महामृत्युंजयष्टक

महामृत्युंजयष्टक

किसी भी भगवान की आराधना में स्तोत्र का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। स्तोत्रों में अष्टक का विशेष महत्व होता है। सभी देवताओं के विभिन्न स्तोत्रों के साथ ही उनके अष्टक स्तोत्र भी होते है। इसी प्रकार महामृत्युंजय भगवान का भी अष्टक स्तोत्र है। इस आलेख में महामृत्युंजय अष्टक दिया गया है। किसी भी देवता की पूजा के उपरांत देवता के अष्टक स्तोत्र का पाठ करना विशेष लाभकारी होता है।

महामृत्युञ्जयाष्टकम्

देवता की अष्टक स्तुति का तात्पर्य होता है स्तोत्र के माध्यम से अष्टाङ्ग प्रणाम करना। महामृत्युंजय अष्टक का महत्व स्तोत्र में भी बताया गया है कि मृत्युं प्राप्तोऽपि जीवति अर्थात मृत्यु प्राप्त होने पर भी जीवित रह सकता है अर्थात सुनिश्चित मृत्युकाल उपस्थित होने के बाद भी जीवित रह सकता है। अर्द्धरात्रि में 84 बार पाठ करने का विशेष महत्व भी बताया गया है।

रुद्रसूक्त
महामृत्युञ्जय अष्टक

॥ इति महामृत्युञ्जयाष्टकम् ॥

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