शनि अष्टोत्तर शत नामावली
किसी भी देवता के 108 नामों का पाठ करने के लिये उसे स्तोत्र रूप में ग्रहण किया जाता है और यदि पूजा आदि करनी हो तो सभी नामों का पृथक-पृथक करके उपयोग किया जाता है। शनि अष्टोत्तरशतनामावली को आगे पृथक-पृथक करके प्रणव व नमः प्रयोग पूर्वक दिया गया है। अष्टोत्तर शतनाम से पूजा करने के लिये इसी प्रकार प्रयोग किया जाता है। शनि ग्रह के 108 नाम | Shani ashtottara shatanamavali :
- ॐ शनैश्चराय नमः ॥१॥
- ॐ शान्ताय नमः ॥२॥
- ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने नमः॥३॥
- ॐ शरण्याय नमः ॥४॥
- ॐ वरेण्याय नमः ॥५॥
- ॐ सर्वेशाय नमः ॥६॥
- ॐ सौम्याय नमः ॥७॥
- ॐ सुरवन्द्याय नमः ॥८॥
- ॐ सुरलोकविहारिणे नमः ॥९॥
- ॐ सुखासनोपविष्टाय नमः ॥१०॥
- ॐ सुन्दराय नमः ॥११॥
- ॐ घनाय नमः ॥१२॥
- ॐ घनरूपाय नमः ॥१३॥
- ॐ घनाभरणधारिणे नमः ॥१४॥
- ॐ घनसारविलेपाय नमः ॥१५॥
- ॐ खद्योताय नमः ॥१६॥
- ॐ मन्दाय नमः ॥१७॥
- ॐ मन्दचेष्टाय नमः ॥१८॥
- ॐ महनीयगुणात्मने नमः ॥१९॥
- ॐ मर्त्यपावनपदाय नमः ॥२०॥
- ॐ महेशाय नमः ॥२१॥
- ॐ छायापुत्राय नमः ॥२२॥
- ॐ शर्वाय नमः ॥२३॥
- ॐ शततूणीरधारिणे नमः ॥२४॥
- ॐ चरस्थिरस्वभावाय नमः ॥२५॥
- ॐ अचञ्चलाय नमः ॥२६॥
- ॐ नीलवर्णाय नमः ॥२७॥
- ॐ नित्याय नमः ॥२८॥
- ॐ नीलाञ्जननिभाय नमः ॥२९॥
- ॐ नीलाम्बरविभूशणाय नमः ॥३०॥
- ॐ निश्चलाय नमः ॥३१॥
- ॐ वेद्याय नमः ॥३२॥
- ॐ विधिरूपाय नमः ॥३३॥
- ॐ विरोधाधारभूमये नमः ॥३४॥
- ॐ भेदास्पदस्वभावाय नमः ॥३५॥
- ॐ वज्रदेहाय नमः ॥३६॥
- ॐ वैराग्यदाय नमः ॥३७॥
- ॐ वीराय नमः ॥३८॥
- ॐ वीतरोगभयाय नमः ॥३९॥
- ॐ विपत्परम्परेशाय नमः ॥४०॥
- ॐ विश्ववन्द्याय नमः ॥४१॥
- ॐ गृध्नवाहाय नमः ॥४२॥
- ॐ गूढाय नमः ॥४३॥
- ॐ कूर्माङ्गाय नमः ॥४४॥
- ॐ कुरूपिणे नमः ॥४५॥
- ॐ कुत्सिताय नमः ॥४६॥
- ॐ गुणाढ्याय नमः ॥४७॥
- ॐ गोचराय नमः ॥४८॥
- ॐ अविद्यामूलनाशाय नमः ॥४९॥
- ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणे नमः ॥५०॥
- ॐ आयुष्यकारणाय नमः ॥५१॥
- ॐ आपदुद्धर्त्रे नमः ॥५२॥
- ॐ विष्णुभक्ताय नमः ॥५३॥
- ॐ वशिने नमः ॥५४॥
- ॐ विविधागमवेदिने नमः ॥५५॥
- ॐ विधिस्तुत्याय नमः ॥५६॥
- ॐ वन्द्याय नमः ॥५७॥
- ॐ विरूपाक्षाय नमः ॥५८॥
- ॐ वरिष्ठाय नमः ॥५९॥
- ॐ गरिष्ठाय नमः ॥६०॥
- ॐ वज्राङ्कुशधराय नमः ॥६१॥
- ॐ वरदाभयहस्ताय नमः॥६२॥
- ॐ वामनाय नमः ॥६३॥
- ॐ ज्येष्ठापत्नीसमेताय नमः ॥६४॥
- ॐ श्रेष्ठाय नमः ॥६५॥
- ॐ मितभाषिणे नमः ॥६६॥
- ॐ कष्टौघनाशकर्त्रे नमः ॥६७॥
- ॐ पुष्टिदाय नमः ॥६८॥
- ॐ स्तुत्याय नमः ॥६९॥
- ॐ स्तोत्रगम्याय नमः ॥७०॥
- ॐ भक्तिवश्याय नमः ॥७१॥
- ॐ भानवे नमः ॥७२॥
- ॐ भानुपुत्राय नमः ॥७३॥
- ॐ भव्याय नमः ॥७४॥
- ॐ पावनाय नमः ॥७५॥
- ॐ धनुर्मण्डलसंस्थाय नमः ॥७६॥
- ॐ धनदाय नमः ॥७७॥
- ॐ धनुष्मते नमः ॥७८॥
- ॐ तनुप्रकाशदेहाय नमः ॥७९॥
- ॐ तामसाय नमः ॥८०॥
- ॐ अशेषजनवन्द्याय नमः ॥८१॥
- ॐ विशेशफलदायिने नमः ॥८२॥
- ॐ वशीकृतजनेशाय नमः ॥८३॥
- ॐ पशूनांपतये नमः ॥८४॥
- ॐ खेचराय नमः ॥८५॥
- ॐ खगेशाय नमः ॥८६॥
- ॐ घननीलाम्बराय नमः ॥८७॥
- ॐ काठिन्यमानसाय नमः ॥८८॥
- ॐ आर्यगणस्तुत्याय नमः ॥८९॥
- ॐ नीलच्छत्राय नमः ॥९०॥
- ॐ नित्याय नमः ॥९१॥
- ॐ निर्गुणाय नमः ॥९२॥
- ॐ गुणात्मने नमः ॥९३॥
- ॐ निरामयाय नमः ॥९४॥
- ॐ निन्द्याय नमः ॥९५॥
- ॐ वन्दनीयाय नमः ॥९६॥
- ॐ धीराय नमः ॥९७॥
- ॐ दिव्यदेहाय नमः ॥९८॥
- ॐ दीनार्तिहरणाय नमः ॥९९॥
- ॐ दैन्यनाशकराय नमः ॥१००॥
- ॐ आर्यजनगण्याय नमः ॥१०१॥
- ॐ क्रूराय नमः ॥१०२॥
- ॐ क्रूरचेष्टाय नमः ॥१०३॥
- ॐ कामक्रोधकराय नमः ॥१०४॥
- ॐ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय नमः ॥१०५॥
- ॐ परिपोषितभक्ताय नमः ॥१०६॥
- ॐ परभीतिहराय नमः ॥१०७॥
- ॐ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय नमः ॥१०८॥
शनि अष्टोत्तर शतनाम हवन प्रयोग
हवन करने के लिये किसी भी मंत्र में नमः शब्द के स्थान पर स्वाहा का प्रयोग किया जाता है। यद्यपि ऊपर दिये गये नमः प्रयोग पूर्वक शनि अष्टोत्तर शतनाम में ही नमः के स्थान पर स्वाहा प्रयोग करके हवन किया जा सकता है तथापि अधिक सुविधा हेतु नीचे स्वाहा पद का प्रयोग करते हुये शनि अष्टोत्तर शतनाम दिया गया है जिससे हवन करना अधिक सुगम होता है, Shani ashtottara shatanamavali :
- ॐ शनैश्चराय स्वाहा ॥१॥
- ॐ शान्ताय स्वाहा ॥२॥
- ॐ सर्वाभीष्टप्रदायिने स्वाहा ॥३॥
- ॐ शरण्याय स्वाहा ॥४॥
- ॐ वरेण्याय स्वाहा ॥५॥
- ॐ सर्वेशाय स्वाहा ॥६॥
- ॐ सौम्याय स्वाहा ॥७॥
- ॐ सुरवन्द्याय स्वाहा ॥८॥
- ॐ सुरलोकविहारिणे स्वाहा ॥९॥
- ॐ सुखासनोपविष्टाय स्वाहा ॥१०॥
- ॐ सुन्दराय स्वाहा ॥११॥
- ॐ घनाय स्वाहा ॥१२॥
- ॐ घनरूपाय स्वाहा ॥१३॥
- ॐ घनाभरणधारिणे स्वाहा ॥१४॥
- ॐ घनसारविलेपाय स्वाहा ॥१५॥
- ॐ खद्योताय स्वाहा ॥१६॥
- ॐ मन्दाय स्वाहा ॥१७॥
- ॐ मन्दचेष्टाय स्वाहा ॥१८॥
- ॐ महनीयगुणात्मने स्वाहा ॥१९॥
- ॐ मर्त्यपावनपदाय स्वाहा ॥२०॥
- ॐ महेशाय स्वाहा ॥२१॥
- ॐ छायापुत्राय स्वाहा ॥२२॥
- ॐ शर्वाय स्वाहा ॥२३॥
- ॐ शततूणीरधारिणे स्वाहा ॥२४॥
- ॐ चरस्थिरस्वभावाय स्वाहा ॥२५॥
- ॐ अचञ्चलाय स्वाहा ॥२६॥
- ॐ नीलवर्णाय स्वाहा ॥२७॥
- ॐ नित्याय स्वाहा ॥२८॥
- ॐ नीलाञ्जननिभाय स्वाहा ॥२९॥
- ॐ नीलाम्बरविभूशणाय स्वाहा ॥३०॥
- ॐ निश्चलाय स्वाहा ॥३१॥
- ॐ वेद्याय स्वाहा ॥३२॥
- ॐ विधिरूपाय स्वाहा ॥३३॥
- ॐ विरोधाधारभूमये स्वाहा ॥३४॥
- ॐ भेदास्पदस्वभावाय स्वाहा ॥३५॥
- ॐ वज्रदेहाय स्वाहा ॥३६॥
- ॐ वैराग्यदाय स्वाहा ॥३७॥
- ॐ वीराय स्वाहा ॥३८॥
- ॐ वीतरोगभयाय स्वाहा ॥३९॥
- ॐ विपत्परम्परेशाय स्वाहा ॥४०॥
- ॐ विश्ववन्द्याय स्वाहा ॥४१॥
- ॐ गृध्नवाहाय स्वाहा ॥४२॥
- ॐ गूढाय स्वाहा ॥४३॥
- ॐ कूर्माङ्गाय स्वाहा ॥४४॥
- ॐ कुरूपिणे स्वाहा ॥४५॥
- ॐ कुत्सिताय स्वाहा ॥४६॥
- ॐ गुणाढ्याय स्वाहा ॥४७॥
- ॐ गोचराय स्वाहा ॥४८॥
- ॐ अविद्यामूलनाशाय स्वाहा ॥४९॥
- ॐ विद्याविद्यास्वरूपिणे स्वाहा ॥५०॥
- ॐ आयुष्यकारणाय स्वाहा ॥५१॥
- ॐ आपदुद्धर्त्रे स्वाहा ॥५२॥
- ॐ विष्णुभक्ताय स्वाहा ॥५३॥
- ॐ वशिने स्वाहा ॥५४॥
- ॐ विविधागमवेदिने स्वाहा ॥५५॥
- ॐ विधिस्तुत्याय स्वाहा ॥५६॥
- ॐ वन्द्याय स्वाहा ॥५७॥
- ॐ विरूपाक्षाय स्वाहा ॥५८॥
- ॐ वरिष्ठाय स्वाहा ॥५९॥
- ॐ गरिष्ठाय स्वाहा ॥६०॥
- ॐ वज्राङ्कुशधराय स्वाहा ॥६१॥
- ॐ वरदाभयहस्ताय स्वाहा ॥६२॥
- ॐ वामनाय स्वाहा ॥६३॥
- ॐ ज्येष्ठापत्नीसमेताय स्वाहा ॥६४॥
- ॐ श्रेष्ठाय स्वाहा ॥६५॥
- ॐ मितभाषिणे स्वाहा ॥६६॥
- ॐ कष्टौघनाशकर्त्रे स्वाहा ॥६७॥
- ॐ पुष्टिदाय स्वाहा ॥६८॥
- ॐ स्तुत्याय स्वाहा ॥६९॥
- ॐ स्तोत्रगम्याय स्वाहा ॥७०॥
- ॐ भक्तिवश्याय स्वाहा ॥७१॥
- ॐ भानवे स्वाहा ॥७२॥
- ॐ भानुपुत्राय स्वाहा ॥७३॥
- ॐ भव्याय स्वाहा ॥७४॥
- ॐ पावनाय स्वाहा ॥७५॥
- ॐ धनुर्मण्डलसंस्थाय स्वाहा ॥७६॥
- ॐ धनदाय स्वाहा ॥७७॥
- ॐ धनुष्मते स्वाहा ॥७८॥
- ॐ तनुप्रकाशदेहाय स्वाहा ॥७९॥
- ॐ तामसाय स्वाहा ॥८०॥
- ॐ अशेषजनवन्द्याय स्वाहा ॥८१॥
- ॐ विशेशफलदायिने स्वाहा ॥८२॥
- ॐ वशीकृतजनेशाय स्वाहा ॥८३॥
- ॐ पशूनांपतये स्वाहा ॥८४॥
- ॐ खेचराय स्वाहा ॥८५॥
- ॐ खगेशाय स्वाहा ॥८६॥
- ॐ घननीलाम्बराय स्वाहा ॥८७॥
- ॐ काठिन्यमानसाय स्वाहा ॥८८॥
- ॐ आर्यगणस्तुत्याय स्वाहा ॥८९॥
- ॐ नीलच्छत्राय स्वाहा ॥९०॥
- ॐ नित्याय स्वाहा ॥९१॥
- ॐ निर्गुणाय स्वाहा ॥९२॥
- ॐ गुणात्मने स्वाहा ॥९३॥
- ॐ निरामयाय स्वाहा ॥९४॥
- ॐ निन्द्याय स्वाहा ॥९५॥
- ॐ वन्दनीयाय स्वाहा ॥९६॥
- ॐ धीराय स्वाहा ॥९७॥
- ॐ दिव्यदेहाय स्वाहा ॥९८॥
- ॐ दीनार्तिहरणाय स्वाहा ॥९९॥
- ॐ दैन्यनाशकराय स्वाहा ॥१००॥
- ॐ आर्यजनगण्याय स्वाहा ॥१०१॥
- ॐ क्रूराय स्वाहा ॥१०२॥
- ॐ क्रूरचेष्टाय स्वाहा ॥१०३॥
- ॐ कामक्रोधकराय स्वाहा ॥१०४॥
- ॐ कलत्रपुत्रशत्रुत्वकारणाय स्वाहा ॥१०५॥
- ॐ परिपोषितभक्ताय स्वाहा ॥१०६॥
- ॐ परभीतिहराय स्वाहा ॥१०७॥
- ॐ भक्तसंघमनोऽभीष्टफलदाय स्वाहा ॥१०८॥