किसी भी देवी-देवता की पूजा-उपासना में ध्यान का विशेष महत्व होता है। पूजा करने से पहले ध्यान करना चाहिये। माता काली की पूजा दशमहाविद्या के अंतर्गत भी होती है और पृथक भी। यहां माँ काली का ध्यान मंत्र संस्कृत में दिया गया है। kali dhyan mantra
माँ काली ध्यान मंत्र संस्कृत में – kali dhyan mantra
सद्यश्छिन्नशिरः कृपाणमभयं हस्तैर्वरं बिभ्रतीं
घोरास्यां शिरसां स्रजा सुरुचिरामुन्मुक्तकेशावलीम् ।
सृक्कासृत्प्रवहां श्मशाननिलयां श्रुत्योः शवालङ्कृतिं
श्यामाङ्गीं कृतमेखलां शवकरैर्देवीं भजे कालिकाम् ॥१॥
शिवारूढां महाभीमां घोरदंष्ट्रां हसन्मुखीम् ।
चतुर्भुजां खड्गमुण्डवराभयकरांशिवाम् ॥२॥
मुण्डमालाधरां देवीं ललज्जिह्वां दिगम्बराम् ।
सदा सञ्चिन्तये कालीं श्मशानालयवासिनीम् ॥३॥
नमामि दक्षिणामूर्तिं कालिकां परभैरवीम् ।
भिन्नाञ्जनचयप्रख्यां प्रवीरशवसंस्थिताम् ॥४॥
गलच्छोणितधाराभिः स्मेराननसरोरुहाम् ।
पीनोन्नतकुचद्वन्द्वां पीनवक्षोनितम्बिनीम् ॥५॥
दक्षिणां मुक्तकेशालीं दिगम्बरविनोदिनीम् ।
महाकालशवाविष्टां स्मेराम्बरपरिस्थिताम् ॥६॥
मुखसान्द्रस्मितामोदमोदिनीं मदविह्वलाम् ।
आरक्तमुखसान्द्राभिः नेत्रालीभिर्विराजिताम् ॥७॥
शवद्वयकृतोत्तंसांसिन्दूरतिलकोज्ज्वलाम् ।
पञ्चाशन्मुण्डघटितमालाशोणितलोहिताम् ॥८॥
नानामणिविशोभाढ्यनानालङ्कारशोभिताम् ।
शवास्थिकृतकेयूरशङ्खकङ्कणमण्डिताम् ॥९॥
शववक्षःसमारूढां लेलिहानां शवं क्वचित् ।
शवमांसकृतग्रासां साट्टहासं मुहुर्मुहुः ॥१०॥
खड्गमुण्डधरां वामे सव्येऽभयवरप्रदाम् ।
दन्तुरां च महारौद्रीं चण्डनादातिभीषणाम् ॥११॥
शिवाभिर्घोररूपाभिर्वेष्टितां भयनाशिनीम् ।
माभैर्माभैः स्वभक्तेषु जल्पन्तीं घोरनिःस्वनैः ॥१२॥
यूयं किमिच्छत ब्रूत ददामीति प्रभाषिणीम् ।
ध्यायामि तां महाकालीं सर्वोपद्रववारिणीम् ॥१३॥
॥ इति श्रीकालीध्यानं सपूर्णम् ॥
दक्षिण काली ध्यान मंत्र – Dakshina kali dhyan mantra
करालवदनां घोरां मुक्तकेशीं चतुर्भुजाम् ।
कालिकां दक्षिणां दिव्यां मुण्डमाला विभूषिताम् ॥
सद्यः छिन्नशिरः खड्गवामाधोर्ध्वं कराम्बुजाम् ।
अभयं वरदञ्चैव दक्षिणोर्ध्वाध: पाणिकाम् ॥
महामेघ प्रभां श्यामां तथा चैव दिगम्बरीम् ।
कण्ठावसक्तमुण्डाली गलद्रुधिर चर्चिताम् ॥
कर्णावतंसतानीत शवयुग्मं भयानकां ।
घोरदंष्ट्रां करालास्यां पीनोन्नत पयोधराम् ॥
शवानां कर संघातैः कृतकाञ्ची हसन्मुखीम् ।
सृक्कद्वयगलद् रक्तधारां विस्फुरिताननाम् ॥
घोररावां महारौद्रीं श्मशानालय वासिनीम् ।
बालर्कमण्डलाकारं लोचन त्रितयान्विताम् ॥
दन्तुरां दक्षिण व्यापि मुक्तालम्बिकचोच्चयाम् ।
शवरूप महादेव हृदयोपरि संस्थिताम् ॥
शिवाभिर्घोर रावाभिश्चतुर्दिक्षु समन्विताम् ।
महाकालेन च समं विपरीत रतातुराम् ॥
सुक प्रसन्नावदनां स्मेरानन सरोरुहाम् ।
एवं सञ्चियन्तयेत् काली सर्वकाम समृद्धिदां ॥
॥ इति दक्षिण कालिका ध्यानम् ॥
महाकाली ध्यान मंत्र
ॐ खड्गं चक्रगदेषु चापपरिघाञ्छूलं भुशुण्डीं शिरः
शङ्खं संदधतीं करैस्त्रिनयनां सर्वाङ्गभूषावृताम् |
यामस्तौत्स्त्वपितै हरौ कमलजो हन्तुं मधुं कैटभम्
नीलाश्मद्युतिमास्यपाददशकां सेवे महाकालिकाम् ॥
जिनकी 10 भुजाये है और क्रमशः उन भुजाओ में खड्ग, चक्र, गदा, बाण, धनुष, परिघ, त्रिशूल, भुशुण्डी, मुण्ड और शङ्ख धारण किया है।
ऐसी तीन नेत्रों वाली त्रिनेत्रा सभी अङ्गो में आभूषणों से विभूषित नीलमणि जैसी आभावाली दशमुखों वाली और दश पैरों वाली महाकाली माता; जिनकी स्तुति मधु कैटभ का वध करने के लिए विष्णु के सो जाने पर साक्षात् ब्रह्मदेव (ब्रह्माजी) ने की थी; का मैं ध्यान करता (या करती) हूँ।
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।