विष्णु स्तवन संस्कृत में - vishnu stavan

विष्णु स्तवन संस्कृत में – vishnu stavan

देवताओं के कुछ स्तोत्र ऐसे होते हैं जिनका नाम स्तवन होता है। भगवान विष्णु को प्रमुख देवता माना गया है और इनके अनेकों स्तवन पुराणों में मिलते हैं। यदि आप भगवान विष्णु के भक्त हैं और उनकी अराधना करते हैं तो आपको भगवान विष्णु के स्तवन की भी आवश्यकता होती है। यहां ३ प्रमुख विष्णु स्तवन (vishnu stavan) संस्कृत में दिया गया है जो इस प्रकार हैं : अदितिकृत बृहद्धर्मपुराणोक्त विष्णु स्तवन, गौरमुखकृत वराहपुराणोक्त विष्णु स्तवन और नरसिंह पुराणोक्त विष्णु स्तवन।

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विष्णु स्तवराज स्तोत्र संस्कृत में : Vishnu stavaraja stotram

विष्णु स्तवराज स्तोत्र संस्कृत में : Vishnu stavaraja stotram

किसी भी देवता के अनेकानेक स्तवनों में जो विशेष महत्वपूर्ण स्तोत्र होता है उसे स्तवराज स्तोत्र कहा जाता है। भगवान विष्णु के स्तवराज की भी चर्चा करें तो अनेकों मिलते हैं। यहां दो प्रमुख विष्णु स्तवराज स्तोत्र (Vishnu stavaraja stotram) संस्कृत में दिये गये हैं प्रथम नरसिंह पुराणोक्त है जो नारद जी के प्रश्न करने पर महेश्वर द्वारा बताया गया और दूसरा कल्किपुराणोक्त है जो पद्मा कृत है।

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विष्णु दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् - vishnu divya sahasranama stotram

विष्णु दिव्य सहस्रनाम स्तोत्रम् – vishnu divya sahasranama stotram

भगवान विष्णु के अनेकानेक सहस्रनाम स्तोत्रों में से एक महाभारत में भी है जो भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को उपदेश किया था। इसे विष्णु दिव्य सहस्रनाम (vishnu divya sahasranama stotram) से जाना जाता है। युधिष्ठिर ने भीष्म पितामह से पूछा था किस एक देवता की अराधना करनी चाहिये जो परम फलदायी हो, सभी धर्मों में परम धर्म क्या है, क्या जप करने से जीव जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है ? तो भीष्म पितामह ने उन्हें विष्णु दिव्य सहस्रनाम स्तोत्र का उपदेश दिया।

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विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में - vishnu sahasranamam stotra

विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र संस्कृत में – vishnu sahasranamam stotra

यदि हम भगवान विष्णु के सहस्रनाम की बात करें तो इसका मुख्य तात्पर्य होगा विष्णु नाम से वर्णित सहस्रनाम, क्योंकि भगवान विष्णु के अनेकों नाम से भी सहस्रनाम स्तोत्र (vishnu sahasranamam stotra) मिलते हैं। विभिन्न पुराणों में भगवान विष्णु के भी अनेकों सहस्रनाम स्तोत्र मिलते हैं जिनमें से दो प्रमुख विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र यहां दिया गया है। प्रथम गरुड़पुराणोक्त है और द्वितीय स्कन्द पुराणोक्त।

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विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में - vishnu ashtottara shatanama stotram

विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र संस्कृत में – vishnu ashtottara shatanama stotram

क्या आप भगवान विष्णु का अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र (vishnu ashtottara shatanama stotram) ढूंढ रहे हैं ? यदि हां तो यहां आपको एक नहीं दो विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र मिलेगा। प्रथम स्तोत्र को श्रीविष्णोरष्टोत्तरशत दिव्यस्थानीयनाम स्तोत्र नाम से जाना जाता है और द्वितीय स्तोत्र शाक्तप्रमोद में वर्णित है।

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ब्रह्माण्डपावन विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - Brahmandapavan vishnu kavach

ब्रह्माण्डपावन विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – Brahmandapavan vishnu kavach

ब्रह्मवैवर्त पुराण में शौनक – सौति संवाद रूप में भगवान विष्णु का एक अद्भुत कवच वर्णित है जिसे ब्रह्माण्डपावन कवच (Brahmandapavan vishnu kavach) नाम से जाना जाता है। इस कवच पाठ का फल सहस्र अश्वमेध यज्ञ और शत वाजपेय यज्ञतुल्य बताया गया है। यह भी कहा गया है कि इस कवच को धारण करने वाला जीवन्मुक्त हो जाता है, विष्णुतुल्य हो जाता है।

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त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - Trailokyamangal vishnu kavach

त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – Trailokyamangal vishnu kavach

भगवान विष्णु का एक कवच नारद पंचरात्र में भी है जिसे त्रैलोक्यमङ्गल विष्णु कवच (Trailokyamangal vishnu kavach) नाम से भी जाना जाता है। अष्टोत्तर शतावृत्ति करना इसका पुरश्चरण प्रयोग कहा गया है। इस कवच का जो नित्य पाठ करता है उसका त्रैलोक्य में मंगल ही मंगल होता है और वह त्रैलोक्य विजयी भी होता है।

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विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में - vishnu kavach

विष्णु कवच स्तोत्र संस्कृत में – vishnu kavach

जब दुःख के सागर में शोकसंतप्त राजा हरिश्चंद्र में ऋषि अगस्त्य से मुक्ति का उपाय पूछा तो उन्होंने विष्णु कवच (vishnu kavach) बताया। यह विष्णु कवच सभी प्रकार का मंगल करने वाला है, सभी रोगों का प्रशमन करने वाला है, सभी शत्रुओं का विनाश करने वाला है ऐसा फलश्रुति कहा गया है।

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विष्णु पंजर स्तोत्र संस्कृत में - vishnu panjar stotram

विष्णु पंजर स्तोत्र संस्कृत में – vishnu panjar stotram

पंजर स्तोत्र का महत्व बहुत ही कम लोग जानते हैं जबकि कवच स्तोत्र से भी अधिक रक्षक होता है पंजर स्तोत्र। पंजर स्तोत्र में भी कवच की ही भांति अपने इष्ट से सर्वतोभावेन सुरक्षा की कामना की जाती है। भगवान विष्णु की बात करें तो इनके विभिन्न पुराणों में अनेकानेक पंजर स्तोत्र (vishnu panjar stotram) मिलते हैं

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देवी भगवतोक्त महाविष्णु स्तोत्र संस्कृत में - mahavishnu stotram

देवी भगवतोक्त महाविष्णु स्तोत्र संस्कृत में – mahavishnu stotram

श्रीमद्देवी भगवत में भगवान विष्णु का देवताओं द्वारा किया गया एक विशेष स्तोत्र है जिसे महाविष्णु स्तोत्र (mahavishnu stotram) कहा गया है। इसमें देवताओं ने भगवान विष्णु के दशावतार का भी वर्णन किया है और तदनंतर भगवान विष्णु ने जो वरदान दिया उसमें फलश्रुति भी है। इस स्तोत्र के पाठ करने वाले का रोग, उत्पात आदि तो नष्ट होता ही है इसके साथ ही विशेष फल यह भी है कि अकालमृत्यु का भी नाश होता है।

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