कलश स्थापना विधि और मंत्र – kalash sthapana 1st Day

कलश स्थापन पूजन विधि

(अश्वस्थानाद गजस्थानाद वल्मिकात्संगमात्हृदात् । राजग्द्वाराच्च गोगोष्ठान मृदमानीय निक्षिपेत्) सप्तमृत्तिका शुद्ध हो तो दे अन्यथा अशुद्ध का प्रयोग न करे या विकल्प गंगा की मिट्टी अथवा गोशाला की मिट्टी का ग्रहण करे।

(पंचरत्न शुद्ध उपलब्ध हो तो दें अन्यथा बाजारू निकृष्ट वस्तु न दें, यदि शुद्ध पंचरत्न उपलब्ध न हों तो उसके स्थान पर स्वर्ण अथवा पुराने ५ सिक्के ही दे दें। १-२-५ रूपये का पुराना सिक्का लौहमय नहीं होता है, किन्तु नया सिक्का देना हो तो १० या ५० का ही दें )

(पिधानं सर्ववस्तूनां सर्वकार्यार्थसाधनम्। संपूर्ण: कलशो येन पात्रं तत्कलशोपरि) कलश पर पूर्णपात्र रखें ।

(बहुत विद्वानों का कलश के ऊपर दीपक रखने संबंधी विषय में किञ्चित भ्रम भी रहता है और इस भ्रम का निवारण होना भी आवश्यक है : कलश के ऊपर दीप रखने के बारे में विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए वीडियो देखें।)

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