यहां पढ़ें धूमावती माता का कवच स्तोत्र संस्कृत में - dhumavati kavach

यहां पढ़ें धूमावती माता का कवच स्तोत्र संस्कृत में – dhumavati kavach

यहां पढ़ें धूमावती माता का कवच स्तोत्र संस्कृत में – dhumavati kavach : एक साथ तीनों कालों या काल के परे भी देख लेने की जो विधा है, समय को अपने अनुरूप जानने और उसको बदलने का सामर्थ्य माता धूमावती के साधकों को प्राप्त होता है। परंतु ये सरलता से पहचाने नहीं जाते। सामान्य जनों-जनसमूहों से दूरी बनाकर पहाड़ों-जंगलों में रखते हैं। उन्हें अशुभ माना जाता है क्योंकि बहुधा सच वह नही होता, जैसा कि हम चाहते हैं।

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यहां पढ़ें छिन्नमस्ता कवच स्तोत्र संस्कृत में - maa chinnamasta kavach

यहां पढ़ें छिन्नमस्ता कवच स्तोत्र संस्कृत में – maa chinnamasta kavach

यहां पढ़ें छिन्नमस्ता कवच स्तोत्र संस्कृत में – maa chinnamasta kavach : यहां छिन्नमस्ता कवच स्तोत्र (maa chinnamasta kavach) संस्कृत में दिया गया है। यह कवच भैरव-भैरवी संवाद रूप में भैरवतंत्र में वर्णित है जिसे त्रैलोक्यविजय नामक कवच भी कहा जाता है।

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यहां पढ़ें त्रिपुर भैरवी कवच स्तोत्र संस्कृत में - Tripura Bhairavi Kavach stotra

यहां पढ़ें त्रिपुर भैरवी कवच स्तोत्र संस्कृत में – Tripura Bhairavi Kavach stotra

यहां पढ़ें त्रिपुर भैरवी कवच स्तोत्र संस्कृत में – Tripura Bhairavi Kavach stotra : दश महाविद्या में से त्रिपुर भैरवी माता को पांचवी महाविधा के रूप में जाना जाता है। यहां दिया गए कवच त्रिपुर भैरवी महाविद्या की साधना को समर्पित एक स्तोत्र है।

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यहां पढ़ें भुवनेश्वरी कवच स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari kavach

यहां पढ़ें भुवनेश्वरी कवच स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari kavach

यहां पढ़ें भुवनेश्वरी कवच स्तोत्र संस्कृत में ~ bhuvaneshwari kavach : सर्वप्रथम श्रीमायातन्त्रोक्त भुवनेश्वरीकवच दिया गया है तदुपरांत रुद्रयामलोक्त त्रैलोक्यमङ्गलं नामक भुवनेश्वरी कवच है और पुनः एक महत्वपूर्ण भुवनेश्वरी कवच जिसे त्रैलोक्यमोहन कवच के नाम से भी जाना जाता है दिया गया है। सभी कवच स्तोत्र संस्कृत में हैं।

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यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में - tripura sundari kavach

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach : माता त्रिपुरसुन्दरी अर्थात षोडशी महाविद्या कवच रुद्रयामल तंत्र से लिया गया है। विनियोग और ध्यान सही यहां संस्कृत में षोडशी महाविद्या कवच स्तोत्र दिया गया है।

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यहां पढ़िये तारा कवच स्तोत्र - Tara Kavach stotram

यहां पढ़िये तारा कवच स्तोत्र – Tara Kavach stotram

यहां पढ़िये उग्रतारा प्रत्यङ्गिरा कवच – Tara Kavach stotram : तारा कवच अथवा उग्रतारा कवच रुद्रयामल तंत्र में वर्णित है और इसके साथ ही एक अन्य तारा प्रत्यङ्गिरा कवच स्तोत्र भी है जिसे उग्रतारा प्रत्यङ्गिरा कवच, नीलसरस्वती कवच आदि नामों से भी जाना जाता है। यहां रुद्रयामोक्त तारा कवच और तारा प्रत्यंगिरा कवच दोनों दिया गया है।

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काली कवच संस्कृत में - kali kavach

काली कवच संस्कृत में – kali kavach

काली कवच संस्कृत में – kali kavach : सर्वप्रथम महानिर्वाणतन्त्रोक्त श्रीकालिकाकवच / श्रीत्रैलोक्य विजय कवच, तत्पश्चात काली कवच / श्री जगन्मङ्गलकवच / श्यामा कवच, पुनः श्रीवज्रपञ्जरकाख्य श्रीकालिकाकवच, पुनः वैरिनाशन कालिका कवच – रुद्रयामलोक्त, वैरिनाशनं कालीकवचम् – शत्रु नाशक काली कवच, पुनः कालीकुलसर्वस्वोक्त कालीकवच – दक्षिण कालिका कवच, पुनः विश्वमङ्गल गुह्यकाली कवच, पुनः त्रैलोक्यमोहन कालीकवच – दक्षिणा कालिका कवच दिया गया है।

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महाविद्या कवच - Mahavidya Kavach

महाविद्या कवच – Mahavidya Kavach

महाविद्या कवच – Mahavidya Kavach : सर्वप्रथम दशमहाविद्या कवच दिया गया है तत्पश्चात रुद्रयामलोक्त महाविद्या कवच और पुनः मुण्डमालातन्त्रोक्त महाविद्या कवच दिया गया है। सभी कवच स्तोत्र संस्कृत में दिया गया है।

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सूर्य कवच स्तोत्र - surya kavach stotra

सूर्य कवच स्तोत्र – surya kavach stotra

सूर्य कवच स्तोत्र – surya kavach stotra : भगवान सूर्य की अराधना-उपासना करनी हो, पूजा-यज्ञादि हो अथवा सूर्य ग्रह शांति, अशुभ फल निवारण, शुभ फल प्राप्ति आदि का विषय हो, सदा सूर्य कवच स्तोत्र के पाठ की भी आवश्यकता होती है। यहां भगवान सूर्य के 1 नहीं 4 कवच स्तोत्र दिये गये हैं जिनमें से आपको जिस कवच का पाठ करना हो उसका चयन कर सकते हैं।

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गणेश कवच संस्कृत में - Ganesha Kavacham

गणेश कवच संस्कृत में – Ganesha Kavacham

गणेश कवच संस्कृत में – Ganesha Kavacham : जब भावनात्मक पूजा की बात आती है, तो भाव की प्राथमिकता होती है, जबकि मंत्र-स्तोत्र के लिए भाषा का महत्व भी बढ़ जाता है। देववाणी, संस्कृत में मंत्रों का पाठ विशेष लाभकारी है, जैसे गणेश कवच। भगवान गणेश, जिन्हें प्रथम पूज्य माना जाता है, के कवचों में सुरक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है। विभिन्न रूपों में तीन प्रमुख कवच हैं: मुद्गलकृत, महागणपति, और उच्छिष्ट। इन कवचों में नियमित जप कर मानसिक शांति और सुरक्षा प्राप्त की जा सकती है। संस्कृत में ये मंत्र चारों ओर से रक्षा प्रदान करते हैं और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दायक होते हैं।

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