यहां है एक नहीं चार-चार सूर्याष्टक स्तोत्र - 4 suryashtak stotra

यहां है एक नहीं चार-चार सूर्याष्टक स्तोत्र – 4 suryashtak stotra

यहां है एक नहीं चार-चार सूर्याष्टक स्तोत्र – 4 suryashtak stotra : सर्वप्रथम साम्ब कृत सूर्याष्टक स्तोत्र (आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर) दिया गया है जो सर्वाधिक प्रसिद्ध है और प्रयोग भी किया जाता है। तत्पश्चात पण्डितरघुनाथशर्मा विरचित श्रीसूर्याष्टक दूसरे क्रम पर है और तीसरे क्रम पर अनन्तानन्दसरस्वतीविरचित श्रीसूर्याष्टक दिया गया है। पुनः चतुर्थ क्रम पर गायत्रीस्वरूप ब्रह्मचारीविरचित श्रीसूर्याष्टक दिया गया है। इसके साथ ही अंत में भास्कराष्टक नामक स्तोत्र भी दिया गया है।

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महामृत्युंजयष्टक

महामृत्युंजयष्टक

किसी भी भगवान की आराधना में स्तोत्र का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। स्तोत्रों में अष्टक का विशेष महत्व होता है। सभी देवताओं के विभिन्न स्तोत्रों के साथ ही उनके अष्टक स्तोत्र भी होते है। इसी प्रकार महामृत्युंजय भगवान का भी अष्टक स्तोत्र है। इस आलेख में महमृत्युञ्जय अष्टक दिया गया है।

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रुद्राष्टक स्तोत्र संस्कृत में अर्थ सहित – rudrashtak stotra

रुद्राष्टक स्तोत्र संस्कृत में अर्थ सहित – rudrashtak stotra

रुद्राष्टक स्तोत्र गोस्वामी तुलसीदास के रामचरितमानस के उत्तरकाण्ड में वर्णित है। इस स्तोत्र का भक्ति पूर्वक पाठ करने से भगवान शिव शीघ्र ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस आलेख में रुद्राष्टक स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है साथ ही विशेष लाभ हेतु हिन्दी अर्थ भी दिया गया है।

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लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् – lingashtakam stotram

लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् – lingashtakam stotram

भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले स्तोत्रों में से एक है लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्। लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम् में कुल 8 मंत्र हैं जिसमें शिवलिङ्ग की स्तुति की गई है। यहां लिङ्गाष्टकं स्तोत्रम्त्र अर्थ सहित दिया गया है।

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भवान्यष्टकम् संस्कृत – न तातो न माता

भवान्यष्टकम् संस्कृत – न तातो न माता

भगवती को प्रसन्न करने के लिये पूजा अनुष्ठानों में भवान्यष्टक बड़े भक्ति भाव से गाते देखा जाता है। इस स्तुति में भक्त स्वयं को सभी प्रकार से दीन-हीन होने की घोषणा करता है

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