गुरु अष्टोत्तर शत नामावली
किसी भी देवता के 108 नामों का पाठ करने के लिये उसे स्तोत्र रूप में ग्रहण किया जाता है और यदि पूजा आदि करनी हो तो सभी नामों का पृथक-पृथक करके उपयोग किया जाता है। गुरु अष्टोत्तरशतनामावली को आगे पृथक-पृथक करके प्रणव व नमः प्रयोग पूर्वक दिया गया है। अष्टोत्तर शतनाम से पूजा करने के लिये इसी प्रकार प्रयोग किया जाता है। गुरु ग्रह के 108 नाम | Gruru ashtottara shatanamavali :
- ॐ गुरवे नमः ॥१॥
- ॐ गुणवराय नमः ॥२॥
- ॐ गोप्त्रे नमः॥३॥
- ॐ गोचराय नमः ॥४॥
- ॐ गोपतिप्रियाय नमः ॥५॥
- ॐ गुणिने नमः ॥६॥
- ॐ गुणवतांश्रेष्ठाय नमः ॥७॥
- ॐ गुरूणांगुरवे नमः ॥८॥
- ॐ अव्ययाय नमः ॥९॥
- ॐ जेत्रे नमः ॥१०॥
- ॐ जयन्ताय नमः ॥११॥
- ॐ जयदाय नमः ॥१२॥
- ॐ जीवाय नमः ॥१३॥
- ॐ अनन्ताय नमः ॥१४॥
- ॐ जयावहाय नमः ॥१५॥
- ॐ आङ्गिरसाय नमः ॥१६॥
- ॐ अध्वरासक्ताय नमः ॥१७॥
- ॐ विविक्ताय नमः ॥१८॥
- ॐ अध्वरकृत्पराय नमः ॥१९॥
- ॐ वाचस्पतये नमः ॥२०॥
- ॐ वशिने नमः ॥२१॥
- ॐ वश्याय नमः ॥२२॥
- ॐ वरिष्ठाय नमः ॥२३॥
- ॐ वाग्विचक्षणाय नमः ॥२४॥
- ॐ चित्तशुद्धिकराय नमः ॥२५॥
- ॐ श्रीमते नमः ॥२६॥
- ॐ चैत्राय नमः ॥२७॥
- ॐ चित्रशिखण्डिजाय नमः ॥२८॥
- ॐ बृहद्रथाय नमः ॥२९॥
- ॐ बृहद्भानवे नमः ॥३०॥
- ॐ बृहस्पतये नमः ॥३१॥
- ॐ अभीष्टदाय नमः ॥३२॥
- ॐ सुराचार्याय नमः ॥३३॥
- ॐ सुराराध्याय नमः ॥३४॥
- ॐ सुरकार्यहितंकराय नमः ॥३५॥
- ॐ गीर्वाणपोषकाय नमः ॥३६॥
- ॐ धन्याय नमः ॥३७॥
- ॐ गीष्पतये नमः ॥३८॥
- ॐ गिरीशाय नमः ॥३९॥
- ॐ अनघाय नमः ॥४०॥
- ॐ धीवराय नमः ॥४१॥
- ॐ धिषणाय नमः ॥४२॥
- ॐ दिव्यभूषणाय नमः ॥४३॥
- ॐ देवपूजिताय नमः ॥४४॥
- ॐ धनुर्धराय नमः ॥४५॥
- ॐ दैत्यहन्त्रे नमः ॥४६॥
- ॐ दयासाराय नमः ॥४७॥
- ॐ दयाकराय नमः ॥४८॥
- ॐ दारिद्र्यनाशकाय नमः ॥४९॥
- ॐ धन्याय नमः ॥५०॥
- ॐ दक्षिणायनसंभवाय नमः ॥५१॥
- ॐ धनुर्मीनाधिपाय नमः ॥५२॥
- ॐ देवाय नमः ॥५३॥
- ॐ धनुर्बाणधराय नमः ॥५४॥
- ॐ हरये नमः ॥५५॥
- ॐ अङ्गिरोवर्षसंजताय नमः ॥५६॥
- ॐ अङ्गिरसकुलसंभवाय नमः ॥५७॥
- ॐ सिन्धुदेशाधिपाय नमः ॥५८॥
- ॐ धीमते नमः ॥५९॥
- ॐ स्वर्णवर्णाय नमः ॥६०॥
- ॐ चतुर्भुजाय नमः ॥६१॥
- ॐ हेमाङ्गदाय नमः॥६२॥
- ॐ हेमवपुषे नमः ॥६३॥
- ॐ हेमभूषणभूषिताय नमः ॥६४॥
- ॐ पुष्यनाथाय नमः ॥६५॥
- ॐ पुष्परागमणिमण्डलमण्डिताय नमः ॥६६॥
- ॐ काशपुष्पसमानाभाय नमः ॥६७॥
- ॐ कलिदोषनिवारकाय नमः ॥६८॥
- ॐ इन्द्राद्यमरसंघपाय नमः ॥६९॥
- ॐ असमानबलाय नमः ॥७०॥
- ॐ सत्त्वगुणसम्पद्विभावसवे नमः ॥७१॥
- ॐ भूसुराभीष्टदाय नमः ॥७२॥
- ॐ भूरियशसे नमः ॥७३॥
- ॐ पुण्यविवर्धनाय नमः ॥७४॥
- ॐ धर्मरूपाय नमः ॥७५॥
- ॐ धनाध्यक्षाय नमः ॥७६॥
- ॐ धनदाय नमः ॥७७॥
- ॐ धर्मपालनाय नमः ॥७८॥
- ॐ सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञाय नमः ॥७९॥
- ॐ सर्वापद्विनिवारकाय नमः ॥८०॥
- ॐ सर्वपापप्रशमनाय नमः ॥८१॥
- ॐ स्वमतानुगतामराय ॥८२॥
- ॐ ऋग्वेदपारगाय नमः ॥८३॥
- ॐ ऋक्षराशिमार्गप्रचारवते नमः ॥८४॥
- ॐ सदानन्दाय नमः ॥८५॥
- ॐ सत्यसंधाय नमः ॥८६॥
- ॐ सत्यसंकल्पमानसाय नमः ॥८७॥
- ॐ सर्वागमज्ञाय नमः ॥८८॥
- ॐ चारुसर्वज्ञाय भूषणाय नमः ॥८९॥
- ॐ सर्ववेदान्तविदे नमः ॥९०॥
- ॐ ब्रह्मपुत्राय नमः ॥९१॥
- ॐ ब्राह्मणेशाय नमः ॥९२॥
- ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय नमः ॥९४॥
- ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय नमः ॥९५॥
- ॐ सर्वलोकवशंवदाय नमः ॥९५॥
- ॐ ससुरासुरगन्धर्ववन्दिताय नमः ॥९६॥
- ॐ सत्यभाषणाय नमः ॥९७॥
- ॐ पीतवाससे नमः ॥९८॥
- ॐ देवाचार्याय नमः ॥९९॥
- ॐ दयावते नमः ॥१००॥
- ॐ शुभलक्षणायनमः ॥१०१॥
- ॐ लोकत्रयगुरवे नमः ॥१०२॥
- ॐ सर्वगाय नमः ॥१०३॥
- ॐ सर्वतोविभवे नमः ॥१०४॥
- ॐ सर्वेशाय नमः ॥१०५॥
- ॐ सर्वदातुष्टाय नमः ॥१०६॥
- ॐ सर्वदाय नमः ॥१०७॥
- ॐ सर्वपूजिताय नमः ॥१०८॥
गुरु अष्टोत्तर शतनाम हवन प्रयोग
हवन करने के लिये किसी भी मंत्र में नमः शब्द के स्थान पर स्वाहा का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि ऊपर दिये गये नमः प्रयोग पूर्वक गुरु अष्टोत्तर शतनाम में ही नमः के स्थान पर स्वाहा प्रयोग करके हवन किया जा सकता है तथापि अधिक सुविधा हेतु नीचे स्वाहा पद का प्रयोग करते हुये गुरु अष्टोत्तर शतनाम दिया गया है जिससे हवन करना अधिक सुगम होता है, Brihaspati ashtottara shatanamavali :
- ॐ गुरवे स्वाहा ॥१॥
- ॐ गुणवराय स्वाहा ॥२॥
- ॐ गोप्त्रे स्वाहा ॥३॥
- ॐ गोचराय स्वाहा ॥४॥
- ॐ गोपतिप्रियाय स्वाहा ॥५॥
- ॐ गुणिने स्वाहा ॥६॥
- ॐ गुणवतांश्रेष्ठाय स्वाहा ॥७॥
- ॐ गुरूणांगुरवे स्वाहा ॥८॥
- ॐ अव्ययाय स्वाहा ॥९॥
- ॐ जेत्रे स्वाहा ॥१०॥
- ॐ जयन्ताय स्वाहा ॥११॥
- ॐ जयदाय स्वाहा ॥१२॥
- ॐ जीवाय स्वाहा ॥१३॥
- ॐ अनन्ताय स्वाहा ॥१४॥
- ॐ जयावहाय स्वाहा ॥१५॥
- ॐ आङ्गिरसाय स्वाहा ॥१६॥
- ॐ अध्वरासक्ताय स्वाहा ॥१७॥
- ॐ विविक्ताय स्वाहा ॥१८॥
- ॐ अध्वरकृत्पराय स्वाहा ॥१९॥
- ॐ वाचस्पतये स्वाहा ॥२०॥
- ॐ वशिने स्वाहा ॥२१॥
- ॐ वश्याय स्वाहा ॥२२॥
- ॐ वरिष्ठाय स्वाहा ॥२३॥
- ॐ वाग्विचक्षणाय स्वाहा ॥२४॥
- ॐ चित्तशुद्धिकराय स्वाहा ॥२५॥
- ॐ श्रीमते स्वाहा ॥२६॥
- ॐ चैत्राय स्वाहा ॥२७॥
- ॐ चित्रशिखण्डिजाय स्वाहा ॥२८॥
- ॐ बृहद्रथाय स्वाहा ॥२९॥
- ॐ बृहद्भानवे स्वाहा ॥३०॥
- ॐ बृहस्पतये स्वाहा ॥३१॥
- ॐ अभीष्टदाय स्वाहा ॥३२॥
- ॐ सुराचार्याय स्वाहा ॥३३॥
- ॐ सुराराध्याय स्वाहा ॥३४॥
- ॐ सुरकार्यहितंकराय स्वाहा ॥३५॥
- ॐ गीर्वाणपोषकाय स्वाहा ॥३६॥
- ॐ धन्याय स्वाहा ॥३७॥
- ॐ गीष्पतये स्वाहा ॥३८॥
- ॐ गिरीशाय स्वाहा ॥३९॥
- ॐ अनघाय स्वाहा ॥४०॥
- ॐ धीवराय स्वाहा ॥४१॥
- ॐ धिषणाय स्वाहा ॥४२॥
- ॐ दिव्यभूषणाय स्वाहा ॥४३॥
- ॐ देवपूजिताय स्वाहा ॥४४॥
- ॐ धनुर्धराय स्वाहा ॥४५॥
- ॐ दैत्यहन्त्रे स्वाहा ॥४६॥
- ॐ दयासाराय स्वाहा ॥४७॥
- ॐ दयाकराय स्वाहा ॥४८॥
- ॐ दारिद्र्यनाशकाय स्वाहा ॥४९॥
- ॐ धन्याय स्वाहा ॥५०॥
- ॐ दक्षिणायनसंभवाय स्वाहा ॥५१॥
- ॐ धनुर्मीनाधिपाय स्वाहा ॥५२॥
- ॐ देवाय स्वाहा ॥५३॥
- ॐ धनुर्बाणधराय स्वाहा ॥५४॥
- ॐ हरये स्वाहा ॥५५॥
- ॐ अङ्गिरोवर्षसंजताय स्वाहा ॥५६॥
- ॐ अङ्गिरसकुलसंभवाय स्वाहा ॥५७॥
- ॐ सिन्धुदेशाधिपाय स्वाहा ॥५८॥
- ॐ धीमते स्वाहा ॥५९॥
- ॐ स्वर्णवर्णाय स्वाहा ॥६०॥
- ॐ चतुर्भुजाय स्वाहा ॥६१॥
- ॐ हेमाङ्गदाय स्वाहा ॥६२॥
- ॐ हेमवपुषे स्वाहा ॥६३॥
- ॐ हेमभूषणभूषिताय स्वाहा ॥६४॥
- ॐ पुष्यनाथाय स्वाहा ॥६५॥
- ॐ पुष्परागमणिमण्डलमण्डिताय स्वाहा ॥६६॥
- ॐ काशपुष्पसमानाभाय स्वाहा ॥६७॥
- ॐ कलिदोषनिवारकाय स्वाहा ॥६८॥
- ॐ इन्द्राद्यमरसंघपाय स्वाहा ॥६९॥
- ॐ असमानबलाय स्वाहा ॥७०॥
- ॐ सत्त्वगुणसम्पद्विभावसवे स्वाहा ॥७१॥
- ॐ भूसुराभीष्टदाय स्वाहा ॥७२॥
- ॐ भूरियशसे स्वाहा ॥७३॥
- ॐ पुण्यविवर्धनाय स्वाहा ॥७४॥
- ॐ धर्मरूपाय स्वाहा ॥७५॥
- ॐ धनाध्यक्षाय स्वाहा ॥७६॥
- ॐ धनदाय स्वाहा ॥७७॥
- ॐ धर्मपालनाय स्वाहा ॥७८॥
- ॐ सर्ववेदार्थतत्त्वज्ञाय स्वाहा ॥७९॥
- ॐ सर्वापद्विनिवारकाय स्वाहा ॥८०॥
- ॐ सर्वपापप्रशमनाय स्वाहा ॥८१॥
- ॐ स्वमतानुगतामराय स्वाहा ॥८२॥
- ॐ ऋग्वेदपारगाय स्वाहा ॥८३॥
- ॐ ऋक्षराशिमार्गप्रचारवते स्वाहा ॥८४॥
- ॐ सदानन्दाय स्वाहा ॥८५॥
- ॐ सत्यसंधाय स्वाहा ॥८६॥
- ॐ सत्यसंकल्पमानसाय स्वाहा ॥८७॥
- ॐ सर्वागमज्ञाय स्वाहा ॥८८॥
- ॐ चारुसर्वज्ञाय भूषणाय स्वाहा ॥८९॥
- ॐ सर्ववेदान्तविदे स्वाहा ॥९०॥
- ॐ ब्रह्मपुत्राय स्वाहा ॥९१॥
- ॐ ब्राह्मणेशाय स्वाहा ॥९२॥
- ॐ ब्रह्मविद्याविशारदाय स्वाहा ॥९३॥
- ॐ समानाधिकनिर्मुक्ताय स्वाहा ॥९४॥
- ॐ सर्वलोकवशंवदाय स्वाहा ॥९५॥
- ॐ ससुरासुरगन्धर्ववन्दिताय स्वाहा ॥९६॥
- ॐ सत्यभाषणाय स्वाहा ॥९७॥
- ॐ पीतवाससे स्वाहा ॥९८॥
- ॐ देवाचार्याय स्वाहा ॥९९॥
- ॐ दयावते स्वाहा ॥१००॥
- ॐ शुभलक्षणाय स्वाहा ॥१०१॥
- ॐ लोकत्रयगुरवे स्वाहा ॥१०२॥
- ॐ सर्वगाय स्वाहा ॥१०३॥
- ॐ सर्वतोविभवे स्वाहा ॥१०४॥
- ॐ सर्वेशाय स्वाहा ॥१०५॥
- ॐ सर्वदातुष्टाय स्वाहा ॥१०६॥
- ॐ सर्वदाय स्वाहा ॥१०७॥
- ॐ सर्वपूजिताय स्वाहा ॥१०८॥