मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि

मकर संक्रांति का महत्व क्या है ? दान करने की विधि

मकर संक्रांति की पूजा कैसे की जाती है ?

मकर संक्रांति को क्या-क्या दान करना चाहिये : दान करने की कोई सीमा नहीं होती है, वस्तुतः अपने सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिये जिसे यथाशक्ति दान कहा जाता है। यथाशक्ति का तात्पर्य होता है न तो सामर्थ्य (आर्थिक स्थिति) से अधिक और न ही बहुत कम (कृपणता पूर्वक अत्यल्प)।

दान स्वयं के कल्याण कामना से किया जाता है और इस सच्चाई को समझकर ही दान करना चाहिये।

सनातन द्रोही गिफ्ट में तो बड़ी-बड़ी गाड़ियां, मोबाइल, लैपटॉप, फ्रीज, स्वर्णाभूषण इत्यादि परस्पर लेन-देन करते हैं किन्तु जिससे पुण्य प्राप्त हो, जो आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त करता हो उन सभी शास्त्रोक्त व्यवहारों के विरुद्ध अनाप-सनाप बकते रहते हैं।

जिसे विश्वास हो वही करे और आत्मकल्याण की भावना से ही करे। मकर संक्रांति के पुण्यकाल में मुख्यतः इन वस्तुओं का दान करना चाहिये : तिल, खिचड़ी (चावल-दाल मिश्रित), सब्जी, चूड़ा, दही, शक्कर, तिलकुट, कम्बल, घी आदि। अधिक सामर्थ्य और इच्छा होने पर और विशेष सामग्रियां भी दान की जा सकती है।

मकर संक्रांति
मकर संक्रांति

दान करने की विधि और मंत्र :

दान कर्ता नित्यकर्म समापन करके किसी वस्त्र पर सभी दान वस्तुओं को क्रमबद्ध रख ले। उत्सर्ग हेतु किसी पात्र या पत्ते पर चंदनमिश्रित उजला फूल अक्षत मिलाकर रखे, तिल रखे, जलपात्र में जल ले ले। धूप-दीप जला ले। ब्राह्मण पूजा करने के लिये किसी पात्र या पत्ते पर उत्तराग्र त्रिकुशा रखे। आसन पर बैठकर पवित्रीकरण करके नीचे बताई गई विधि से दान करे :

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