सत्यनारायण पूजा सामग्री एवं नियम

सत्यनारायण पूजा सामग्री सत्यनारायण पूजा सामग्री

सत्यनारायण व्रत की विधि

पूजा का सही समय – सत्यनारायण पूजा का सही समय प्रदोषकाल होता है। प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद पहला पहर (लगभग ३ घंटा) कहलाता है। प्रदोष काल को ही निशामुख भी कहा जाता है।

व्रत के नियम : सत्यनारायण पूजा में भी व्रत के जो सामान्य नियम शास्त्रों में बताये गये हैं उनका पालन करना चाहिये।सत्यनारायण पूजा वास्तव में सत्यनारायण व्रत का अंग है। जिस दिन सत्यनारायण व्रत कर रहे हों व्रत के नियमों का पालन करें।

सपत्नीक पूजा करना : अन्य पूजाओं में तो यजमान पत्नी के साथ भाग लेते हैं, किन्तु सत्यनारायण पूजा को कमतर आंकते हुये अकेले करते हैं। जबकि कोई भी पूजा अकेले (जिसकी पत्नी हो उसे) नहीं करनी चाहिये।

पूजा की तैयारी करना : यजमान को सभी पूजा की तैयारी स्वयं करनी चाहिये। लोगों के मन में जो यह भावना रहती है कि पूजा की तैयारी करना ब्राह्मण का काम है यह अनुचित है। पूर्वाभिमुख या पश्चिमाभिमुख सिंहासन लगाकर उसमें केला का पत्ता-कदम्बगाछी बांध ले ऊपर में चांदनी टांगे, वही पर आगे में कलश स्थापना के लिये अष्टदल बनाकर उस पर धान्यपुञ्ज बना ले।

बगल में थोड़ा सा गोबर रख ले। कलश में स्वस्तिक बनाकर लाल कपड़ा बांध ले, नारियल में भी लाल कपड़ा बांध ले। पञ्चामृत बना ले। धूप-दीप-नैवेद्य यथास्थान लगा ले। पत्ते पर या थाली में अक्षत, तिल, चंदन, पुष्पादि पूजन सामग्री व्यवस्थित कर ले। किसी बड़े थाली में भी पूजन के लिये अष्टदल बना ले। शीतल प्रसाद बना ले।

सत्यनारायण व्रत कथा
सत्यनारायण व्रत कथा

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सत्यनारायण पूजा किस दिन करनी चाहिए : सत्यनारायण भगवान की पूजा यदि मासिक रूप से करते हैं तो पूर्णिमा, संक्रांति, एकादशी, द्वादशी आदि तिथियों की की जा सकती है। अन्य दिनों के लिये किसी विशेष मुहूर्त की आवश्यकता नहीं होती जिस-किसी दिन भी पूजा करने का मन हो जाये की जा सकती है – यस्मिन कस्मिन दिने मर्त्यो भक्तिश्रद्धा समन्वितः। सत्यनारायणं देवं यजेत्तुष्टो जनार्दनः।।

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सत्यनारायण व्रत कथा हिंदी में करनी चाहिये या संस्कृत में ?

संस्कृत देववाणी है और किसी भी कथाश्रवण का पुण्य उसका संस्कृत पाठ सुनने से ही प्राप्त होता है। समझने के लिये हिंदी में भी सुन सकते हैं। लेकिन संस्कृत में अवश्य ही ध्यानपूर्वक श्रवण करना चाहिये। आजकल बहुत जगहों पर केवल हिंदी में कथा की परम्परा चल पड़ी है जो वृथा है। हिंदी में कथा सुनने से केवल समझी जा सकती है जो अन्य किसी दिन भी सुन सकते हैं। जिस दिन व्रत-पूजा करते हैं उस दिन हिंदी में सुने या न सुने संस्कृत में अवश्य सुनें।

नित्य कर्म पूजा पद्धति मंत्र

कर्मकांड विधि में शास्त्रोक्त प्रमाणों के साथ प्रामाणिक चर्चा की जाती है एवं कई महत्वपूर्ण विषयों की चर्चा पूर्व भी की जा चुकी है। तथापि सनातनद्रोही उचित तथ्य को जनसामान्य तक पहुंचने में अवरोध उत्पन्न करते हैं। एक बड़ा वैश्विक समूह है जो सनातन विरोध की बातों को प्रचारित करता है। गूगल भी उसी समूह का सहयोग करते पाया जा रहा है अतः जनसामान्य तक उचित बातों को जनसामान्य ही पहुंचा सकता है इसके लिये आपको भी अधिकतम लोगों से साझा करने की आवश्यकता है।

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