जीवित्पुत्रिका व्रत कथा

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा – Jitiya Vrat Katha

जीवित्पुत्रिका व्रत कथा : स्त्रियां पुत्र और पति की दीर्घायु कामना से जितिया का कठिन व्रत किया करती हैं। यह व्रत इतना कठिन होता है कि सामान्य व्रतों की तुलना में अधिक काल तक उपवास करना पड़ता है और उसमें भी बड़ी बात है कि जल आदि का ग्रहण करना भी निषिद्ध होता है।

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जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि और मंत्र

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि और मंत्र

जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि : प्रदोषकाल में जीमूतवाहन की पूजा की जाती है। जितिया की पूजा विधि भी विशेष है जिसकी जानकारी आवश्यक है और सामान्य जनों को यह जानकारी नहीं दी जाती है। इस आलेख में जितिया पूजा विधि बताई गयी है।

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Jitiya 2024 : जीवित्पुत्रिका व्रत कब है

Jitiya 2024 : जीवित्पुत्रिका व्रत कब है

आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है जिसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। स्त्रियां पति और पुत्र की लम्बी आयु के लिये जितिया व्रत करती हैं। जितिया व्रत का विधान सभी व्रतों से भिन्न है और यह व्रत सभी व्रतों में कठिन भी है।

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अगस्त्य अर्घ्य (अगस्त्यार्घ्य) दान विधि – agastya arghya

अगस्त्य अर्घ्य (अगस्त्यार्घ्य) दान विधि – agastya arghya

तर्पण नित्यकर्म है तथापि संध्या-तर्पणादि नित्यकर्म कुछ कर्मकाण्डी ब्राह्मणों तक ही सीमित रह गया है। अगस्त्य अर्घ्य देने के विषय में विधि यह है कि भाद्र पूर्णिमा को ऋषि तर्पण करने के पश्चात् अर्थात् पितृतर्पण से पूर्व अगस्त्य को अर्घ्य देना चाहिये।

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विश्वकर्मा पूजा विधि – विश्वकर्मार्चा : Vishwakrma puja 2024

विश्वकर्मा पूजा विधि – विश्वकर्मार्चा : Vishwakrma puja 2024

किसी पात्र में गंधादि से अष्टदल बनाकर उसपर अष्टवसुओं का आवाहन करे  : ॐ द्रोणमावा‌हयामि ॥ ॐ प्राणमावा‌हयामि ॥ ॐ ध्रुवमावाहयामि ॥ ॐ अर्कमावाहयामि ॥ ॐ अग्निमावाहयामि ॥ ॐ दोषमावाहयामि ॥ ॐ वास्तुमावा‌हयामि ॥ ॐ विभावसुमावा‌हयामि ॥

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अनन्त व्रत कथा – Anant Vrat Katha

भाद्र शुक्ल चतुर्दशी को अनंत व्रत – पूजा की जाती है और कथा श्रवण करके अनंत धारण किया जाता है। बात जब कथा श्रवण की आती है तो देववाणी अर्थात संस्कृत का विशेष महत्व व फल होता है।

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अनंत पूजा विधि

अनंत पूजा कब है 2024 – अनंत पूजा विधि

संकल्प के उपरांत कलश में जल-गंध-पवित्री-पूगीफल-पल्लवादि देकर पूजन करे। कलश के ऊपर एक स्वर्ण-रजत अथवा ताम्र पात्र में चंदनादि से अष्टदल निर्माण करके रखे। उसपर कुशाओं से सात फनों वाला सर्पाकृति बनाकर रखे। उनके आगे चौदह ग्रंथि वाला अनंत रखे। फिर नवग्रह-दशदिक्पाल आदि का पंचोपचार पूजन करके अनंत भगवान की पूजा करे।

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महालक्ष्मी व्रत कथा – Mahalaxmi Vrat Katha

महालक्ष्मी व्रत कथा – Mahalaxmi Vrat Katha

पूजा करने के बाद प्रतिदिन कथा भी श्रवण करनी चाहिये। कथा श्रवण के विषय में जो महत्वपूर्ण तथ्य है वो यह है कि हिन्दी आदि अन्य स्थानीय भाषाओं में भाव समझने के लिये तो सुना जा सकता है किन्तु फलदायकता हेतु संस्कृत में ही श्रवण करनी चाहिये।

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महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Puja

महालक्ष्मी व्रत पूजा विधि – Mahalaxmi Vrat Puja

संकल्प करने के बाद 16 बार जल से हाथ-मुंह और पैर का प्रक्षालन करे (धोये) तत्पश्चात 16 तंतु युक्त सुंदर धागे में 16 गांठ लगाये और चंदन-पुष्पादि से अलंकृत कर दे, सोलह दूर्वा भी पूजा में रखे।

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सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा – Siddhivinayak Vrat Katha

सिद्धिविनायक व्रत कथा में भरद्वाज मुनि सूत से पूछते हैं कि विघ्नों का निवारण कैसे होगा। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उत्तर में सिद्धिविनायक की पूजा व्रत करने को कहा गया, जिससे नष्टराज्य की पुनर्प्राप्ति हो सकती है। सिद्धिविनायक की पूजा से सभी कार्यों की सफलता होती है और चाहे विद्या हो या धन, विजय या सौभाग्य, सब इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

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