कौन सी पुस्तक – सबसे अच्छी है?

नित्यकर्म विधि

विश्व में सबसे अच्छी पुस्तक कौन सी है यह जानने की इच्छा बहुत लोगों को रहती है। बहुत सारे लोग नाना प्रकार के दृष्टिकोण से अलग-अलग पुस्तकों को दुनियां की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक बताते हैं। यदि विचार करें तो वेद अपौरुषेय है और इससे श्रेष्ठ पुस्तक कोई अन्य हो ही नहीं सकती। तथापि वेद अभी भी पुस्तकीय विषय नहीं है क्योंकि वेद को ही श्रुति भी कहा जाता है और गुरुमुखी होकर ही वेदाध्ययन करना चाहिये। यहां हम दुनियां की सबसे अच्छी पुस्तक कौन सी है इसे समझने का प्रयास करेंगे।

दुनियां में कौन सी पुस्तक सबसे अच्छी हो सकती है ?

सबसे पहले यही विचारणीय है। किसी विषय के लिये एक पुस्तक सबसे अच्छी हो सकती है, लेकिन वह दुनियां की सबसे अच्छी पुस्तक नहीं कही जा सकती। कमाई करने के लिये, सफलता पाने के लिये, स्वस्थ रहने के लिये कोई पुस्तक सबसे अच्छी हो सकती है लेकिन वह दुनियां की सबसे अच्छी पुस्तक नहीं कही जा सकती। सबसे अच्छी पुस्तक वह होगी जो विश्व शांति प्रशस्त कर सके ।

हमें लगता है इस विषय पर जो भी शोध किये गये हैं निष्पक्ष नहीं हैं, क्योंकि आधार क्या होगा जब यही स्पष्ट न हो तो निराधार निर्णय कितना सही हो सकता है ये एक प्रश्नचिह्न है। सचेतन निर्णय लेने के लिए किसी स्थिर आधार की खोज करनी चाहिए और विषय पर आगे बढ़ने से पूर्व हम उचित आधार पर ही विचार करेंगे। पहले हम ढूंढेंगे निर्णय लेने का आधार। We will first find the basis for taking decisions.

आधार क्या हो ?

इस विषय का आधार न तो शिक्षा ग्रहण करना हो सकता है, न ही जीविकोपार्जन, न ही उत्तम स्वास्थ्य, न ही सफलता आदि आदि। ये सभी आधार स्वयं में एकांगी हैं, सही आधार वो होगा जो सबको या अधिकतम एकांगी आधारों स्वयं में समाहित करता हो। क्या ऐसा भी कोई आधार हो सकता है। ऐसा आधार हो सकता है नहीं ऐसा आधार है और वो है जीवनचर्या। That is the way of living life.

संध्या तर्पण विधि

जो पुस्तक जीवनचर्या की होगी वह अध्धयन में भी सहायक होगी, सफलता प्राप्ति में भी, आजीवका के लिये भी, स्वस्थ रहने के लिये भी, प्रकृति संरक्षण भी जिसमें समाहित हो, जो विश्व में शान्ति स्थापित करने में सहयोगी हो और अन्य सभी विषयों के लिये भी सबसे महत्वपूर्ण होगी।

और उसमें से जो सबसे अधिक लाभकारी होगी भले ही वह किसी भी भाषा में हो वही दुनियां की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कहला सकती है।

  • जीवनचर्या का शब्द रूपांतरण यदि करें तो और अधिक स्पष्ट हो जायेगा कि मूल आधार क्या है।
  • जीवनचर्या का रूपांतरित शब्द है नित्यकर्म।
  • नित्यकर्म का तात्पर्य है कि जगना कब चाहिये और जगने के बाद दिनभर किस विधि से क्या-क्या करनी चाहिये ? जैसे शौचकर्म, स्नान, भोजन, अध्ययन, जीविका, पारिवारिक-सामाजिक व्यवहार-कर्तव्य, शयन।
  • तात्पर्य यह कि सम्पूर्ण दिवस कब-क्या-कैसे करें इसकी उचित विधि बताये। और
  • मात्र विधि ही न बताये अपितु वैज्ञानिकता एवं तर्क की कसौटी पर भी लाभकारी सिद्ध हो।
  • क्योंकि जीवनचर्या के भी विभिन्न भाषाओं में विभिन्न पुस्तकें हो सकती हैं किन्तु सभी वैज्ञानिकता एवं तर्क की कसौटी पर लाभकारी नहीं हो सकती हैं।
  • हां ऐसा हो सकता है कि उनमें से कुछ पुस्तकें स्थान विशेष के लिये अधिक अनुकूल हो, क्योंकि कोई भी एक नियम सम्पूर्ण विश्व के लिये उचित नहीं होगा।
  • ऐसी स्थिति में भी उन बहुत सारी पुस्तकों में सर्वाधिक ग्राह्य कौन सा है, सम्पूर्ण विश्व के लिये सर्वाधिक लाभकारी विधि किसमें है यह तुलनात्मक अध्ययन का विषय है लेकिन ऐसा नहीं लगता की कभी भी दुनियां इसके लिये सहमत होगी।

Hinduism is a way of life .

भारत की सर्वोच्च न्यायालय ने सनातन की व्याख्या में एक विशेष बात कही की – सनातन जीवन पद्धति (जीने का तरीका) है। The Supreme Court of India said something special in its interpretation of Sanatan – Hinduism is a way of life .

नित्यकर्म किसे कहते हैं ?

सनातन में प्रातः उठने से लेकर रात में सोने तक के लिये विधि या नियम निर्धारित है और इसी को नित्यकर्म कहा जाता है। जिस पुस्तक में नित्यकर्म विधि बताई गयी हो वही पुस्तक नित्यकर्म पद्धति या नित्यकर्म विधि या आह्निक सूत्रावली इत्यादि अनेक नामों से जानी जाती है प्रकाशित भी होती है। संस्कृत भाषा में नित्यकर्म की अनेकों पुस्तक हैं। लेकिन वर्तमान के लोगों के लिये संस्कृत देवभाषा है तो देवताओं तक ही सीमित रहनी चाहिये ऐसी परिपाटी बन गयी।

नित्यकर्म का सभी क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की हुयी पुस्तक भी उपलब्ध होने लगी लेकिन सबका मूल संस्कृत भाषा के वेद-स्मृति-गृह्यसूत्र-पुराणादि ही है एवं क्षेत्रीय भाषाओं में टीका-टिपण्णी या निर्देश करना ही संभव है । नित्यकर्म की हिन्दी टीका या निर्देश युक्त जो सबसे अच्छी पुस्तक है वो है गीता प्रेस से प्रकाशित होने वाली नित्यकर्म पूजा प्रकाश।

नित्यकर्म किसे कहते हैं
नित्यकर्म किसे कहते हैं

सारांश : यह विचार करने का विषय है कि दुनियां की सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कौन सी हो सकती है। ‘जीवनचर्या’ अर्थात ‘नित्यकर्म’ की व्याख्या करने वाली पुस्तक ही सर्वाधिक उपयोगी और महत्त्वपूर्ण हो सकती है। ऐसी पुस्तक; ज्ञानार्जन, आर्थिक सफलता, स्वास्थ्य, और अन्य सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में सहायक हो सकती है। ‘नित्यकर्म पद्धति’ जैसी पुस्तकें हमें जीवन के प्रतिदिन के क्रिया-कलापों को सही ढंग से पूरा करने में सहयोग करती है।

F&Q ?

प्रश्न : विश्व शांति के लिए क्या अनिवार्य है ?

उत्तर : प्रत्येक व्यक्ति/परिवार/समाज और राष्ट्र अपने कर्तव्य व दायित्व को समझे । नीतिसंगत कार्य-व्यवहार को अपनाये ।

प्रश्न : इसमें पुस्तक का क्या योगदान हो सकता है?

उत्तर : विश्वशांति हेतु पुस्तक की ही आवश्यकता है। मिसाइलों से विनाश ही होगा यह ध्रुव सत्य है। शांति मन में उत्पन्न होकर विश्व में विस्तृत होगी। व्याख्याता नाना प्रकार से व्याख्या करेंगे किन्तु उसका आधार पुस्तक ही होगा।

प्रश्न : कौन सी पुस्तक शांति स्थापित कर लकती है?

उत्तर : वह पुस्तक जो जगने से सोने तक की विधि बताए । सदाचार, व्यवहार, कर्म सभी क्षेत्रों में उचित-अनुचित का ज्ञान दे ।

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