मार्कण्डेयप्रोक्तं हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् – Hariharabhinnatavarnana Stotram

मार्कण्डेयप्रोक्तं हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् - Hariharabhinnatavarnana Stotram

हम सभी जानते हैं कि भगवान शिव और भगवान विष्णु में भेदबुद्धि नहीं रखनी चाहिये और यदि ऐसा करते हैं तो यह एक अपराध है ऐसा शास्त्रों में कहा गया है। शास्त्रों में भगवान विष्णु और शिव दोनों ने ही परस्पर अभेदता का उपदेश दिया है। हरि हर की अभेदता का विशेष वर्णन हरिवंश पुराण में मार्कण्डेय मुनि ने एक स्तोत्र करके किया है जिसे हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् (Hariharabhinnatavarnana Stotram) कहते हैं। यहां मार्कण्डेयप्रोक्तं हरिहराभिन्नतावर्णन स्तोत्रम् संस्कृत में दिया गया है।

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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