर हो तो भी वास्तु शांति अपेक्षित होती है।
- यदि पुराने घर के ऊपर या बगल में नया घर बनाया जाता है तो उसमें भी मुख्य रूप से वास्तु शांति ही कर्तव्य होता है।
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