यहां पढ़ें चामुण्डा स्तोत्र संस्कृत में – chamunda devi stotra

यहां पढ़ें चामुण्डा स्तोत्र संस्कृत में - chamunda devi stotra

माता दुर्गा का ही एक रूप है चामुण्डा जिन्होंने चण्ड-मुण्ड दैत्यों का विनाश किया था। श्री दुर्गा सप्तशती में उनके लिये कहा गया है “चामुण्डेति ततो ख्याता लोके देवी भविष्यति”, इसी प्रकार यदि हम माता के मूल मंत्र को देखें “ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै” तो इसमें मूल देवी चामुण्डा का ही नाम है। यहां माता चामुण्डा के पुराणों में वर्णित स्तोत्र (chamunda devi stotra) दिये गये हैं जो उपासना में लाभकारी हो सकते हैं।

यहां सर्वप्रथम पद्मपुराणोक्त चामुण्डा स्तुतिः दिया गया है जो रुद्रकृत है। तदनंतर द्वितीय चामुंडा स्तोत्र स्कन्द पुराण से दिया गया है जो गरुड द्वारा किया गया है एवं तृतीत चामुंडा स्तोत्र (Chamunda Stotra) भी स्कन्द पुराण से ही है जो राजा नल द्वारा किया गया है। सभी स्तोत्र संस्कृत में हैं।

पद्मपुराणोक्त चामुण्डा स्तुतिः

स्कन्द पुराणोक्त चामुण्डा स्तोत्र ~ 1

स्कन्द पुराणोक्त चामुण्डा स्तोत्र भगवान शंकर के द्वारा बताये जाने पर गरुड द्वारा किया गया जिससे प्रसन्न होकर चामुण्डा माता (Chamunda Mata) ने उन्हें वरदान दिया था।

स्कन्द पुराणोक्त चामुण्डा स्तोत्र ~ 2

स्कन्द पुराण में ही चामुण्डा माता का एक अन्य स्तोत्र भी मिलता है जो राजा नल द्वारा किया गया है। राजा नल का पत्नी से वियोग हो गया था और दोनों अपार दुःखी थे और चामुण्डा माता की कृपा से पुनः सुख प्राप्त कर पाये थे। चामुण्डा माता (Chamunda Mata) का यह स्तोत्र शीघ्र मनोकामना पूर्ण करने वाला है।

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