हवन विधि – प्रश्नोत्तरी में हवन से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रश्न एवं उनके उत्तर दिये गये हैं। इसे दो भागों में बांटा गया है – प्रथम भाग में वो प्रश्न लिये गये हैं जो इंटरनेट पर अधिकतर पूछे जाते हैं और द्वितीय भाग में वो प्रश्न लिये गये हैं जो इंटरनेट पर तो नहीं पूछे जाते एवं श्रद्धालुओं के मन में होते हैं एवं जिनका उत्तर भी इंटरनेट पर लगभग नहीं मिलता है। इस कारण हवन को समझने के लिये यह आलेख विशेष महत्वपूर्ण है।
हवन विधि – महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर
प्रथम भाग में मुख्य रूप से इंटरनेट पर पूछे जाने वाले प्रश्न हैं जिनका भ्रामक उत्तर देकर श्रद्धालुओं को भ्रमित करने का प्रयास सनातन विरोधियों द्वारा किया जाता है। यहां सही उत्तर प्राप्त करके भ्रम का निवारण किया जा सकता है। यहां बहुत सारे प्रश्नों को लिया गया है इस कारण से विस्तृत उत्तर और शास्त्रों के प्रमाण नहीं दिये गये हैं । लगभग सभी विषयों पर कर्मकाण्ड विधि अलग से विस्तृत आलेख समयानुसार प्रकाशित करने का प्रयास करेगा।
प्रथम भाग
प्रश्न : हवन करते समय कौन कौन से मंत्र बोले जाते हैं?
उत्तर : हवन करते समय जिस देवता के निमित्त आहूति देनी हो उसी देवता का मंत्र पढ़ा जाता है। देवता मंत्र के पहले प्रणव (ॐ) और मंत्र के बाद स्वाहा का उच्चारण किया जाता है।
प्रश्न : हवन की शुरुआत कैसे करें?
उत्तर : हवन को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा गया है – पूर्वाङ्ग, मध्याङ्ग और उत्तराङ्ग। हवन का आरम्भ पूर्वाङ्ग से होता है जिसमें पहली क्रिया पञ्चभूसंस्कार होती है। अर्थात हवन का आरम्भ पञ्चभूसंस्कार से करें।
प्रश्न : घर में कौन सा हवन करना चाहिए?
उत्तर : जो भी पूजा, जप, अनुष्ठान घर में किया जाता है उसका हवन भी घर में ही करना चाहिये।
प्रश्न : घर पर छोटा सा हवन कैसे करें?
उत्तर : छोटा सा हवन कहने वाले कर्मकांड के अपराधी हैं। छोटा हवन नामक कोई चीज नहीं होता। हवन की तीन क्रियाओं में से पूर्वाङ्ग और उत्तराङ्ग सभी प्रकार के हवनों में समान रहता है। मध्याङ्ग में मुख्य देवता की आहूति संख्या न्यूनाधिक होती है। जप का दशांश आहूति दिया जाता है। यदि किसी प्रकार का जप आदि न हो तो १०८ आहूति देनी चाहिये।
प्रश्न : हवन में कितनी आहुति देनी चाहिए?
उत्तर : जप संख्या का दशांश आहूति दिया जाना चाहिये। यदि किसी प्रकार का जप आदि न हो तो, पूजा के निमित्त हवन कर रहे हों तो १०८ आहूति देनी चाहिये। अथवा २८ या न्यूनतम ८ आहूति दें।
प्रश्न : बिना पंडित के हवन कैसे करें?
उत्तर : जो बिना पंडित के हवन करने की विधि बताते हैं वो मूर्ख हैं। बिना पंडित (ब्राह्मण) के हवन की कोई शास्त्रीय विधि नहीं है। मनगढंत विधि या मनमाना आचरण करने से पुण्य के नहीं पाप के भागी बनते हैं।
प्रश्न : घर पर सरल हवन कैसे करें?
उत्तर : सरल हवन नामक कोई विधि नहीं होती है। जनमानस को भ्रमित करने के उद्देश्य से सनातन द्रोहियों के दलाल सरल हवन, छोटा हवन आदि गढ़ते रहे हैं।
प्रश्न : क्या महिलाओं को हवन करना चाहिए?
उत्तर : शास्त्रों में स्त्रियों के हवन करने का निषेध है। धर्म शास्त्र की आज्ञा का पालन करने से होता है। शास्त्राज्ञा का उल्लंघन करके किया गया उत्तम कार्य भी अधर्म ही कहलाता है।
प्रश्न : घर में नवरात्रि का हवन कैसे करें?
उत्तर : हवन कराने के लिये योग्य ब्राह्मण को बुलायें। पंचभूसंस्कार, अग्निस्थापन, ब्रह्मास्थापन आदि करके ब्राह्मण के निर्देशानुसार हवन करें। यदि ब्राह्मण उपलब्ध न हो सकें तो हवन सामग्री मदिरों में जहां ब्राह्मण द्वारा विधि-विधान से हवन किया जा रहा हो वहां दे दें। लेकिन बिना ब्राह्मण के विधि-विधान का त्याग करके मनमाने तरीके से हवन न करें।
प्रश्न : अग्नि देव की पत्नी का नाम क्या है?
उत्तर : अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा है और इसीलिये आहूति देते समय स्वाहा का उच्चारण करना आवश्यक होता है।
प्रश्न : अग्नि देव की पूजा कैसे करें?
उत्तर : अग्नि प्रज्वलित होने के बाद कुण्ड या वेदी के वायव्य कोण में अग्नि देव की पूजा करें।
द्वितीय भाग
हवन करने की विधि एवं मंत्र – संपूर्ण हवन विधि मंत्र – havan vidhi
हवन विधि पूर्वाङ्ग व उत्तराङ्ग – पारस्कर गृह्यसूत्र के अनुसार
ये हवन से संबंधित प्रश्नोत्तरी का द्वितीय भाग है जिसमें कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों और उनके उत्तर को संकलित किया गया है। ये वो प्रश्न हैं जो श्रद्धालुओं के मन में उत्पन्न तो होते हैं किन्तु इनका उत्तर सरलता से प्राप्त नहीं होता।
प्रश्न : क्या सभी प्रकार के हवन में अग्निवास देखना आवश्यक होता है ?
उत्तर : नहीं सभी प्रकार के हवन में अग्निवास देखना अनिवार्य नहीं होता है, जैसे : नवरात्रा, संस्कार, गृहप्रवेश, सत्यनारायण पूजा, रुद्राभिषेक आदि में हवन के लिये अग्निवास की आवश्यकता नहीं होती है।
प्रश्न : क्या सभी प्रकार के हवन में कुण्ड बनाना आवश्यक होता है ?
उत्तर : नहीं सभी प्रकार के हवन में कुण्ड बनाना आवश्यक नहीं होता और यदि आहूति संख्या १००० से कम हो तो कुण्ड नहीं बनाना चाहिये।
प्रश्न : क्या बिना वेदी के भूमि पर हवन किया जा सकता है ?
उत्तर : हां जब आहूति संख्या अधिक न हो तो वेदी या भूमि पर भी हवन किया जा सकता है।
प्रश्न : क्या हमेशा विधि-विधान से ही हवन करना चाहिये ?
उत्तर : हां, जब भी हवन करें आहूति संख्या अत्यल्प ही क्यों न हो अथवा पंचवारुणी होम ही क्यों न करें पूरे विधि-विधान से ही करना चाहिये।
प्रश्न : क्या हवन की कोई संक्षिप्त विधि भी होती है ?
उत्तर : नहीं, हवन की कोई संक्षिप्त विधि नहीं होती है।
प्रश्न : यदि विधि-विधान का पालन न हो सके तो क्या होगा ?
उत्तर : यदि हवन के विधि-विधानों का पालन न किया जाय तो वह हवन आसुरी संज्ञक होगा अर्थात उसे देवता ग्रहण नहीं कर पायेंगे असुर अपहरण कर लेंगे। इसलिये यदि सम्पूर्ण विधि-विधान से हवन न कर सकें तो न करें। मात्र ब्राह्मण भोजन ही करा दें।
प्रश्न : क्या हवन और ब्राह्मण भोजन का समान महत्व है ?
उत्तर : नहीं हवन और ब्राह्मण भोजन का महत्व समान नहीं है। श्रीमद्भागवत महापुराण में भगवान ने स्वयं कहा है कि ब्राह्मण भोजन से जीतनी तृप्ति या प्रसन्नता होती है उतनी हवन से नहीं होती। अर्थात ब्राह्मण भोजन का हवन से अधिक महत्व भगवान ने स्वयं बताया है।
प्रश्न : क्या बिना ब्राह्मण के हवन नहीं करना चाहिये ?
उत्तर : नहीं, बिना ब्राह्मण के किया गया हवन निष्फल होता है। सबसे पहली बात मंत्रों को ब्राह्मण के अधीन कहा गया है, दूसरी बात स्वयं करने पर त्रुटियों का दोष व्याप्त होता है किन्तु ब्राह्मण के निर्देशानुसार करने पर त्रुटि की संभावना तो रहती है किन्तु दोष नहीं, तीसरी बात सभी हवन में ब्रह्मा भी अनिवार्य होते हैं, चौथी बात पूर्णपात्र और दक्षिणा ब्राह्मण को ही देना चाहिये यह अनिवार्य होता है, चौथी बात ब्राह्मण भोजन भी अनिवार्य होता है। अतः बिना ब्राह्मण के हवन नहीं हो सकता और भ्रमित होकर जो कोई करता है वो पुण्य का नहीं पाप का भागी ही होता है।
प्रश्न : हवन के में किन द्रव्यों की आहूति दी जाती है ?
उत्तर : हवन के आहूति द्रव्य तो बहुत होते हैं लेकिन वैदिक हवन में मुख्य रूप से तीन आहूती द्रव्य होते हैं – समिधा, आज्य और शाकल्य।
प्रश्न : समिधा क्या होता है ?
उत्तर : पलाश आदि हवनीय काष्ठ का प्रादेश प्रमाण समिधा कहलाता है। हवन में घृताक्त समिधा की आहूति दी जाती है।
प्रश्न : आज्य क्या होता है ?
उत्तर : शास्त्रीय विधि द्वारा संस्कारित घृतादि द्रव्य आज्य कहलाता है। जब तक संस्कारित नहीं किया जाता तब तक वह घृत संज्ञक होता है और आहूति देने योग्य नहीं होता है।
प्रश्न : शाकल्य क्या होता है ?
उत्तर : निश्चित मात्रा में तिल, चावल, जौ, घृत और शक्कर का मिश्रण शाकल्य कहलाता है। इसके लिये तिल का आधा चावल, फिर चावल का आधा जौ, जौ का आधा शक्कर, और सबको मिलाकर सबका आधा घी इस प्रकार मात्रा बताई गयी है।
प्रश्न : क्या स्रुवा-स्रुचि आदि हवन पात्र हवन के लिये अनिवार्य होता है ?
उत्तर : हां, हवन करने के लिये स्रुवा-स्रुचि-स्फय-प्रोक्षणी-प्रणीता आदि पात्र अनिवार्य होता है।
प्रश्न : क्या हवन करने से पर्यावरण शुद्ध होता है ?
उत्तर : हां, हवन करने से पर्यावरण शुद्ध होता है, परन्तु मात्र पर्यावरण को शुद्ध करने के लिये हवन नहीं किया जाता है। हवन से पर्यावरण का शुद्ध होना अतिरिक्त लाभ (Estra Benefit) होता है न की वास्तविक लाभ।
प्रश्न : क्या जप का दशांश हवन करना आवश्यक होता है ?
उत्तर : हां, जप का दशांश हवन करना, फिर हवन का दशांश तर्पण, तर्पण का दशांश मार्जन और मार्जन का दशांश ब्राह्मण भोजन करना आवश्यक होता है। हवन का सामर्थ्य न होने पर विंशांश जप का विधान बताया गया है।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।
बहुत सुंदर भाई साहब आनंद आ गया एक कृपा और कर देते अगर संभव हो तो इन सब के श्लोक प्रमाण और मिल जाते तो बड़ी कृपा हो जाति हृदय से धन्यवाद
आभार, प्रयास करते हैं