शास्त्रों में सोमवती अमावास्या अर्थात जो अमावास्या सोमवार के दिन पड़ता हो उसकी विशेष महत्ता बताई गयी है। स्त्रियां इस दिन सौभाग्यादि की कामना से अश्वत्थ वृक्ष का पूजन, 108 प्रदक्षिणा आदि करती हैं। सोमवती अमावास्या पूजन की विधि और मंत्रों की भी शास्त्रों में जानकारी दी गयी है। इस आलेख में सोमवती अमावास्या के बारे में व्यापक चर्चा करते हुये पूजा विधि और मंत्रों की जानकारी दी गयी है।
सोमवती अमावस्या कब है – सोमवती अमावस्या पूजा विधि
सोमवती अमावास्या क्या है ?
जब कभी भी अमावास्या के दिन सोमवार होता है तो उसे सोमवती अमावास्या कहा जाता है। अर्थात सोमवार और अमावास्या के योग को सोमवती अमावास्या कहा जाता है। आगे हम सोमवती अमावस्या से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं पर शास्त्रसम्मत चर्चा करेंगे।
सोमवती अमावस्या क्यों किया जाता है ?
शास्त्रों में सोमवती अमावास्या का महत्व इस प्रकार बताया गया है;
- भविष्यपुराण :- सोमवत्याममायां तु व्रतं कृत्वा सती भवेत् । पतिपुत्रधनैः पूर्णां जन्मजन्मनि निश्चितम् ॥ विधवा भेद करोतीदं न पुनर्विधवा भवेत् । तस्मात्स्त्रिया सुभगया कर्तव्यं खलु तद्व्रतम् ॥
- सोमवती अमावास्या का व्रत करने से सती संज्ञा होती है, सोमवती अमावास्या व्रत करने वाली स्त्री पति-पुत्र-धनादि से जन्म-जन्मांतर तक पूर्ण रहती है।
- यह व्रत वैधव्य का भेद (नाश) करने वाला है। इसलिए सौभाग्यादि कामना करने वाली स्त्रियों को सदा यह व्रत करना चाहिए।
सोमवती अमावस्या क्यों किया जाता है ? इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर है की सौभाग्य कामना से किया जाता है, अर्थात सोमवती अमावास्या सौभाग्य कामना से किया जाने वाला व्रत है।
सोमवती अमावस्या कब होती है ?
सोमवती अमावस्या किसी भी सोमवार के दिन में यदि अमावास्या हो तो ही होती है। यदि सोमवार की रात में अमावास्या हो तो वह सोमवती अमावास्या नहीं कही जाती है। अर्थात सोमवती अमावास्या दिन में अमावास्या का योग रहे तभी मान्य होता है।
सोमवती अमावस्या कब है
- अगली सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल सोमवार 2024 को है।
- 8 अप्रैल सोमवार 2024. सम्पूर्ण दिन मान्य। अमावास्या 23:50 बजे तक।
सोमवती अमावस्या पर क्या करना चाहिए ?