क्षमा प्रार्थना का तात्पर्य है अपने अपराधों (गलतियों) के लिये क्षमा याचना की विनती करना। यहां दिये गये क्षमा प्रार्थना में एक मंत्र “आवाहनं न जानामि” का प्राकारांतर भी दिया गया है एवं एक अतिरिक्त मंत्र “प्रसीद भगवत्यम्ब” भी दिया गया है। इसके साथ ही क्षमा प्रार्थना का हिंदी में अर्थ भी दिया गया है और पाठ का अभ्यास करने हेतु विडियो भी दिया गया है। तत्पश्चात अनेकों प्रश्न और उनके उत्तर भी प्रस्तुत किये गये हैं जिससे यह आलेख विशेष महत्वपूर्ण हो जाता है।
क्षमा प्रार्थना मंत्र
- क्षमा प्रार्थना का तात्पर्य है अपने अपराधों (गलतियों) के लिये क्षमा याचना की विनती करना।
- अपराध तो सामान्य मनुष्य की सेवा (नौकरी) में भी बहुत सारे होते हैं जबकि मनुष्य तो बराबर श्रेणी का प्राणी ही होता है।
- फिर जो सम्पूर्ण जगत की माता जगदम्बा है उनकी सेवा (पूजा-अर्चना) भली-भांति कर लें ये तो संभव ही नहीं है। हाँ वेद-शास्त्रों में बताई हुयी विधि के अनुसार अधिकतम विधानों का पालन करते हुये न्यूनतम अपराध का प्रयास करना चाहिये। फिर भी जाने-अनजाने बहुत सारे अपराध होते ही हैं जिसके लिये पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना अवश्य करनी चाहिये।
- प्रतिदिन की पूजा में भी क्षमायाचना अवश्य कर्तव्य है।
- अपराध कई प्रकार के होते हैं – जैसे विधि का पालन न करना। वस्तु की कमी होना। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होना। ध्यान का भटकना। विस्मरण होना। प्रमाद होना इत्यादि-इत्यादि। आज के समय में तो मोबाइल के कारण सर्वाधिक अपराध होता है। सभी प्रकार के अपराधों के लिये क्षमा प्रार्थना किया जाना चाहिये।
- क्षमा प्रार्थना से क्षमा मांग ही लेंगे ऐसा सोचकर जान-बूझकर कोई अपराध नहीं किया जाना चाहिये।
क्षमा प्रार्थना संस्कृत में
अपराधसहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥१॥
आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥२॥
(आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनं।
स्तवनं चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥)
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।
यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥३॥
अपराधशतं कृत्वा जगदम्बेति चोच्चरेत्।
यां गतिं समवाप्नोति न तां ब्रह्मादयः सुराः॥४॥
सापराधोऽस्मि शरणं प्राप्तस्त्वां जगदम्बिके।
इदानीमनुकम्प्योऽहं यथेच्छसि तथा कुरू॥५॥
अज्ञानाद्विस्मृतेर्भ्रान्त्या यन्न्यूनमधिकं कृतम्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देवि प्रसीद परमेश्वरि॥६॥
कामेश्वरि जगन्मातः सच्चिदानन्दविग्रहे।
गृहाणार्चामिमां प्रीत्या प्रसीद परमेश्वरि॥७॥
गुह्यातिगुह्यगोप्त्री त्वं गृहाणास्मत्कृतं जपम्।
सिद्धिर्भवतु मे देवि त्वत्प्रसादात्सुरेश्वरि॥८॥
अतिरिक्त :
प्रसीद भगवत्यम्ब प्रसीद भक्तवत्सले ।
प्रसादं कुरु मे देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥९॥
- यहां मंत्र संख्या २ का एक अन्य प्रकार भी दिया गया है। भावनात्मक रूप से इस मंत्र का उद्देश्य यह होता है कि जिस प्रतिमा का विसर्जन नहीं कर रहे हैं उसके लिये विसर्जन का उच्चारण अनपेक्षित होता है।
- पुनः एक अतिरिक्त मंत्र संख्या ९ है जो माता से कृपा प्राप्ति के लिये बहुत महत्वपूर्ण है।
क्षमा प्रार्थना हिंदी में
- हे परमेश्वरि दिन रात मेरे द्वारा सहस्त्र अपराध होते ही रहते हैं। लेकिन मुझे अपना सेवक जानकर, कृपा करके मेरे सभी अपराधों को क्षमा करो ॥१॥
- मैं न तो आवाहन करना जानता हूँ, विसर्जन करना भी नहीं जनता हूँ, ना ही पूजा करना जानता हूँ, फिरभी हे परमेश्वरि मेरे अपराधों को क्षमा करो ॥२॥ (मैं न तो आवाहन करना जानता हूँ, अर्चना करना भी नहीं जनता हूँ, ना ही स्तवन करना जानता हूँ, फिरभी हे परमेश्वरि मेरे अपराधों को क्षमा करो ॥)
- हे सुरेश्वरि मैंने जो मंत्र से हीन, क्रिया से हीन, भक्ति से भी हीन जिस प्रकार भी आपका पूजन किया है वो सब आपकी कृपा से पूर्ण हो ॥३॥
- सौ प्रकार के अपराध करने के बाद भी भक्तगण आपकी शरण में आकर मात्र “जगदम्बा” इतना उच्चारण करे तो उसे जिस उत्तम गति की प्राप्ति होती है उसे ब्रह्मा आदि देवगण भी प्राप्त करने में असमर्थ है ॥४॥
- हे जगदम्बिके में अपराधी होकर भी तुम्हारी शरण में आया हूँ। मेरे ऊपर दया करते हुये तुम्हारी जैसी इच्छा हो वैसा करो ॥५॥
- मुझसे अज्ञानवश, विस्मरण अथवा भ्रान्ति (भ्रम) के कारण जो भी आपकी पूजा-अर्चना में जो कुछ भी न्यूनाधिक हुआ हो, हे देवी आप प्रसन्न होकर सभी अपराधों को क्षमा करो ॥६॥
- सच्चिदानन्दस्वरूपा परमेश्वरि जगन्माता कामेश्वरि | आप प्रेमपूर्वक मेरी इस पूजा को स्वीकार करो | और मुझपर सदैव प्रसन्न रहो ॥७॥
- देवि ! तुम गोपनीय से गोपनीय वस्तु की भी रक्षा करनेवाली हो | मेरे द्वारा किये गये जप को ग्रहण करो | तुम्हारी ही कृपा से मुझे सिद्धि प्राप्ति हो ॥८॥
- अतिरिक्त : हे भगवती ! हे अम्बिका ! प्रसन्न होओ, हे भक्तवत्सले प्रसन्न होओ। मुझे हे दुर्गे देवी आपको नमस्कार है अपना कृपापात्र बनाओ अर्थात मेरे ऊपर कृपा करो ॥९॥
F & Q ?
प्रश्न : क्षमा मंत्र क्या है?
उत्तर : सभी देवताओं की पूजा के बाद किसी भी प्रकार के दोष या अपराध के लिये क्षमा याचना की जाती है। सभी देवताओं के लिये क्षमा याचना के मंत्र अलग-अलग होते हैं। मुख्य रूप से सभी देवियों की पूजा में क्षमा प्रार्थना के ८ मंत्र जो आवाहनं न जानामि से गुह्याति गुह्यगोप्त्रीत्वं तक है पढ़ा जाता है।
प्रश्न : सबसे अच्छी क्षमा प्रार्थना कौन सी है?
उत्तर : सबसे अच्छी क्षमा प्रार्थना यह है कि क्षमा मंत्रों का पाठ करते हुये भावनात्मक रूप से क्षमा याचना करें। सबसे अच्छी क्षमा प्रार्थना मंत्र है – मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि। यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥

प्रश्न : मां दुर्गा से प्रार्थना कैसे करें?
उत्तर : दुर्गा सप्तशती में क्षमा प्रार्थना नामक ८ (९) मंत्र हैं, जो ऊपर दिया भी गया है। दोनों हाथों से प्रणाम करके इन मंत्रों का पाठ करते हुये भावनात्मक रूप से भी क्षमा याचना करें।
प्रश्न : मां दुर्गा का आवाहन कैसे करें?
उत्तर : मां दुर्गा का आवाहन प्रतिमा, कलश या चित्र में किया जा सकता है। अक्षत और पुष्प लेकर आवाहन मंत्र पढ़ें (जो पूजा विधि में दिया गया है) और फिर जहां आवाहन कर रहे हैं वहां समर्पित करें।

प्रश्न : मां दुर्गा का आवाहन कैसे करें?
उत्तर : मां दुर्गा का आवाहन प्रतिमा, कलश या चित्र में किया जा सकता है। अक्षत और पुष्प लेकर आवाहन मंत्र पढ़ें (जो पूजा विधि में दिया गया है) और फिर जहां आवाहन कर रहे हैं वहां समर्पित करें। आवाहन मंत्र – ॐ मनो जूतिर्ज्जुषतामाज्ज्यस्य बृहस्पतिर्य्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं य्यज्ञ ᳪ समिमं दधातु। विश्वे देवासऽइह मादयन्तामों३ प्रतिष्ठ ॥ कलशे वरुणाद्यावाहितदेवता: सुप्रतिष्ठिता: वरदा: भवन्तु ॥ ॐ साङ्गसायुधसवाहनसपरिवार भुर्भुवः स्वः श्री दुर्गे इहागच्छ इहतिष्ठ॥ इह सन्निधेहि सन्निधेहि, अत्राधिष्ठानं कुरु कुरु, मम सर्वोपचारसहितां पूजां गृहाण-गृहाण स्वाहा॥
प्रश्न : दुर्गा पूजा में क्या पहनना चाहिए?
उत्तर : दुर्गा पूजा में लाल या पीले रंग का वस्त्र पहनना चाहिये। पुरुष को धोती और गमछा एवं स्त्रियों को साड़ी, साया, ब्लॉज आदि शास्त्रोक्त वस्त्र ही पहनना चाहिये। लड़कियां कुर्ती, सलवार आदि पहन सकती है।
॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ सुशांतिर्भवतु ॥ सर्वारिष्ट शान्तिर्भवतु ॥
आगे सम्पूर्ण दुर्गा सप्तशती के अनुगमन कड़ी दिये गये हैं जहां से अनुसरण पूर्वक कोई भी अध्याय पढ़ सकते है :
कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।