नवग्रहों में राहु का आठवां क्रम आता है। जैसे सूर्य, चंद्र, मंगल आदि ग्रहों की शांति विधि मिलती है उसी प्रकार राहु के लिये भी शांति विधि प्राप्त होती है। राहु को क्रूर, पाप ग्रह कहा जाता है और जिससे संपर्क या दृष्टि आदि युति करे उसे भी अशुभ कर देता है। राहु को छायाग्रह भी कहा जाता है क्योंकि इसका कोई पिंड नहीं है यह वास्तव में एक बिंदु है जो सूर्य और चंद्र मार्ग का संक्रमण स्थल है। इस आलेख में राहु शांति विधि दी गयी है। राहु शांति विधि का तात्पर्य शास्त्रोक्त विधान से राहु के अशुभ फलों की शांति करना है।
राहु शांति के उपाय | राहु शांति पूजा : Rahu shanti ke upay
सूर्य, चंद्र, मंगल और बुध की शांति विधि पूर्व आलेखों में दी गयी है, यहां हम राहु शांति विधि देखेंगे और समझेंगे। राहु शांति का तात्पर्य है राहु के अशुभ फलों के निवारण की शास्त्रोक्त विधि। यदि राहु निर्बल हो तो सबल करने के लिये गोमेद, लाजवर्त आदि धारण करना लाभकारी होता है। किन्तु यदि राहु के कोई अशुभ प्रभाव हों तो उसका निवारण रत्न धारण करना नहीं होता, ग्रहों के अशुभ प्रभाव का निवारण करने के लिये शांति ही करनी चाहिये।
राहु शांति के उपाय का तात्पर्य है राहु के अशुभत्व का निवारण करने वाला उपाय, अनिष्ट फलों का शमन करने वाला उपाय चाहे वह पूजा हो, हवन हो, जप हो, पाठ हो, दान हो, रत्न-जड़ी धारण करना हो, यंत्र धारण करना हो। अर्थात यदि राहु किसी प्रकार से अशुभ हों तो उनकी शांति के लिये इतने प्रकार के उपाय किये जा सकते हैं।
राहु शांति पूजा विधि
राहु यदि कमजोर अर्थात निर्बल हो तो उसे सबल करने हेतु निम्न उपाय (रत्नादि धारण) किये जा सकते हैं :
- रत्न : गोमेद।
- उपरत्न : लाजवर्त।
- जड़ी : श्वेत चंदन
- दिन : शनिवार।
- समिधा : दूर्वा
- धातु : लौह
१३ | ८ | १५ |
१४ | १२ | १० |
९ | १६ | ११ |
राहु शांति मंत्र – Rahu Shanti Mantra
- वैदिक मंत्र (वाजसनेयी) : ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः । सखा कया सचिष्ठया वृता ॥
- वैदिक मंत्र (छन्दोगी) : ॐ कया नश्चित्र आ भुवदूती सदावृधः । सखा कया सचिष्ठया वृता ॥
- तांत्रिक मंत्र : ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों सः राहवे नमः॥
- एकाक्षरी बीज मंत्र : ॐ रां राहवे नमः॥
- जप संख्या : 18000
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