धान्याधिवास – प्राण प्रतिष्ठा विधि

धान्याधिवास – प्राण प्रतिष्ठा विधि

प्राणप्रतिष्ठा में देवता प्रतिमा के अनेकानेक अधिवसन कराये जाते हैं जिसमें से जलाधिवास के उपरांत धन्याधिवास कराया जाता है। धन्याधिवास में सप्तधान्य पुंज में देवता प्रतिमा का अधिवसन कराया जाता है। इस आलेख में धन्याधिवास की विधि और मंत्र दी गयी है।

किसी भी प्रतिमा में देवता की प्राण प्रतिष्ठा करने से प्रतिमा को कई प्रकार की वस्तुओं में अधिवास कराया जाता है जिनमें से तीन प्रमुख अधिवास माने गये हैं :

१. जलाधिवास, २. धान्याधिवास और ३. शय्याधिवास

इसके अतिरिक्त भी अन्य कई अधिवास कहे गये हैं : पुष्पाधिवास, वस्त्राधिवास, फलाधिवास, गंधाधिवास, धूपाधिवास, मिष्टान्नाधिवास, घृताधिवास इत्यादि।

धान्याधिवास :

हम अभी धान्याधिवास के बारे में जानेंगे, धान्याधिवास की विधि और मंत्रों को समझेंगे। लेकिन उससे पहले सप्तधान्य के विषय में भी जानकारी अपेक्षित है। क्योंकि कर्मकांड में जब धान्य का प्रयोग होता है तो वहां सप्तधान्य ही माना जाता है।

धान्याधिवास
धान्याधिवास

धान्याधिवास में किसी एक धान्य का प्रयोग करना चाहिये या सप्तधान्य का ?

  • फलाधिवास में कई फलों का प्रयोग होता है।
  • पुष्पाधिवास में कई फूलों का प्रयोग होता है।
  • मिष्टान्नाधिवास में कई प्रकार के मिष्टान्नों का प्रयोग होता है।
  • गंधाधिवास में कई प्रकार के चंदनों का प्रयोग होता है।

फिर धान्याधिवास में किसी एक धान्य का प्रयोग कैसे हो सकता है, जबकि सभी पूजा में धान्य का तात्पर्य सप्तधान्य ही होता है।

जहां तक मुझे सही लगता है धान्याधिवास का तात्पर्य सप्तधान्याधिवास ही है। यदि सभी धान्य समान मात्रा में अनुपलब्ध हो तो भी आंशिक मात्राओं का भी प्रयोग करते हुये सप्त धान्य में ही अधिवास कराया जाना चाहिये।

प्राण प्रतिष्ठा विधि
प्राण प्रतिष्ठा विधि

सप्तधान्य

सप्तधान्य में अधिवास प्रसंगवश सप्तधान्य की चर्चा भी अपेक्षित हो जाती है।

सप्तधान्य श्लोक

  1. यवधान्यतिलाः कंगु मुद्गचणकश्यामकाः। एतानि सप्तधान्यानि सर्वकार्येषु योजयेत्।।
  2. यवगोधूमधान्यानि तिलाः कङ्गुस्तथैव च।श्यामाकाश्चणकश्चैव सप्तधान्यामुदाहृतं ।।

सप्तधान्य के नाम – सप्त अनाज के नाम

  1. ”जौ, धान, तिल, कँगनी, मूँग, चना, और सांवा। इन सात धान्यों को सभी कार्यों में उपयोग में लाना चाहिए।”
  2. दूसरे श्लोक में मूंग की जगह गेहूं ग्रहण किया गया है।
  3. इसके संबंध में अन्य प्रमाण/श्लोक भी प्राप्त होते हैं।

धान्याधिवास – प्राण प्रतिष्ठा विधि

  • धान्याधिवास के लिये पवित्र होकर अधिवास स्थल पर बैठे।
  • संक्षिप्त पवित्रीकरण स्वस्तिवाचन आदि करके धान्याधिवास का संकल्प करे ।

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